
कन्नड़ सिनेमा इंडस्ट्री के स्टार पुनीत राजकुमार (Puneet Rajkumar) का बीते दिन 29 अक्टूबर को अचानक दिल का दौड़ा पड़ने से निधन हो गया | इस खबर के आने के बाद से पूरे मनोरंजन जगत को एक सदमा सा लगा |
मुझे भी उनके निधन से बहुत दुःख हुआ, क्योंकि इतनी कम (महज 46 साल की) उम्र में यूं अचानक दिल का दौड़ा पड़ने से उस एक्टर की मौत हो गयी |
वे अच्छे कलाकार तो थे ही, एक अच्छे इंसान भी थे | सभी लोग संवेदनाएं जता रहे हैं |
लेकिन इस समाचार के बाद दो घटनाएं ऐसी घटी जिसने हमें कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है |
एक तो यह कि पुनीत राजकुमार ने मरने से पहले उन्होंने अपनी अपनी आंखें डोनेट कर दी गई थी , जिससे चार लोगों की जिंदगी रोशन हो गयी |
मैंने कही पढ़ा था कि उनके पिता अभिनेता राजकुमार ने भी अपनी आंखें दान कर दी थीं और वही काम पुनीत ने भी किया | दिग्गज अभिनेता डॉ राजकुमार ने 1994 में खुद अपने पूरे परिवार की आंखें दान करवाने का फैसला किया था | एक्टर डॉ राजकुमार का निधन साल 2006 में दिल का दौरा पड़ने का कारण ही हुआ था. |

मैंने यह भी पढ़ा कि डॉक्टरों की एक टीम ने पुनीत के निधन के छह घंटे के अंदर ही ऑपरेशन करके उनके पार्थिव शरीर से आंखें निकाल कर चार नेत्रहीन को दे दी हैं |.
मैं समझता हूँ कि इस अभिनेता ने जो मिसाल प्रस्तुत किया है उससे लोगों में समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारियों का एहसास होगा और उनके नेत्रदान से प्रेरित होकर ज्यादा से ज्यादा लोग अपने और परिवार के लोगों का नेत्रदान करेंगे |’ जिससे कुछ लोगों के अँधेरी ज़िन्दगी में उजाला आ सकेगा | .
एक दूसरी घटना जो इससे बिलकुल उलट है और उसने मेरे मन को विचलित कर दिया है | वैसे तो उनके निधन पर देश भर में शोक का माहौल है | वे साउथ सिनेमा के जाने माने कलाकार थे | उनके फिल्मों के भी बहुत लोग दीवाने थे |
सुना है कि उनकी मौत की खबर सुनकर उनके एक फैंस दुखी हो गया और उसको इतना गहरा सदमा लगा कि उसी वक़्त उस व्यक्ति को हार्ट अटैक आया और मौके पर ही उसकी मौत हो गयी |
बताया जाता है कि वह व्यक्ति जिसकी मौत हुई है वह कर्नाटक के हनूर तालुका के मारो गांव का रहने वाला था और उसकी उम्र मात्र में 30 साल थी | उसका नाम मुनियप्पा था और वह एक किसान था |
गांव वालों के का कहना था कि , मुनियप्पा पुनीत राजकुमार का जबरदस्त फैन था. वह उनकी हर फिल्म देखता था | जैसे ही मुनियप्पा ने पुनीत के निधन की खबर सुनी तो वह सन्न रह गया | जिसके बाद उसके सीने में दर्द हुआ और वह नीचे गिर पड़ा | अस्पताल ले जाने के बाद डॉक्टर्स ने उन्हें दिल का दौरा पड़ने के कारण मृत घोषित कर दिया |

इसके अलावा एक्टर की मौत की खबर सुन कर एक और परशुराम देमन्नावर नामक एक फैन का शिंदोली गांव में निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ |
उसके बाद एक तीसरी घटना भी सुना , जिसमे राहुल गादिवादारा नाम के एक फैन ने पुनीत के निधन की खबर के सुनने के बाद आत्महत्या कर ली |.
अब सवाल यह उठता है कि फ़िल्मी परदे पर अभिनय करने वाले कलाकारों के प्रति आम लोगों में इतनी दीवानगी क्यों होती है , कि या तो वे सदमे बर्दास्त नहीं कर पाते हैं और दिल का दौड़ा पड़ जाता है या खुद ही आत्महत्या कर लेते है | ..
आज हम सब लोग पढ़े लिखे समाज में रहते है और यह अच्छी तरह जानते है कि वे जो फ़िल्मी परदे पर किरदार निभाते है वो असली नहीं होता है बल्कि एक नाटक होता है, और झूठ होता है |
फिर हम क्यों उस नाटक को असली मानने लगते है और उस अभिनेता को सर्वगुण समपन्न और भगवान् की तरह मान कर उनकी पूजा करने लगते है |
हमें इस अंध – विश्वासी मानसिकता से बाहर निकलना होगा और एक्टर की मौत की समाचार की सच्चाई , चाहे सदमे वाली हो, फिर भी उसे उसी रूप में स्वीकार करना होगा और आत्महत्या जैसे जघन्य पाप से बचना होगा | क्योंकि आपको भी अपने परिवार के प्रति और समाज के प्रति कुछ जिम्मेदारी है |
यह एक विचारनिए विषय है ..आप भी कमेंट्स द्वारा अपनी राय अवश्य प्रकट करें…
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Categories: infotainment
A Great loss. RIP.
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Yes , He was a nice man ..
RIP
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नेत्रदान निश्चित ही पुनीत का पुनीत कार्य था, किंतु जिन डॉक्टरों ने उनके दो आंखों को चार लोगों में तकनीक के द्वारा बांटा, वह कम प्रशंसनीय नहीं है।
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बिलकुल ठीक कहा आपने |
इसी तरह तो हम सब एक दुसरे को सहयोग कर एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते है |
वार्तालाप के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर जी |
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