दुनियां की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं ,
खुद को समझ लीजिये , सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा |

अजनबी शहर के अजनबी रास्ते, …मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे,
मैं बहुत देर तक यूं ही चलता रहा, तुम बहुत देर तक याद आते रहे |
ज़हर मिलता रहा ..ज़हर पीते रहे, ..रोज़ मरते रहे …रोज़ जीते रहे,
ज़िदगी भी हमें आज़माती रही, …और हम भी उसे आज़माते रहे |
- कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने खुबसूरत है | क्योकि लंगूर और गोरिल्ला भी अपनी ओर लोगो का ध्यान आकर्षित कर लेते है..
- कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका शरीर कितना विशाल और मज़बूत है क्योकि शमशान घाट तक आप अपने को नहीं ले सकते |
- आप कितने लम्बे क्यों न हो जाएँ मगर आने वाले कल को आप नहीं देख सकते |
- कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी त्वचा कितनी गोरी और चमकदार है क्योंकि अँधेरे में रौशनी की ज़रुरत पड़ती ही है |
- कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप नहीं हँसेंगे तो सभ्य कहलायेंगे क्योंकि आप पर…
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