
ठकुराईन को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ यह क्या हो रहा है ?
वे अपने हाथ पैर भी नहीं हिला पा रही थी |
फिर वो अपनी आँखे खोल कर देखा तो ऊपर आकाश लालिमा लिए हुए बहुत सुन्दर दिखाई पड़ रहा था | और वो अपने को नदी के किनारे पर एक बांस की सीढ़ी में बंधा पाया |
वो अपने दिमाग पर जोर देकर वर्तमान स्थिति के बारे में चिंतन करने लगी | तभी कोशिश करने से ठकुराईन की रस्सी से बंधे उनके हाथ कुछ ढीले पड़ गए और किसी तरह अपने हाथ को आज़ाद कर लिया | वह सीढ़ी जाकर एक झाड़ी से टकराई थी और उसी में उलझकर रुक गई थी |
अब ठकुराइन की तबियत कुछ ठीक लग रही थी |
सूर्योदय का समय था, और आकाश में लालिमा छाई हुई थी | सुबह का मनोरन दृश्य को देख कर कुछ देर के लिए वो यह भूल गयी कि वो यहाँ क्यों और कैसे आयी थी ?
तभी ठंडी हवा के शरीर से स्पर्श करते ही उसे ठण्ड का एहसास होने लगा | वो किसी तरह बांस के सीढ़ी से अपने को अलग किया और नदी किनारे पर बैठ कर सोचने लगी |

मैं यहाँ कैसे आयी ? उसने जब अपने शरीर पर कफ़न के कपडे देखे तो उसके मन में विचार आया कि कहीं मैं मर तो नहीं गयी हूँ | लेकिन मेरा शरीर तो अभी जिंदा है |
वह मन ही मन में सोचने लगीं — शायद मुझको मृत समझ मेरे पति ने मुझे इस तरह पानी में बहा दिया है, परंतु उनको ऐसी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए थी |
मेरे शरीर की जांच उन्हें भली-भांति कर लेनी चाहिए थी |
उन्होंने मेरा त्याग किया तो किया, उनको बहुत सी दूसरी स्त्रियां मिल जाएंगी, परंतु मेरे नादान बच्चे की क्या दुर्दशा हुई होगी ! वह मेरे वियोग को कैसे सह रहा होगा ? वह तो बेचारा रो-रो कर पागल हो रहा होगा |
ठकुराईन नदी के किनारे बैठे – बैठे ऐसा सोच ही रही थी कि तभी उस गाँव की एक महिला हाथ में घड़ा लिए गंगाजल भरने के लिए नदी के किनारे आयी |
उसने कफ़न में लिपटी महिला को देख कर समझी कि कोई चुड़ैल बैठी हुई है |
डर के मारे वह महिला अपना घडा पटक कर चुड़ैल – चुड़ैल चिल्लाते हुए गाँव की ओर भागी |
उसकी शोर भरी आवाज़ सुनकर ठकुराईन उसकी तरफ मुड़ी | उससे कुछ कहना चाह रही थी और वह यही कि वह चुड़ैल नहीं है, ठकुराईन है |
लेकिन वह औरत बदहवास सी भागती चली जा रही थी .. और जोर जोर से चिल्ला भी रही थी ..चुड़ैल चुड़ैल |
थोड़ी देर के बाद ठकुराईन भी उस गाँव की ओर चल दी | थोड़ी दूर ही चली थी कि उसे गाँव का मंदिर दिखाई दिया |
ठकुराईन उस मंदिर पर पहुँच कर वहाँ खड़े पुरोहित को बताना चाह रही थी कि वह कोई चुड़ैल नहीं है , बल्कि वो ठकुराईन है |
लेकिन जैसे ही मदिर का पुरोहित कफ़न में लिपटे एक पागल जैसी औरत को देखा तो वह भी डर गया और चुड़ैल – चुड़ैल चिल्लाता हुआ वो भी वहाँ से भाग लिया |
तभी मंदिर को देख कर ठकुराईन को याद आया कि यह तो वही मंदिर है जिसे ठाकुर साहब ने बनवाया है और इसी के बगल में तो उसका क़स्बा वाला घर है |
वो जाने पहचाने रास्तों से बढती हुए अपने कसबे वाले घर के पास पहुँच गई |

अगल बगल में गाँव वालों की भीड़ लग चुकी थीं | वे सब डर के मारे नजदीक नहीं आ रहे थे लेकिन दूर से देख कर चुड़ैल चुड़ैल चिल्ला रहे थे |
उस समय ठाकुर साहब प्रातः भ्रमण के लिए निकले हुए थे अतः दरवाजे खुला हुआ नहीं था |
ठकुराईन को पता नहीं कहाँ से हिम्मत आ गई कि वह दीवार फांद कर घर में घुस गयी |
भीतर के कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ था | ठकुराईन को बाहर से दिखाई पडा कि उसका बेटा भोलू अन्दर पलंग पर सोया हुआ है |
वह दौड़ कर अपने बेटे भोलू के पास पहुँची और उसे गले लगा ली |
भोलू नींद से अचकचा कर उठ गया और माँ को सामने देख कर रोते हुए उससे लिपट गया |
घर का दरवाज़ा बंद था और सभी गाँव वाले सहमे से बाहर से अनुमान लगा रहे थे कि ठाकुर साहब के लड़के को वह चुड़ैल ना उठा कर ले जाये |
सब लोग भगवान से दुआ मांग रहे थे कि किसी तरह यह चुड़ैल इस गाँव से विदा हो जाए |
उन्ही लोगो में एक दबंग सी दिखने वाली औरत ने कहा – हमें जादू टोना करने वाले बाबा को बुलाना चाहिए, वही तंत्र विद्या से इस चुड़ैल को अपने वश में कर लेंगे |
बातें हो रही थी और भीड़ भी लगी हुई थी | तभी ठाकुर साहब प्रातः भ्रमण से वापस लौटे और अपने मकान के सामने भीड़ देख कर उन्होंने आश्चर्य चकित होकर गाँव वालों से पूछा … यहाँ इतनी भीड़ क्यों है ?
तभी उस दबंग औरत ने ठाकुर साहब को पूरी बात बताई और यह भी कहा कि आप के बेटे के जान को खतरा है क्योंकि वह चुड़ैल अन्दर ही है |
उनलोगों की बातें सुन कर ठाकुर साहब भी घबडा गए और ज़ल्दबाजी में घर के पिछले दरवाज़े से प्रवेश किया | उनके साथ गाँव के कुछ लोग भी डरते डरते अन्दर घुसे |

अन्दर का दृश्य देख कर ठाकुर साहब बिलकुल घबरा गए | चुड़ैल की पीठ दिख रही थी और वह ज़मीन पर बैठी थी | उनका बेटा भोलू उसकी गोद में था |
ठाकुर साहब खतरे को भांपते हुए जल्दी से खूंटी पर टंगी अपनी पिस्तौल हाथ में लिया और चुड़ैल को ललकारते हुए गुस्से में कहा … अरे चुड़ैल, तुम मेरे बेटे को छोड़ दो और यहाँ से चली जाओ |
नहीं , यह बेटा मेरा है और मैं कोई चुड़ैल नहीं हूँ | इतना कह कर वह ठाकुर साहब की ओर पलटी |
उसके बाल बिखड़े हुए थे और कफ़न में लिपटी वह बिलकुल चुड़ैल जैसी दिख रही थी |
ठाकुर साहब ने फिर कहा – मुझे पता है तुम कोई चुड़ैल हो | तू ज़ल्दी से मेरे बेटे को छोड़ दे, मैं तुम्हे यहाँ से जाने दूंगा |
मैं ठकुराईन हूँ और यह मेरा बेटा भोलू है – उसने कहा |
यह कैसे हो सकता है ? हमने तो ठकुराईन के मरने के बाद उसे जला भी दिया था , फिर तुम जिंदा कैसे हो सकती हो ?
ठकुराईन , ठाकुर की बात सुन कर अचानक गुस्से में आ गई और चिल्लाते हुए कहा … मैं अपने बेटे को छोड़ नहीं सकती और वह जोर से अपने बेटे को सीने से लगा लिया |
ठाकुर साहब को लगा कि यह चुड़ैल मेरे बेटे की जान ले लेगी | यह ठकुराईन कैसे हो सकती है ? उसकी चिता को तो कल ही जला दिया गया था |
ठाकुर साहब का दिमाग काम नहीं कर रहा था और अचानक उनके हाथ से फायर हो गया |
ठकुराईन एक ओर लुढ़क गयी और भोलू उसकी गोद से आज़ाद हो गया | भोलू फायर की आवाज़ सुन कर नींद से अब पूरी तरह जग चूका था |
अपनी माँ को इस तरह पड़े देख कर भोलू ने कहा – यह क्या किया पिता जी ?
आपने मेरी माँ को मार डाला ?
यह तुन्हारी माँ नहीं है , यह तो कोई चुड़ैल है ..ठाकुर साहब भोलू को गोद में उठाते हुए कहा |
नहीं पिता जी, वो मेरी माँ ही है , आपने उसे क्यों मार दिया.. भोलू सिसक सिसक कर रो रहा था |
इसके आगे की घटना , भाग-4 में पढ़े जिसका link नीचे दिया हुआ है |
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Categories: story
If this is the end of your story,this is worst story,you wrote so far .
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Sir, this is not the end , climax is there in episode -4, the link is
already there below. I request you to read the last episode also ..
I hope you will find the story in place..
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Story is of different type. Again it started with new direction. Death is inevitable. Corona did not do anything. Ganga Mata saved her .Villager thought her witch.At last husband killed her.It was her phase of life might be decided by God.Nice.
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That is correct what you feel , and some of my friend
reacted badly . But I would say , please read the full story .
You will definitely feel good in the end..
Thanks for your curiosity in this story..
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कहानी की दिशा, उद्देश्य तो –
अगली कड़ी ही बताएगा !
रोचकता बरकरार है,
अगली कड़ी का इन्तजार है!
धन्यवाद!
:– मोहन”मधुर”
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बिलकुल सही मोहन,
सस्पेंस बरक़रार होनी चाहिए , तभी तो कहानी पढने का मज़ा है /
वैसे अगला भाग भी publish हो गया है , जिसका link नीचे दिया हुआ है |
पढ़ कर अपनी राय ज़रूर देना |..धन्यवाद डिअर |
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Love is life, And
if you miss Love … you miss Life ..
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This is a topic which is near to my heart… Thank you! Exactly where are your contact details though?
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