बड़ों का दिया हुआ आशीर्वाद और अपनों की दी हुई शुभकामना
का कोई रंग नहीं होता , लेकिन जब ये रंग लाते है तो जीवन में रंग भर जाता है |

मुझे इतनी फुर्सत कहाँ कि अपनी तकदीर का लिखा देख सकूँ..
बस माँ की मुस्कराहट देख कर समझ जाता हूँ कि मेरी तकदीर बुलंद है …
आज सुबह कालिंदी देर तक सो रही थी, क्यों कि कल की भागा दौड़ी में उसे काफी थकान हो गयी थी | ..तभी माँ ने गरमा गर्म चाय बना कर लाई और कालिंदी को जगाते हुए कहा.. कालिंदी बेटी, उठो और चाय पी लो | इससे तुम्हारी थकान दूर हो जाएगी और नींद भी पूरी तरह खुल जाएगी |
कालिंदी अलसाए हुए उठी और माँ के हांथो से चाय लेकर पीने लगी |
माँ उसके पास ही बैठ कर खुद भी चाय पीने लगी |
बातों का सिलसिला शुरू करते हुए माँ ने कहा … कुछ दिनों से मेरे मन में एक बात घूम रही है जिसे मैं कहना चाह रही थी |
तो कहो ना माँ, इसमें अपनी बेटी से…
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Reading your poems always make me understand life more precisely and nicely.
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Yes, that is my intension..
Life is precious and we should enjoy the fullest.
Thanks for sharing your thought..
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My pleasure 😇
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Stay blessed…stay happy..
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