# वो पहली मुलाकात #

आज सुबह – सुबह मोर्निंग वाक से आया तो मेरा मन  बहुत प्रसन्न लग रहा था | सुबह का नास्ता करने के बाद रीडिंग टेबल पर बैठ पेपर पढ़ रहा था और फिर मेरे दिमाग में वही सवाल चल रहा था कि आज मैं अपने ब्लॉग पोस्ट के लिए क्या लिखू ?

 तभी मेरे टेबल पर चाय आ गयी | चाय का  घूँट लेते ही दिमागी मशीन  एक्टिव हो गया और अचानक  बीते दिनों की एक घटना  की याद आ गयी | आज उस तीस साल पुरानी घटना का मैं ज़िक्र कर रहा हूँ |

बात उस समय की है  जब मेरा तबादला राजस्थान से इलाहाबाद हो गया था | मेरे बैंक की एक  शाखा मीर गंज चौक में थी | मेरे लिए यह जगह नयी थी | मैं घरेलु सामान के साथ इलाहाबाद में शिफ्ट हो गया |

मेरा पहला दिन इस शाखा में था |  मेरे शाखा प्रबंधक “सिंह साहब ” बड़े भले आदमी दिखे | स्टाफ लोग से परिचय होने के बाद  मुझे अकाउंटेंट की सीट पर बैठाया गया | चूँकि शाखा शहर के बीच में था  तो भीड़ होना लाज़मी था | मुझे अपने सीट पर बैठते ही चेक पास करने वालों की भीड़ लग गयी |

मैं भी ज़ल्दी ज़ल्दी काम निपटाने लगा | करीब दो बजे मुझे लंच के लिए फुर्सत  मिली | गर्मी का दिन था , पंखा चलते हुए भी मैं पसीने से लथपथ था | लेकिन अब हमारे टेबल के सारे कस्टमर जा चुके थे |

मैं भी लंच के लिए आपनी सीट से उठ कर बैंक की कैंटीन की ओर  जाने ही वाला था, तभी अचानक एक खुबसूरत सी महिला  मेरे टेबल के सामने आ कर खड़ी हो गयी |

उसने मुझे देख कर मुस्काते हुए उन्होंने कहा – मैं जानती हूँ आपका  लंच का समय हो गया है | लेकिन मेरा एक छोटा सा काम कर दें तो बड़ी मेहरबानी होगी वर्ना काफी देर  मुझे  यहाँ इंतज़ार करना पड़ेगा |

उस मोहतरमा की मुस्कान पर मैं फ़िदा हो गया | सोचा,  सुबह से काम पे लगा हूँ लेकिन इन जैसी  ख़ूबसूरत  मोहतरमा अभी तक दिखी नहीं थी | मैं उनका दिल कैसे तोड़ सकता था ?

मैं ज़ल्दी से अपने सीट पर बैठ गया और उन्हें भी सामने वाली कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया | उन्होंने धन्यवाद कहा और सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयी | तभी कैंटीन वाला चाय लेकर आया तो उनके लिए भी चाय रखने को कहा | उन्होंने मेरी ओर देखते हुए धीरे से कहा — मैं चाय नहीं पीती हूँ |

उनके सीट पर बैठते ही मुझे इत्र  की हलकी हलकी खुशबू महसूस हुई | शायद वो मोहतरमा ने कोई अच्छी किस्म का इत्र लगा रखी  थी | उन्होंने अपना पासबुक मेरी ओर करते हुए कहा – इसमें से २५००० रूपये का फिक्स डिपाजिट कर दें |

मैंने पासबुक देखा तो चौक गया | उनके बचत खाते में ९०,००० रूपये थे | मैंने उनसे  ज़रूरी कागजात लेने के बाद कहा – आप इसे मेरे पास छोड़ जाएँ, मैं लंच के बाद आपका फिक्स डिपाजिट की रसीद बना दूंगा | आप किसी भी समय शाम में ले लीजियेगा |

उन्होंने मेरी ओर देखकर  मुस्कुराते हुए कहा – अगर बुरा न माने तो एक बात कहूँ ?

मैंने उनकी ओर सवाल भरे नज़रों से देखा |

उन्होंने फिर बोला – आप शाम को मेरे घर पर चाय पीने आयेंगे तो मुझे  ख़ुशी होगी | और मेरा रसीद भी मुझे मिल जायेगा | मेरा घर बिलकुल पास में ही है |

उनकी बात को सुन कर मैं कुछ असंजस में पड़ गया |  तभी  उन्होंने  ज़ल्दी से कहा – अगर आप आयेंगे तो  और भी मेरे जान पहचान वालों के डिपाजिट दिलवा दूंगी |

उन दिनों बैंक डिपाजिट के टारगेट पूरा करने के लिए कितने ही पापड बेलने पड़ते थे | मैं डिपाजिट की बात सुन कर तुरंत जाने को तैयार हो गया | मुझे भूख लग रही थी , इसलिए मैं अपने सीट पर से उठ  गया | उन्होंने भी  मुझे नमस्कार किया और मुस्कुराते हुए चल दी |

मुझे मोहतरमा बहुत अच्छी लगी | खुबसूरत थी, सलीके से बात करती थी और उनका मुस्कुराना तो माशा-अल्लाह  |

उनके जाने के बाद ब्रांच के हेड – केशियर मेरे पास आये और धीरे  से कहा – आपने  बहुत समय दिया उन मोहतरमा को | आप जानते है वह कौन है ?

मैं ने प्रश्न भरी निगाहों से देखा तो उन्होंने हँसते हुए कहा – वो एक वेश्या है |

ये जो सामने गली देख रहे है न, यह पूरा वेश्यालय है | अपना यह  शाखा मीरगंज चौक “रेड लाइट” एरिया में ही है |

हमारे यहाँ इन लोगों का बहुत डिपाजिट है | अगर उनके पास डिपाजिट के लिए जाएंगे तो ब्रांच का डिपाजिट बहुत बढ़ जाएगा |

मैं उनकी बाते आश्चर्य चकित होकर सुन रहा था | मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि एक शरीफ और वेश्या में क्या अंतर है ?

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Categories: मेरे संस्मरण

26 replies

  1. Bom dia amigo ✨ Verdade, não devemos julgar os outros, pois não sabemos o que cada um passa na vida…

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  2. तालियां

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  3. किसी को देखने और अपने सोचने के नजरिए पर निर्भर करता है कि कौन क्या है क्योंकि होते तो सब इंसान ही हैं।

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    • बिलकुल सत्य कहा है |
      जैसा हमारा नजरिया होगा , वैसे ही किसी के बारे में सोच रखेंगे |
      विचार शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

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  4. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    If you are depressed, confused, or Hurt …
    Don’t worry, Go in front of the Mirror.
    You will find the best person who will solve your problems..
    Stay happy and trust yourself.

    Like

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