छोड़ दो हाथों की लकीरों पर भरोसा करना ,
जब जान से प्यारे लोग बदल सकते हैं तो
किस्मत क्या चीज़ है |

उम्मीद भी बड़ी कमाल की चीज़ है…लोग कहते है ना कि उम्मीद पे ही दुनिया कायम है..वर्ना हम कोरोना काल के ” लॉक डाउन ” को सिर्फ इस उम्मीद से झेल रहे है कि आगे सब ठीक हो जायेगा |
यह तो सच ही है कि उम्मीद पर ही हमारी ज़िन्दगी टिकी है, जिस दिन उम्मीद समाप्त,.. समझो ज़िन्दगी समाप्त |
आज मुझे इसी बात पर एक वाक्या याद आ गया | उसे याद कर मैं आज फिर भावुक हो गया , इसलिए मैं आज उन बीते लम्हों को कलमबद्ध कर रहा हूँ |
हालाँकि बात बहुत पुरानी है , या यूँ कहें कि उन दिनों की है जब मेरी बैंक की पहली पोस्टिंग शिवगंज शाखा , राजस्थान में थी | नई – नई नौकरी होने के कारण हमारे अंदर एक जोश और कार्य करने का जज्बा था |
मेरा मुख्य काम गाँव के किसानो को ऋण मुहैया कराना और…
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