हर दिन अच्छा नहीं हो सकता है , लेकिन
हर दिन में कुछ अच्छा जरूर होता है …

ठाकुर साहब अपने बेटे को झट से गोद में उठा लिया और उसे दिलासा देते हुए कहा – वो तुम्हारी माँ नहीं है |
लेकिन भोलू बार बार कह रहा था,– वही मेरी माँ है | मेरी माँ को बचा लो | मैं माँ के बिना नहीं रह सकता |
ठाकुर साहब को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि एक तरफ भोलू कह रहा था कि वह उसकी माँ यानी ठकुराईन है , जब कि कल ही उसे अग्नि को समर्पित किया गया था |
उन्हें अभी भी लग रहा था कि वह कोई चुड़ैल ही है |
गाँव वाले भी ठाकुर साहब को यकीन दिलाने में लगे थे कि वह कोई चुड़ैल ही है |
कभी कभी जब आत्मा भटकती है तो चुड़ैल का रूप ले लेती है |
तभी भोलू ने कहा,– ‘आप समीप जाकर पहचानिए पिता जी | तब आप को पता चल जायेगा कि यह…
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