किसी के लिए समर्पण करना मुश्किल नहीं है ,
मुश्किल है उस व्यक्ति को ढूंढना , जो
आपके समर्पण की क़द्र करें …
आप खुश रहें …मस्त रहें…

मुझे लग रहा था कि वो पिंकी ही है | उसका चेहरा, उसकी आँखे, बात करने की अदा, उसी तरह बोलना, कुछ भी तो नहीं बदला है | हाँ एक चीज मैंने नोटिस किया कि उसके चेहरे पर पहले जैसी चंचलता ना होकर गहरी ख़ामोशी और उदास सा चेहरा दिख रहा था |
वो सामने बैठी अपना प्रवचन दिए जा रही थी और मैं सिर्फ उसके चेहरे को निहारे जा रहा था | वो क्या बोल रही थी उस पर ध्यान ही ना था | मैं तो बस पिंकी को साक्षात् सामने देख रहा था लेकिन दिल को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह पिंकी ही है |
यह कैसे संभव है ? मैं ने तो सोचा था कि वह अब तक शादी कर के अपना घर बसा ली होगी | उससे बिछुड़े हुए वो दस साल का समय कम थोड़े ही होता है |
अब तो मुझे…
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Is it true story or a fiction?
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Sir, It is fiction..
.
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