# और मैं बच गया #

दोस्तों

आज मैं अपनी जिंदगी के एक अहम घटना की चर्चा करना चाहता हूँ | बात उन दिनों की है जब मेरी पोस्टिंग पटना के अशोक  राजपथ शाखा में हुई थी | चूंकि हमारा  घर भी पटना में ही था इसलिए इस पोस्टिंग से मैं बहुत खुश था |

मैंने सोचा कि बैंक ने जब मुझे मनचाही पोस्टिंग दी  है तो हमारा भी कर्त्तव्य बनता है कि मैं भी इस शाखा में अपनी  पूरी निष्ठां और लगन से काम करूँ | कुछ दिनों के मेरे प्रयास से  मेरी मेहनत रंग लाई और शाखा का बिज़नस बढ़ने लगा | शाखा के सभी स्टाफ मुझे पूरा सहयोग कर रहे थे | शाखा के बिज़नस के ग्रोथ से खुश होकर हमारे ऊपर के अधिकारीयों ने इस शाखा को renovate  कर मॉडल ब्रांच बनाने का निर्णय लिया |

करीब तीन  माह के अथक प्रयास के बाद हमारी शाखा का काया कल्प हो गया |

अब हमारी शाखा बिलकुल नयी लग रही थी | मैं भी पूरी मिहनत से काम कर रहा था | चूँकि मैं अपने ही शहर में था तो लोगों से जान पहचान होने का भी फायदा मिल रहा था और मैं भी अपना ज्यादा से ज्यादा समय शाखा के व्यवसाय को बढाने  में लगा रहा था |

तभी हमारे दिमाग में एक आईडिया आया और मैं शाखा में अपने चैम्बर और वौल्ट रूम के बीच  में जो जगह थी वहाँ एक मंदिर नुमा ढांचा बनाकर उसमे गणेश जी की  मूर्ति की विधिवत ढंग से पूजा पाठ कर स्थापित कर दिया |

कुछ लोगों ने इस पर आपति भी उठाई कि हमारी शाखा में सभी धर्मो के लोग आते है तो  फिर यहाँ  भगवान् की मूर्ति की स्थापना उचित नहीं है | मुझे भगवान् में बहुत आस्था है | मेरे अन्दर का मन मूर्ति  स्थापित करने को कह रहा था इसलिए मैंने  किसी के बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने चैम्बर के मुख्य द्वार पर ही गणेश जी को विधि पूर्वक स्थापित कर दिया |

मैं रोज सुबह जब बैंक  आता था तो सबसे पहले भगवान् गणेश को प्रणाम करता और फिर अपने चैम्बर में प्रवेश करता | मेरा आस्था और विश्वास और भी प्रबल हो गया जब मैंने एक साल में ही शाखा  का profit  दोगुना से भी ज्यादा कर दिया  |

हमारे ब्रांच के performance  से क्षेत्रीय प्रबंधक और सभी स्टाफ खुश थे | मुझे ऐसा लगा जैसे  हमारे शाखा में विराजमान श्री गणेश जी का कृपा बरस रही  है |

तभी हमारे शाखा में एक अजीब घटना घटी  | हमारी शाखा करेंसी चेस्ट शाखा थी , इसलिए वहाँ चार आर्म गार्ड की ड्यूटी लगती थी | एक दिन मैं सबह थोड़ी ज़ल्दी शाखा में आ गया क्योंकि कुछ  pending कार्य निपटाने थे |

मैं  अपने  चैम्बर में कुर्सी पर बैठा अपना काम कर रहा था | सुबह के नौ बज रहे थे और हमारी शाखा का समय सारणी १०.३० बजे का था | इसलिए ग्राहकों का अन्न अभी नहीं हुआ  था |

 उसी समय आर्म गार्ड के ड्यूटी का शिफ्ट change हुआ और दुसरे गार्ड ने अपनी राइफल लेने हेतु वोल्ट रूम के पास रखे गन बॉक्स को खोला और अपनी बन्दुक में कारतूस भर कर ज्योंही बन्दुक के बट को ज़मीन पर रखा तो वो  गलती से अचानक फायर हो गया |

संयोग से उसी वक़्त मैं अपनी कुर्सी से उठ  कर फाइल लेने हुतू पास में self के पास खड़ा था | बहुत जोर का धमाका  हुआ और चारो तरह धुआ फ़ैल गया | उस गोली का  छर्रा लकड़ी के दीवार को चीरती हुई हमारे कुर्सी में धंस गया था | यानी अगर मैं कुर्सी पर बैठा होता  तो शायद  गोली मुझे ही लगती |

मैं बाल बाल बच गया तभी  कुछ स्टाफ और दुसरे गार्ड दौड़ते हुए मेरे चैम्बर में आये और मुझे सुरक्षित पाकर चैन की सांस ली |

सब ने एक स्वर से कहा – आज हमारी शाखा में बहुत बड़ा हादसा होते होते बचा | भगवान् का लाख लाख शुक्रिया कि आप सुरक्षित है |

तभी मेरी नज़र श्री  गणेश की मूर्ति को ओर गई   और मेरे मुख से बस यही  निकला …  जाको राखे साइयां  मार सके न कोई |

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Categories: मेरे संस्मरण

21 replies

  1. गणेश जी की कृपा से आप बच गए। 🙏👍

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  2. पढ़ कर अच्छा लगा।

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  3. सुंदर प्रसंग, प्रभु की कृपा |

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  4. Kayi baar aisi hi kuch ghatnao se bhagwan p shradha or badh jaati hai…🙏

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  5. ईश्वर की ही कृपा है सर जी,उसकी मर्जी के बिना पत्ता भी नही हिलता ।

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  6. भगवान का शुक्र है कि आप सुरक्षित थे। पर यह बड़ी घटना थी। कार्रवाई तो हुई होगी। चेस्ट में तो पुलिस गार्ड ही होंगे या बैंक के थे?

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    • जी बिलकुल सही है , यह बड़ी दुर्घटना थी | लेकिन वहाँ सिर्फ बैंक के गार्ड थे |
      इसलिए मामला किसी तरह निपटाया गया था |

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  7. Many times faith on God bless us .Ganeshji krupa.

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  8. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Difficulties disappear and obstacles vanish in the
    presence of patience and perseverance.
    Wishing you a great ahead…

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