ज़िन्दगी दिखी थी मुझे आज
सजी संवरी सी लगी थी ,
मुझे देखा तो थोडा ठिठकी , मुस्कुराई
फिर मटकते हुए किसी और के साथ चल दी ,
तकती रही मुझे कनखियों से और
मैं आ रहा हूँ कि नहीं, ये देखती भी रही …,

मुड़ जाती है हाथों की लकीरें
गर हिम्मत है तूफानों से लड़ने की
होते होते पीछे ही हो जाते है
बात जो हमेशा करते किस्मत की …
कालिंदी को पता चला कि दिल्ली में UPSC का इंटरव्यू शुरू हो गया है, तो वह चिंतित हो उठी , क्योकि उसका इंटरव्यू लेटर अभी तक प्राप्त नहीं हो सका था |
उसने पिता जी को फ़ोन किया और घबड़ाते हुए पिता जी को सारी बातें बता दी | उसने यह भी कहा कि शायद मेरा इंटरव्यू – लेटर किसी ने गायब कर दिया है |
उसे पूरा शक हो रहा था कि प्रोफेसर साहेब तो नाराज़ है ही, उन्होंने ही ऐसी गन्दी हरकत की होगी | हालाँकि, कोई सबूत के आभाव में उन पर आरोप लगाना अभी उचित नहीं होगा |
कालिंदी के मन में तेज़ी से ऐसे विचार उठ रहे थे तभी पिता जी की फ़ोन पर आवाज़ सुनकर उसका ध्यान…
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what a beautiful compliment .
Thank you so much and
request to read the next episode also..
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मैं ने पूरा पढ़ा। कहानी दुखांत है, किंतु आपकी लेखन शैली अच्छी है।
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सर , मुझे ख़ुशी हो रही है कि मेरी कहानी आपको पसंद आई |
सच तो यह है कि आपलोगों से बहुत कुछ सिखने को मिल रहा है |
आपके हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर जी |
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