everyday is a gift, that is why…
It is called present…

हमारे बचपन के समय में न तो TV था और न इन्टरनेट का ज़माना था .. उस समय हमारे दादा दादी हमें सुलाने के लिए लोक कथाएं सुनाया करते थे |
और हमें इन कहानियों को सुनते – सुनते कब नींद लग जाती थी ,पता ही नहीं चलता था |
हर कहानी में कोई न कोई शिक्षा निहित होती थी |
.आज ज़माना बदल गया है,
..आज कल के बच्चे हाई टेक हो गए है ..
…आज कल मनोरंजन के मायने ही बदल गए है..
फिर भी लोक कथाओं का महत्व आज भी कम नहीं हुआ है …
लोक कथाएं इतनी पुरानी हैं कि कोई भी नहीं बता सकता कि उन्हें पहले-पहल किसने कहा होगा । लोक-कथाएं एक कान से दूसरे कान में, …..एक देश से दूसरे देश में जाती रहती हैं ।
एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने ही इन कथाओं का रूप-रंग भी बदल जाता है ।
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bringing childhood memories back
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Yes dear,
reminiscent of folk tales .
Thanks for sharing your thoughts..
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