
दोस्तों,
पिछले कई ब्लॉग में हमने “महाभारत की बातें” शीर्षक के तहत उससे उधृत बहुत सारी घटनाओं को प्रस्तुत कर चूका हूँ |
इसका मुख्य उद्देश्य है कि हम इतिहास में हुए गलतियों से कुछ सबक ले सकें और उनमे जो कुछ अच्छइयां निहित है उसे आत्मसात कर अपने जीवन को बेहतर बना सके | इससे हमारा ही नहीं पुरे मानव जाति को फायदा मिल सकता है |
उसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए महाभारत से जुडी कुछ और घटनाओं का ज़िक्र यहाँ करना चाहता हूँ |
मुझे आज भी याद है वो समय, जब मैंने शुरू शुरू में महाभारत कार्यक्रम देखने के लिए साल 1988 में पहली बार टीवी खरीद कर घर लाया था | उन दिनों हमारी पोस्टिंग राजस्थान में थी |
हमारे घर के आस पास कुछ झुग्गी झोपडी थी | जब सुबह के नौ बजे महाभारत का प्रसारण होता था तो उस समय आस पडोस के सभी लोग मेरे घर में जमा हो जाते थे | भीड़ इतनी होती थी कि सभी लोग ज़मीन पर बैठ कर महाभारत देखने का भरपूर आनंद लेते थे |

उन दिनों बहुत कम घरों में टीवी हुआ करता था | समय के साथ टीवी पर महाभारत का प्रसारण तो समाप्त हो गया था , लेकिन मेरे मन में उस सीरियल का एक एक घटना कैद हो गया था जिसे परत दर परत अपने ब्लॉग के माध्यम से खोलने की कोशिश कर रहा हूँ |
जी हाँ, जब भी मैं महाभारत पर ब्लॉग लिखता हूँ तो वो पुरानी यादें मेरे मन में ताज़ा हो जाती है |
यह बिलकुल सच है कि जो ५,००० साल पहले महाभारत की घटना घटी थी | लेकिन उसमे निहित अच्छाई और बुराई आज के परिवेश में भी प्रासंगिक है | जिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है |
आज मैं चर्चा करना चाहूँगा वो सफलता के सूत्र जो महाभारत से सिखने की मिलते है |
आज के समय में हर इंसान और ज्यादा पाने के लालच में दिन रात लगा रहता है | बड़ी गाडी हो, बड़ा बंगला हो, बड़ा बैंक बैलेंस हो |
लेकिन सच तो यह है कि ज्यादा की चाह में हमारे पास जो भी है वो कम होते चले जा रहे है | इसका सबसे अच्छा उदहारण महाभारत में देखने को मिलता है |
कृष्ण का सम्बन्ध तो कौरवों और पांडवो दोनों से था | इसलिए वो दोनों में किसी का भी विनाश नहीं देखना चाहते थे |
आखरी वक़्त तक वे युद्ध को टालने का प्रयास करते रहे |
यहाँ तक कि पांडवो का संधि प्रस्ताव लेकर श्री कृष्ण हस्तिनापुर भी गए |

मैत्री की राह बताने का प्रयास किया और दुर्योधन को बहुत समझाया कि इस विनाशकारी स्थिति से बचा जा सकता है |
भगवन श्रीकृष्ण ने पांडव का सन्देश भी कौरवो को बताया कि अगर आधा राज्य नहीं दे सकते तो कम से कम 5 गाँव ही दे दो | इसी में पांडव संतुष्ट हो जायेंगे और इस तरह इस लड़ाई को टाला जा सकता है |
लेकिन दुर्योधन तो अपनी बात पर अड़ा था और उसने उस संधि – प्रस्ताव को नहीं माना और कहा… मैं अपनी भूमि का एक इंच भी नहीं दूंगा |
इसके बाद तो युद्ध होना तय था | भगवान् श्री कृष्ण के कौरव और पांडव दोनों ही के सम्बन्धी थे | इसलिए वे खुद को निष्पक्ष रखते हुए कौरव और पांडव को अपनी नारायणी सेना और कृष्ण में चुनने को कहा |
एक तरफ नारायणी सेना थी | एक नारायणी सेना जिसमे २१,८७० रथ, २१,८७० हाथी , ६५,६१० घोड़े , १,०९,३५० पैदल सैनिक थे | इसका मतलब हुआ कि कुल मिला कर २,१८,७०० योद्धा थे जिसमे सारथि को नहीं गिना गया था क्योंकि सारथी युद्ध में हथियार नहीं उठाते थे |
यह quality और quantity के बीच का चुनाव करना था | कौरव ने क्वांटिटी (Quantity) में विश्वास किया और अर्जुन ने निहत्थे श्री कृष्ण को चुन कर क्वालिटी (quality) में विश्वास व्यक्त किया |

युद्ध का परिणाम हम सभी जानते है |
यह दुविधा हमारे सामने भी अक्सर ही आती है कि हम ज्यादा काम करने लगते है ताकि ज्यादा पैसे हो, बड़ा घर हो | ऐसी परिस्थिति में हम अपने जीवन की गुणवत्ता खो देते है | अपने शरीर पर ध्यान नहीं देते है |
नतीजा यह होता है कि हम रोगग्रस्त और परेशानियों से घिर जाते है | इस महाभारत के प्रसंग से यही शिक्षा मिलती है कि हमें गुणवत्ता पर ध्यान रखना चाहिए , जो सुखमय जीवन बिताने का एक मूलमंत्र है |
मतलब हमें गिनतियों में ना पड़कर गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए | ज़िन्दगी में सफलता भी मिलेगी और संतुष्टि भी और यह दोनों ही सफल ज़िन्दगी के लिए ज़रूरी है |
महाभारत से शिक्षा ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
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Categories: motivational
Retired isn’t sitting in a chair anymore, is it!
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Hahahaha…Yes, you are correct ..
In fact we are more active now..
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प्रेरणादायक और मनोरंजन से भरपूर।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर /
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Mahabharata ki amar Kahani. All the episode in TV were good.Now You have started writing. Good going.
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Yes dear , All these episode are fantastic ..
That is why , I have decided to write those selected story through Blogs..
Thanks of appreciations ,,
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Great initiative
To introduce new generation with our folks
When we had lockdown MAHABHARAT was again on Tv
And my friends were eager to watch it.
But guess what I have watched it more than 1000 times
When children of my age were busy with cartoons I used to watch Mahabharat 😅😅
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Yes, that is Great..
You truly mention that
new generation is busy in cartoon. Time is changing very fast.
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Yeah 🙂😊
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
When you replace WHY is this happening to me, with
WHAT is this trying to teach me ? Everything shifts..
Stay happy….Stay blessed…
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