
दोस्तों
आज मैं अपनी पुरानी यादों के पन्ने उलट रहा था तो एक बीती घटना की याद आ गयी | मेरी इच्छा हो रही है कि आज उसी घटना को आप लोगों के साथ शेयर करूँ..|
आज मैं जिस घटना की चर्चा करना चाहता हूं वह करीब 20 साल पुराना है | उन दिनों मैं मुजफ्फरपुर शाखा में कार्यरत था | अचानक एक दिन क्षेत्रीय प्रबंधक महोदय का फोन आया कि मुझे डेपुटेशन पर गया ब्रांच जाना है |
हमारा घर पटना में है और गया ब्रांच से रेलवे व्यवस्था के कारण घर आने जाने की सुविधा थी | इसलिए डेपुटेशन की खबर पाकर मैं बहुत खुश था | मैं मन ही मन सोचा कि शनिवार और रविवार को घर पर रहने का मौका मिलेगा | मुझे 15 दिनों के लिए डेपुटेशन पर भेजा गया था |
मैंने गया शाखा ज्वाइन कर लिया और काम करते हुए शनिवार का इंतज़ार करने लगा ताकि घर जा सकूँ |
मैंने वहाँ होटल में एक कमरा ले रखा था क्योंकि मैं अकेला ही था | मैं रोज सुबह समय से पहले ही ब्रांच आ जाता था ताकि कुछ लंबित काम निपटा सकूँ |

शनिवार का दिन था और आज बैंकिंग बंद होने के बाद ट्रेन से पटना (घर) जाने की सोच कर मैं बहुत खुश था |
मैं शाखा में सुबह के 9.३० बजे आ गया था और कुर्सी पर अपनी टांग चढ़ा कर अखबार पढ़ रहा था | मैं उसमे राशिफल और फ़िल्मी गप शप वाला पेज ज़रूर पढता था | उस समय भी अखबार में एक फ़िल्मी हेरोइन की फोटो देख रहा था | मैं पेपर पढने में इतना मशगुल था कि एक शख्स आकर हमारे सामने खड़ा हो गया लेकिन तुरंत मेरा ध्यान उस पर नहीं गया. |
फोटो वाला न्यूज़ पढने के बाद जैसे ही नज़रें उठा कर मैंने उस शख्स को देखा तो हड्बडा कर कुर्सी से उठा खड़ा हुआ | दरअसल सामने खड़े वो शख्स मेरे क्षेत्रीय प्रबंधक महोदय थे | वे ब्रांच विजिट में क्षेत्रीय कार्यालय पटना से आये थे |
मुझे घबराया हुआ देख कर उन्होंने कुछ नहीं कहा बल्कि मेरे सामने ही कुर्सी खीच कर बैठ गए | अभी तक कोई दूसरा स्टाफ नहीं आया था और ब्रांच का काम शुरू होने में आधा घंटा की देरी थी |
हमने कैंटीन बॉय को बुलाकर चाय लाने कहा और फिर ब्रांच के बारे में साहब के साथ कुछ ज़रूरी सूचनाएं साझा कर रहा था | तब तक सारे स्टाफ आ चुके थे | साहब ने सबों के साथ एक मीटिंग की फिर ब्रांच का काम सुचारू रूप से चलने लगा |
इस तरह लंच का टाइम हो गया और हमलोगों ने साथ लंच किया | अचानक साहब ने मुझसे पूछा – पटना चलना है क्या ?
उनसे हमारा पुराना परिचय था और वे जानते थे कि मैं शनिवार को पटना अपने घर जाता हूँ |
मैंने उनकी ओर देख कर कहा – जी, सर,, आपकी इज़ाज़त अगर हो तो मैं पटना ज़रूर चलूँगा |
उन्होंने कहा– तुम मेरे साथ चल सकते हो |
उनकी बात सुन कर मैं बहुत खुश हो गया | ट्रेन की भीड़ से बचकर आराम से साहब के कार में सफर कर लूंगा | मैंने जल्दी-जल्दी अपना काम निपटाया और करीब 3:00 बजे उनके साथ में पटना के लिए रवाना हो गया | उन दिनों शनिवार को आधा दिन बैंकिंग हुआ करता था |

कार अपनी रफ्तार से चल रही थी और साहब इधर उधर का नजारा देख रहे थे | आज उनका मूड ठीक था | | मैं उनके बगल में बैठा था इसलिए मैंने सोचा – क्यों न, अपने ट्रांसफर की बात की जाये | मेरा मुज़फ्फरपुर से ट्रान्सफर होने वाला था और मैं अपना ट्रांसफर पटना चाहता था |
साहब अगर मान जाए तो मेरा काम आराम से बन सकता था | मैंने उनकी ओर देख कर कहा — सर, मैं आपसे कुछ निवेदन करना चाहता हूं |
उन्होंने कहा — हां हां बोलो, क्या कहना चाहते हो ?
मैंने कहा – मेरा मुजफ्फरपुर से ट्रान्सफर होना है इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरा पोस्टिंग पटना के किसी शाखा में हो जाए | मैं कुछ दिन अपने घर का सुख प्राप्त करना चाहता हूँ |
मैं उनसे निवेदन करता रहा और वे अपनी आँखे बंद किये सब सुनते रहे |
मुझे विश्वास हो चला था कि साहब मेरा काम ज़रूर कर देंगे क्योकि उन्होंने एक बार भी कोई प्रश्न नहीं किया , बल्कि आँखे बंद किए मेरी बात सुनते रहे |
मैं पटना पहुँच कर बहुत खुश था .| अपने परिवार में भी इस घटना का ज़िक्र किया और कहा -– इस बार मेरा ट्रान्सफर पटना ज़रूर हो जायेगा |
डेपुटेशन समाप्त कर मैं वापस अपने मुजफ्फरपुर शाखा में आ गया और सभी स्टाफ को भी यह खबर सुनाया कि साहब मेरा ट्रान्सफर पटना करने को राज़ी हो गए है |
फिर वो दिन भी आ गया जब ट्रान्सफर का लिस्ट निकलने वाला था | मैं बेसब्री से अपने पोस्टिंग का इंतज़ार कर रहा था | दिन के 12.00 बज रहे थे और मैं शाखा में अपने काम में व्यस्त था, तभी फैक्स की घंटी बज उठी | मैंने अनुमान लगाया कि मेरा ट्रान्सफर का फैक्स मेसेज होगा | हम दौड़ पर अन्दर चैम्बर में आ गए जहाँ फैक्स रखा हुआ था , कुछ और भी स्टाफ आ गए जो कौतुहल वश मेरे मनचाहा ट्रान्सफर की ख़ुशी में शरीक होना चाह रहे थे |
मैंने जब फैक्स मेसेज पढ़ा तो मुझे जोर का झटका लगा | क्योकि मेरा ट्रान्सफर पटना नहीं बल्कि कोलकाता किया गया था |
मेरे आँखों से आँसू छलक गए | इसके दो कारण थे .. पहला कि साहब ने जब मेरी पोस्टिंग पटना करने को राज़ी हो गए थे तो अचानक उन्होंने अपना निर्णय क्यों बदल दिया ?
और दूसरा कारण था कि मैं कभी मेट्रो शहर में नहीं रहा | मुझे इस नयी जगह से बहुत घबराहट होती थी | तभी मेरे शाखा के हेड- केशियर ने सांत्वना देते हुए कहा –आप बेकार ही परेशान हो रहे है. | कोलकाता में जब मेरी पोस्टिंग थी तो, मुझे वह जगह बहुत पसंद आया था |

मेट्रो शहर में रहने का एक अलग ही मज़ा है | वहाँ का माहौल यहाँ से बिलकुल भिन्न है | आप एक बार वहाँ जायेंगे तो फिर आप मुझे याद ज़रूर करेंगे कि मैंने ठीक ही कहा था |
उसके बाद मैं जो कोलकाता आया तो बस फिर कोलकाता का होकर ही रह गया | मैं यहाँ 11 साल तक रहा | और फिर मैं दूसरा टर्म भी अपना ट्रान्सफर कोलकाता में कराया |
और अंत में मेरा रिटायरमेंट भी कोलकाता से हुआ है | सबसे मजे की बात कि अब यह मेट्रो सिटी मुझे बहुत पसंद है इसलिए तो मैं आज भी कोलकाता में ही रहता हूँ | और हाँ, उस हेड – केशियर की कही गयी बातें मुझे आज भी याद आती है |
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Categories: मेरे संस्मरण
Nice pics.
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Thank you dear
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बहुत अच्छा संस्मरण।
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बहुत बहुत धन्यवाद।
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Nice post sir👌👌
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Thank you dear
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कोलकाता बहुत अच्छा शहर है, मुझे भी पसंद है। मेरे नोर्थ ईस्ट के दौरे यही से गुजर कर होते है।
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सही कहा आपने ।यह शहर मुझे भी पसंद है
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Thanks for sharing the wonderful experience.
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Thank you so much dear..
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किस्मत कभी अनचाहे भी कुछ ऐसा दे देती है जिसकी कल्पना भी आदमी नहीं करता। अच्छा संस्मरण।
:– मोहन”मधुर”
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सही कहा डिअर,
थैंक यू तुम्हारे विचार शेयर करने के लिए |
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Very good. Love of Kolkata is first and last of your Banking life.Choosing Kolkata and settled there show your love for Kolkata.
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Yes Dear, I like this place ..
Thank you for reading this Blog..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
प्रार्थना और विश्वास दोनों अदृश्य है ,
परन्तु दोनों में इतनी ताकत है कि
नामुमकिन को मुमकिन बना देता है /
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Nice experience shared sir… I can imagine how you would have felt when you came to know you have been transferred to Kolkata… 🙂
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Ha Ha Ha …Yes dear …
That was the fearful experience.
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