मन की थकान जो उतार दे
ऐसा वह अवकाश चाहिए
इस भागती लडखडाती ज़िन्दगी में
कुछ फुर्सत की सांस चाहिए
चेहरे को नहीं, दिल को भी पढ़ सके
ऐसे ही लोगों का साथ चाहिए |
मेरी पहली ड्राइविंग
बात उन दिनों की है जब मेरा ट्रान्सफर रेवदर शाखा से शिवगंज शाखा में हुआ था | शिवगंज वैसे ना तो शहर था और ना ही गाँव, लेकिन सारे सुख सुविधा उपलब्ध था | इसलिए मन लग जाता था | एक सिनेमा हाल “महावीर टाकिज” था जो हमारे मनोरंजन का एक मात्र साधन था |
आस पास के गाँव में ऋण देने और क़िस्त उगाही के लिए हमारी शाखा में एक जीप थी, और उसका ड्राईवर बाबूलाल जी था | जीप का उपयोग मैं फील्ड विजिट के लिए करता था |
एक बार की बात है कि हमारे जोनल मेनेजर के तरफ से फरमान आया कि हमारे शाखा और आस पास की शाखा के शाखा प्रबंधको की मीटिंग माउंट आबू में रखी गयी है . जिसमे सबको सिरकत करनी है | मीटिंग में हमलोगों के ब्रांच परफॉरमेंस (performance) और बजट पर चर्चा होनी थी |
माउंट आबू हमारी शाखा से करीब 100 किलो मीटर की दुरी पर था |
चूँकि हमारे पास जीप था इसलिए हमारे आस पास के कुल पांच शाखा पबंधको ने मुझ से अपने साथ मीटिंग में ले चलने का आग्रह किया |
दुसरे दिन तय समय १० बजे हम सब माउंट आबू के लिए निकल पड़े | मैंने तो शाखा में नया नया ही ज्वाइन किया था. अतः आस पास के इलाके को देखते हुए और मजे करते हुए मीटिंग स्थल पर करीब दिन के एक बजे पहुंचे |
मीटिंग शुरू हुई और समाप्त होते होते रात के आठ बज गए | अब फैसला हुआ कि डिनर कर के ही वापस प्रस्थान किया जाए |
हमलोगों के लिए स्वादिस्ट भोजन का इंतज़ाम किया गया | साथ ही हमारे ड्राईवर बाबू लाल जी के लिए भी पैकेट उसके गाडी में भिजवा दिया |
भोजन कर हमलोग माउंट आबू से रात के करीब नौ बजे प्रस्थान किया | माउंट आबू ऊँचे अरावली के पहाड़ पर स्थित है, जहाँ का नज़ारा बहुत ही मनमोहक था | रात की रौशनी में इसकी खूबसूरती और भी बढ़ गयी थी |
करीब एक किलोमीटर ही चले होंगे कि अचानक हमारा ध्यान ड्राईवर बाबु लाल जी की तरफ गया जो गाडी ठीक से नहीं चला पा रहा था | तभी उसके बगल में बैठे गुप्ता जी ने कहा – लगता है बाबू लाल जी ने दारु पी रखी है | इसके मुँह से वास भी आ रहा है |
हमने तुरंत बाबू लाल जी को गाडी किनारे खड़ी करने को कहा |
उसके बाद उनसे पूछा – क्या आपने शराब पी रखी है ? वैसे बाबु लाल जी बहुत अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति थे | उन्होंने हाथ जोड़ कर कहा — आपके मीटिंग में आये हुए दुसरे साहब के ड्राईवर ने खाना खाने से पहले खुद भी पी और मुझे भी पिला दी |
माउंट आबू से नीचे उतरने में पूरा घाटी था जिसमे बहुत तीखे तीखे मोड़ थे | यहाँ एक्सपर्ट ड्राईवर ही गाड़ी ठीक से चला सकता था | हमलोग सुनसान रास्ते में खड़े थे और रात के दस बज चुके थे |
दुर्भाग्य से किसी शाखा प्रबंधक को जीप चलानी नहीं आती थी | फिर उनलोगों ने मुझसे कहा – आप के पास ही यह जीप रहती है , तो आपको तो जीप चलानी आती होगी ?
अब तो बाबु लाल के आलावा और कोई विकल्प नहीं था , इसलिए मैंने कहा – ठीक है मैं driving करता हूँ | बाबू लाल जी को पीछे सीट पर भेज दिया और भगवान् का नाम लेकर गाड़ी स्टार्ट कर दी |
दरअसल, मैं भी नया नया ही driving सीखा था और रात में गाडी चलाने का अनुभव नहीं था | उस पर समस्या यह कि सुनसान घाटी में गाड़ी चलानी थी |
गाडी तो ठीक चला रहा था और करीब दो किलोमीटर चला था तभी उलटी दिशा से एक तेज़ जीप आया और उसकी “हेड लाइट” से मेरी आँखे चुंधिया गयी और जीप ने संतुलन खो दिया | किसी तरह सँभालते हुए भी वो एक पत्थर से जा टकराया | लेकिन सही समय पर हमने जोर से ब्रेक मार दिया था और गाड़ी किसी तरह रुक गयी |
सभी पांच शाखा प्रबंधको का दिल जोर जोर से धड़क रहा था | ऐसा लगा था कि कल सुबह पांच ब्रांच नहीं खुल पाएंगे ?
पीछे बैठा बाबू लाल जी सब देख रहा था | था तो वह एक्सपर्ट ड्राईवर | वह गाडी से उतरा और मुझसे गाड़ी की चाभी मांगी |
सभी मेनेजर आश्चर्य से उसे देख रहे थे |
वह मेरी तरफ देख कर बोला … साहब जी , आपके ड्राइविंग (driving) को देख कर हमारा नशा गायब हो गया | मुझे तो अपने बाल बच्चो के पास सही सलामत जाना है |
उसकी बात सुन कर हम सभी हंस पड़े लेकिन अन्दर से तो सभी लोग डरे हुए थे |
फिर आगे क्या कहूँ दोस्तों ! आगे की सौ किलोमीटर की दुरी पांच घंटे में पूरी हुई | ऐसा लगा मानो हम गाड़ी से नहीं बल्कि बैल गाड़ी से जा रहे हों |
आज भी जब मुझे उस घटना की याद आती है तो बरबस ही मैं मुस्कुरा देता हूँ, शायद ऊपर वाले ने हम पाँचो की ज़िन्दगी लम्बी लिखी थी | वो पांच अभी भी सही सलामत है जिसे फेस बुक के माध्यम से कन्फर्म करता हूँ |
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हा हा, ऐसा ही केस एक बार मेरे साथ भी हुआ था।
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हाहाहा , जी सर ,
ऐसा वाक्य याद कर बरबस हँसी छुट जाती है |
मैं तो यह घटना भूल ही नहीं पाता हूँ …
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👏👏👏🦋✨🧚♂️
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Obrigado, querido
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🧚♂️✨🦋
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👏👏👏
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Thank you very much..
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You’re welcome Sir! You appear to be making a great retirement by the way!
Continued health and happiness!
God bless you and yours! Amen.
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Yes dear,
I want to enjoy life with all of you friends. That is the reason I am sharing my feelings with you..
Thank you so much for your kind words..
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Sure thing Sir! I seem to be realizing now just how much you feel this way and how you’re doing the best possible job to convey happiness and positive thoughts! Good for you!
May God bless you and yours!
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Thank you so much Sir for your words of appreciation .
I am also following your Blogs..
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Excellent glad to have you following and I hope all is going very well!
You’re very welcome!
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stay blessed..
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रोमांच भरा अनुभव।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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Nice experience with nice video clip.
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hahahah..
Well said Sir, That was a nice experience ..
Thanks for sharing your thought ..
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अच्छी कविता से शुरू करके जिसमें आपने कहा है ऐसा भी साथ चाहिए जो चेहरे को नहीं दिल को भी पढ़ सकें।”कभी-कभी ऐसा भी”ऐसी कहानी है जो सच्ची घटना पर आधारित है और रोमांचकारी भी है।
:— मोहन”मधुर”
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सही कहा मोहन |
ऐसा साथ चाहिए जो चेहरे को नहीं दिल को भी पढ़ सके |
घटना रोमांचकारी है परन्तु सत्य है |
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उत्कृष्ट पोस्ट सर 🙏🏼
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Thank you dear..
Stay connected and stay happy..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
साल बदल रहा है , लेकिन साथ नहीं …
स्नेह सदा बनी रहे ..
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Zindagi ek safar hai suhana….yahan kal kya ho….
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