# अध्यात्मिक चिंतन #

दोस्तों,

तीन दिनों से मुसलाधार बारिस ने हमारे जन जीवन को अस्त व्यस्त  कर दिया है | हम तो पहले से ही  एक तरफ कोरोना का कहर और फिर डेंगू से परेशान है | ऐसा लगता है यह प्रलय का ही रूप है | हम सभी आज कल बहुत घबराये हुए है,  एक डर  के साए मे जैसे हम जी रहे है |

ऐसे में मुझे   साधू संतों  के द्वारा कही गयी बातों याद आ रही है,  जिसे मैं यहाँ उधृत करना चाहता हूँ | शायद इससे  हमारे कमजोर मन को थोड़ी हिम्मत मिल सके |

समय बड़ा बलवान है | लेकिन इस तरह के  समय,  हमारी  सहनशक्ति , दयालुता और हमारे मजबूत इरादों को न सिर्फ मजबूत करता है बल्कि हमारे  समझदार बनने की क्षमता को और बढ़ता है ।

यह दूसरा  कोविड लहर मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन चुकी है । यही  समय है कि हम अपने  अंदर झाकें और हमारे भीत र के शक्ति और उर्जा को प्रकट करें, और वर्तमान संकट से संघर्ष कर इससे उबरने का प्रयास करें |

आज से पहले भी विभिन्न महामारियों, युद्धों, और प्राकृतिक आपदाओं ने हमारी मानव जाति को चुनौती दी है |

ये सब आपदाएं  हमारे जीवित रहने की क्षमता का परीक्षण करते हुए आती रहती हैं। जैसे 1897 का प्लेग था जिसने न जाने  कितने लाख लोग काल के गाल (समय)  में समा गए ?

इसी तरह, जब बुद्ध का सामना एक बूढ़े व्यक्ति और एक मृत शरीर से हुआ, तो उनके मन में जीवन के सत्य के बारे में कई प्रश्न उठे थे ।

यह सत्य है कि आध्यात्मिक चिंतन हमारे  आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है।

आज जब हम चारों ओर मृत्यु को देख रहे है, तो  यही आध्यात्मिक चिंतन हमारे  मन को उन छोटी-छोटी चिंताओं से मुक्त करता है,  जिसके  कब्जे में हम अपने को ज़कड़ा हुआ  महसूस करते है |

 हमारा यह चिंतन और ध्यान जीवन की सच्चाई  को प्रकट करता है |

 जीवन की सच्चाई क्या है ? 

सच्चाई यही  है कि  — हमारे भीतर कुछ ऐसा है जो कभी नहीं बदलता, जो कभी नहीं मिटता, जो कभी नष्ट नहीं होता । यह तो शाश्वत है।

हमें उस तत्व पर ध्यान देने की जरूरत है । जब हम ऐसा करेंगे तो हमें उस समस्या से निपटने की ताकत मिलेगी जो समस्याएं हमें चारों ओर दिखाई दे रही है |

अगर ऐसा नहीं होता है तो हमारा मन टूटता है  और हृदय भीतर से कमजोर हो जाता है,  तब हम अपने को असहाय महसूस करते है |

ध्यान, ज्ञान और जीवन के सत्य को जानने से आंतरिक शक्ति की प्राप्त होती है।

एक मजबूत दिमाग हमारे कमजोर शरीर को ढो सकता है। लेकिन एक कमजोर दिमाग हमारे  मजबूत शरीर को नहीं ढो  जा सकता है | यही जीवन की सच्चाई है |

कोरोना के कारण पूरा  विश्व  स्वास्थ्य सम्बन्धी  संकट से जूझ रहा है |  इसने पुनः  हमारे आंतरिक आत्मरक्षा तंत्र (Inner defence mechanism ) के महत्व को स्थापित किया है ..और इसे मजबूत बनाने के लिए तत्काल उपाय करने की आवश्यकता है |

हमें यह भी  सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम पर्याप्त नींद (Proper sleep) ले रहे हैं,  कुछ व्यायाम (Exercise ) कर रहे हैं और हम ध्यान(Meditation) कर रहे हैं।

यह तो हम सभी जानते है कि तनाव, घबराहट और चिंता हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने में सहायक होती है ।

इसलिए आसन,  प्राणायाम और ध्यान को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बना लेने में ही भलाई है | क्योंकी आज के समय में यह न केवल हमारा शरीर के आतंरिक क्रिया कलापों में बदलाव ला सकता है बल्कि मन को भी शांत और लचीला बना सकता है।

सच में, अज हमें अपने  मानसिक स्वास्थ पर ध्यान देने की  ज़रुरत है |

कभी कभी हम चिंताओं से घिर जाते है और इसका समाधान नज़र नहीं आता है ऐसे में हम depression, उदासी और अन्य  मानसिक विकारों से घिर जाते है |

ऐसे में हमें अपने अन्दर की शक्ति और आत्म-विश्वास बढाने की जरूरत है जो हमारे मन की स्थिति को मजबूत बनाता  है और जीवन जीने की शक्ति देता है |

सांस लेने (Breathing Exercise) के व्यायाम से भी न सिर्फ फेफड़ा (lungs) मजबूत होता है बल्कि हमारा मन  शांत और प्रसन्न रहता है | वैसे ही जैसे हम संगीत को सुन कर और नृत्य को देख कर प्रसन्न होते है ।

आज के समय में  यह ज़रूरी है कि हम अपने को अनुशासित रखें और अपने ज्ञान को अप डेट रखें  |

आजकल कोरोना के  वैक्सीन उपलब्ध है,  इसलिए उसे लेना आवश्यक है । इसके आलावा  इस अत्यधिक संक्रामक वायरस के प्रसार को रोकने के लिए स्वच्छ आदतों और अनुशासित जीवन शैली को विकसित करना भी आवश्यक है।

सभी निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है जिससे हम खुद को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रख सकें |

एक बार हमें फिर याद करने की ज़रुरत है कि अभिवादन में हमारा पारंपरिक तरीका और  स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की ज़रुरत है |

इस तरह  पर्याप्त नींद लेने, सक्रिय रहने और ध्यान करने से  भी आज के इस संकट से उबरने में सहायक होगा |

यह देखा जा रहा है कि आजकल हम कोरोना से डरने के बजाए relax हो गए है | लेकिन हमें ध्यान देने की ज़रुरत है कि जब तक हम वायरस को हरा नहीं देते,  हम घर के अंदर ही रहें, यात्रा करने और सार्वजनिक समारोहों या सामुदायिक दावतों में जाने से बचें।

अपने व्यस्त जीवन में थोडा समय निकाल कर मौन का अभ्यास करने और योगा करने में उपयोग  करें |  ध्यान करने से हमें  मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है। हमें सबसे खराब और सबसे दर्दनाक परिस्थितियों का सामना करने के लिए आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है।

आप स्वस्थ रहे .. खुश रहे.. और विश्वास रखें कि कोरोना से लड़ाई में जीत  मानव-जाति  की ही होगी |

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Categories: motivational

9 replies

  1. आध्यात्मिकता पर यह पोस्ट प्रभावी है। मुझे अच्छा लगा, किंतु वीडियो का अभिप्राय नही समझ पाया। सिर्फ hakuna matata समझ में आया, जो मेरे दिल के बहुत करीब है।

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  2. प्ररेक एवम ज्ञानबर्धक।

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  3. Spiritual thinking and regular exercise such as Breathing
    are beneficial to fight against Carona. Nice elaboration.

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  4. पोस्ट अभी हाल के गुजरे कोविड की आंधी से जोड़ कर लिखा गया है,जो प्रासंगिक है। परन्तु,आध्यात्मिकता वैसे भी कभी अप्रासंगिक नहीं रहा है। यही तो एक विशेषता है जो हमारे देश को दुनिया के अन्य देशों से अलग पहचान दिलाता है। भीडियो लीक से हट कर एक अलग जुड़ाव या आकर्षण पैदा करता है।
    :– मोहन”मधुर”

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    • आप ने बिलकुल सही कहा कि आध्यात्मिकता प्रासंगिक है जो सुखी जीवन के लिए ज़रूरी है |
      आपके विचार साझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

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  5. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Life is the best school,
    Hardship is our best teacher,
    Problem is the best assignment,
    and failure is the best revision..

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