# किस्मत की लकीरें #–9

बड़ों का दिया हुआ आशीर्वाद और अपनों की दी हुई शुभकामना
का कोई रंग नहीं होता , लेकिन जब ये रंग लाते है तो जीवन में रंग भर जाता है |

Retiredकलम

source: Google.com

मुझे इतनी फुर्सत कहाँ कि अपनी तकदीर का लिखा देख सकूँ..

बस माँ की मुस्कराहट देख कर समझ जाता हूँ कि मेरी तकदीर बुलंद है

आज सुबह कालिंदी देर तक सो रही थी, क्यों कि कल की भागा दौड़ी में उसे काफी थकान हो गयी थी | ..तभी माँ ने गरमा गर्म चाय बना कर लाई और कालिंदी को जगाते हुए कहा.. कालिंदी बेटी, उठो और चाय पी लो | इससे तुम्हारी थकान दूर हो जाएगी और नींद भी पूरी तरह खुल जाएगी |

कालिंदी अलसाए हुए उठी और माँ के हांथो से चाय लेकर पीने लगी |

माँ उसके पास ही बैठ कर खुद भी चाय पीने लगी |

बातों का सिलसिला शुरू करते हुए माँ ने कहा … कुछ दिनों से मेरे मन में एक बात घूम रही है जिसे मैं कहना चाह रही थी |

तो कहो ना माँ, इसमें अपनी बेटी से…

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4 replies

  1. Reading your poems always make me understand life more precisely and nicely.

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