Good evening

पडोसी लोग यह सोचने लगे कि अगर कोरोना के डर से ठाकुर साहब अपने इस घर को छोड़ कर भाग गए तो इस मृतक की मिटटी का क्या होगा ?
क्या इस पुण्यवती का शरीर ठेले पर लदकर शमशान घाट जाएगा ?
इसमें भला हमलोग खुद क्यों खतरा मोल ले ? हमलोग को भी यह जगह ज़ल्द छोड़ कर अपने अपने घरों में सुरक्षित पहुँच जाना चाहिए |
ठाकुर साहब तो बार-बार यही कह रहे थे कि स्त्री का प्राण तो चला ही गया है, इसके साथ मेरा भी प्राण जावे तो कुछ हानि नहीं, पर मैं चाहता हूं कि मेरा पुत्र बचा रहे । मेरा कुल तो न लुप्त हो जाए |
पर वह बेचारा बालक भोलू इन बातों को क्या समझता था ! वह तो मातृ-प्रेम के बंधन में ऐसा बंधा था कि रात भर अपनी माता के पास बैठा रोता रहा ।
यह सब बातें सोचते हुए…
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