
कभी कभी कोई इंसान इतना अच्छा लगता है कि उसका इंतजार करना भी चेहरे पर अजीब सी रौनक ला देता है | बार बार उसी से बारे में सोचने पर मजबूर हो जाते है |
अपना ये दिल अपने बस में नहीं रहता है ..बस इंतज़ार , इंतज़ार और इंतज़ार रहता है उसका |
और दिल में जो भाव उधृत होते है उसी को शब्दों में पिरोने की कोशिश है ये कविता ..
अगर कविता पसंद आये तो अपने दो शब्दों से ज़रूर अवगत कराएँ…
तुम अच्छे लगते हो
जैसे हो तुम , वैसे ही रहो
तुम अच्छे लगते हो,
झील सी आँखे लगती प्यारी
उन्मुक्त स्वछन्द मुस्कान तुम्हारी
तुम सच्चे लगते हो |
तुम्हारी सादगी में है
एक अलग ही सम्मोहन
मुझे तुम जादूगर लगते हो |
गजब का आत्मविश्वास तुम्हारा
पी कर भी ना लडखडाना
तुम पक्के लगते हो |
लाखो गम सिने में छुपाना
और यूँ तेरा मुस्कुराना
तुम एक्टर लगते हों..|
बस,…इतनी सी बात है
मेरा दिल भी तेरे पास है
क्योंकि, .तुम अच्छे लगते हो ..
…..तुम सच्चे लगते हो …
( विजय वर्मा )

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Categories: kavita
वाह-वाह 👏👏👏👏
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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वाह बहुत खूब 👌
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जी, बहुत बहुत धन्यवाद |
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वाह, सच मे तुम अच्छे लगते हो।
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बहुत बहुत धन्यवाद सर जी |
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बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
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अच्छी कविता।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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Very good composition
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Thank you sir,
I am happy that you always encourage me to write
something better,,
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कुछ-कुछ वास्तविकता से रूबरू कराती कविता
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हहाहाहा …यह तो अपने ऊपर है
कि हम व्याख्या कैसे करते है |
बहुत बहुत धन्यवाद डिअर…
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
प्रेम की भाषा ऐसी होती है जिसे बहरे भी सुन सकते है
और गूंगे भी समझ सकते है …इसलिए हमेशा प्रेम की भाषा बोलिए |
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