गुज़र जाते है खुबसूरत लम्हें यूँ ही मुसाफिरों की तरह ,
यादें वही खड़ी रह जाती है रुके रास्तों की तरह…
एक उम्र के बाद उस उम्र की बातें उम्र भर याद आती है ,
पर वह उम्र , फिर उम्र भर नहीं आती…

कौन कहता है कि इंसान किस्मत खुद लिखता है
अगर यह सच है तो किस्मत में दर्द कौन लिखता है ..
कालिंदी ऑफिस में पहुँच कर बड़े साहब का अभिवादन किया | कालिंदी को देखते ही बड़े साहब अपने कुर्सी से उठ कर उसके पास आये और उसे उसकी पदोन्नति पर बधाई दी |
तुम्हारी ड्यूटी के प्रति निष्ठां और बहादुरी का तुम्हे ईनाम मिला है कालिंदी |
तुम अब मेरी कुर्सी पर बैठने जा रही हो, इसका मुझे गर्व है …..बड़े साहब खुश होते हुए बोले |
साहब के चैम्बर के बाहर गणमान्य लोग उन दोनों को बधाई देने के लिए बड़ी संख्या में आये हुए थे | दिन भर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा |
बड़े साहब को भी इस जगह से जाने का दुःख हो रहा था | उन्होंने कालिंदी के साथ मिल कर अपराधियों पर बहुत हद तक अंकुश लगा दिया था और अब…
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