अब ये ना पूछना कि ये अल्फाज़ कहाँ से लाता हूँ ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों का , कुछ अपना हाल सुनाता हूँ ..
बातों का सिलसिला यूँ ही बढाता हूँ ,
कुछ मेरी और कुछ तेरी बात बताता हूँ …

मैं दशरथ हूँ | मेरा एक भरा पूरा परिवार है | मेरे चार बेटे है | राम, लक्ष्मण भारत और शत्रुघ्न |
मैं एक कंपनी में नौकरी करता था और अब रिटायर हो कर घर परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहा हूँ | चूँकि भरा पूरा परिवार था मेरा और आमदनी सिमित थी, अतः शुरू से ही पैसों की तंगी झेलनी पड़ी |
लेकिन तमाम विपरीत परिस्थितियों के वाबजूद भी मैं ने कोई गलत रास्ते नहीं चुने और इमानदारी के साथ कमाए गए पैसो से परिवार का भरण पोषण करता रहा |
मैंने बच्चो को अच्छी सिक्षा और ऊँचे संस्कार दिए | फिजूल खर्ची तो शुरू से ही पसंद नहीं थी | अतः जीवन की गाड़ी कभी पटरी से उतरी ही नहीं | आज धन सम्पति और बैंक बैलेंस भले ना हो, पर संतुष्ट ज़िन्दगी बिता रहा हूँ और रात को चैन से सोता हूँ |
मेरे सारे बच्चें…
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Sometimes, it’s good to just be in the world of imaginations.
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Sometimes, it’s good to just be in the world of imaginations,.
But what about reality ?.
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😀😀
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दिल से दिल तक वाली पोस्ट है💕🤗
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बिलकुल सही डिअर,
यह बहुत ही मार्मिक है |ऐसा भी होता है |
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हाँ पढ़कर एक दर्द तो दिखा है लेकिन छुपा प्यार भी साफ छलक रहा है😊
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यस डिअर ,
आपका कीमती वक़्त के लिए बहुत बहुत धन्यवाद../
आप स्वस्थ रहे …खुश रहें..|
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दिल से लिखी हुई पंक्तियों के लिए वक्त देना ही पड़ता है। वक्त किमती है इसलिए किमती शब्दों पर ही खर्च हो रहे हैं 💕😊
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तहे दिल से शुक्रिया |
आपलोग हमेशा मेरा हौसलाअफजाई करते है |
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💕🤗😇
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