# मौन रहने का महत्व #

दोस्तों,

आजकल  की परिस्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि  हमारा मन स्थिर नहीं रहता है |  दिमाग में हरदम कुछ न कुछ चलते रहता है | मन हमेशा डरा – सहमा सा महसूस होता है |

लोग कहते है कि ध्यान (Meditation) करो जिससे मन शांत और  स्थिर रहेगा |

अक्सर यह देखा गया है कि ऊपर से हम शांत तो रहते है लेकिन हमारे  अन्दर काफी उथल पुथल मची रहती  है |

कभी कभी तो घर वाले भी शिकायत करते है कि आप कही और रहते है और ध्यान कही और रहता है |

हमारे अन्दर एक शोर सुनाई देता है जब हम आँखें मूंदे एकांत में बैठ जाते है |

लोग कहते है कि हर जगह,  हर चीज़ की एक अपनी ध्वनि होती है |

 हवा की अपनी ही आवाज़ है, और  पानी की भी |,

 धरती की भी है,  आकाश की भी है | सभी ग्रहों और नक्षत्रो की अपनी आवाजें है |

दुःख की आवाजें,  सुख की आवाज़े  और आनंद की  भी आवाज़ होती है |

 इसका मतलब हर चीज़ की एक ध्वनि होती है | इंसानी जीवन में यह बिलकुल सच है |

यहाँ तक की मौन की भी ध्वनियाँ होती है |

कोई चुप रहना क्यों चुनता है ?

जब मजबूर करने वाली चीज़ों से दूर होना चाहता है  तो स्वाभाविक रूप से  हम चुप रहना चुनते है |

लेकिन मौन यह नहीं है कि  अपना मुँह या अपना कान बंद कर लिया जाए |

हम चाहें तो मौन में भी  गा सकते है नाच सकते है , यहाँ तक कि हम  मौन में बोल भी सकते है | हम मौन में चिल्ला भी सकते है |

देखिये पानी जब सतह से टकराता है तो ध्वनि पैदा  करता है, उसी तरह हमारे अन्दर विचारों की टकराहट होती है तो एक ध्वनि का एहसास होता है  |

मौन हो जाने से मतलब है स्थिर हो जाना | स्थिरता कई तरह से पाई जा सकती है |

एक सांप भी स्थिर रहता  है …एक बाघ भी शिकार करते हुए बिलकुल चौकन्ना और स्थिर रहता है | ,

 यह स्थिरता के विभिन्न आयाम है , जिनका काम जीवन चलाना है | अगर सांप  हिलेगा – डुलेगा  तो मारा जायेगा | वैसे ही शेर अगर स्थिर होकर शिकार पर ध्यान नहीं रखेगा तो वह शिकार नहीं पकड़ पायेगा |

अपने मन और शरीर को स्थिर करने के लिए हमें  कुछ कोशिश ज़रूर करनी चाहिए |

अगर कोई  व्यक्ति आनंद में होगा तो उसका मन स्थिर हो जायेगा |

भारत तो ऋषि और मुनियों का देश है जहाँ ये महापुरुष वर्षों तक निर्जन वन में मौन रहकर मानव-कल्याण के लिए साधना करते थे।

हमारे देश में मौन की ताकत को बहुत समय पहले पहचान लिया गया था। इस सन्दर्भ में मैं रुसी कहानीकार टॉल्सटॉय की एक कथा को उधृत करना चाहता हूँ ।

एक समय की बात है कि दो मित्रों में शर्त लग गयी कि यदि एक मित्र एक कमरे में एक माह तक बिना किसी से बातें किये मौन – अकेला रह ले तो दूसरा मित्र उसे १० लाख रूपये देगा  |

और अगर  वह बीच  में ही कमरे से बाहर आना चाहे तो वह शर्त हार जायेगा | ऐसी हालत में उसे पहले वाले मित्र को उतनी रकम अदायगी करनी पड़ेगी |

गरीब मित्र तो बहुत गरीब था और सदा धन के सपने देखा करता था, | इसलिए वह पैसे की लालच में उस कमरे में अकेला एक माह तक रहने को सहर्ष  तैयार हो गया | इस तरह दोनों दोस्त  में शर्त लग गई |

कमरे के अंदर एक घण्टी रख दी गयी ताकि यदि वह बीच में शर्त हार कर बाहर निकलना चाहे तो वह उस घंटी को बजा दे।

प्रतिदिन उसके लिए चुपचाप भोजन का प्रबंध कर दिया गया ।  वह व्यक्ति कमरे में बंद हो गया।   दो-चार दिन उसने अपनी पसंद की पुस्तकों को पढ़ने में समय बिताया। फिर उनसे ऊब गया। अब अकेलापन उसे खलने  लगा।

अकेला रहने के कारण उसकी स्थिति पागलों जैसी हो गई | अब वह पागलों की तरह दीवारें खुरचने लगा,  चिल्लाने लगा और बुरी तरह से परेशान हो गया |

घंटी बजाने  के लिए वह घंटी  की ओर देखता तो उसे याद आता  कि शर्त हारने की सूरत  में  दस लाख रूपये की भारी धनराशि अपने दोस्त को देनी पड़ेगी, जो उसके पास नहीं है | इस तरह  वह घंटी बजाने की हिम्मत नहीं कर सका |

कुछ दिनों के बाद धीरे धीरे वह शांत होने लगा। दीवारे खुरचनी बन्द कर दी । वह मौन के साथ समय बिताने लगा । अब उसका मन बिलकुल शांत रहने लगा |

इस बीच दूसरे मित्र को व्यापार में बहुत घाटा हो गया और वह सोचने लगा कि यदि उसका मित्र इस शर्त जीत गया तो इतनी भारी धनराशि उसे कहाँ से देगा ?

अंत में परेशान होकर उसने एक योजना बनाई , जिसने अनुसार 30 दिन पूर्ण होते ही वह उस दोस्त की हत्या कर देगा  और पैसे देने से बच जायेगा |

ऐसा सोच कर वह 30वें  दिन जब पूरी तैयारी के साथ वहाँ पर पहुँचा तो देखा कि कमरा खुला था और वह मित्र अपना समय पूरा करके और शर्त जितने के बाबजूद भी वहाँ से जा चूका था |

उसने कमरे में प्रवेश किया तो वहां उसे एक पत्र मिला, जिसमे  लिखा था…,

“मित्र ! यद्दपि  मैं यह शर्त जीत गया, लेकिन मैं तुमसे  धन राशि लिए बगैर यहाँ से जा रहा हूँ. .क्योकि मुझे तुम्हारी धनराशि से कहीं अधिक धनराशि मिल गयी है।

जी हाँ , मैंने यहाँ मौन रह कर मौन की शक्ति को पहचान लिया है |

 मैंने स्वयं को पा लिया है |  इसके आगे दुनिया की सारी दौलत भी कम है । इसलिए मैं जा रहा हूँ । तुमने मुझे जो मौन की दौलत दी है इसके लिए हमेशा आभारी रहूंगा। “

दोस्तों, मौन की ताकत समझने के लिए यह कहानी शायद पर्याप्त होगी।

मौन की ताकत का तब पता चलता है जब बोले गए शब्द अपनी ताकत खो देते है ।

कभी कभी मौन शब्दों से ज्यादा बोल जाता है ,और

कभी कभी मौन शब्दों से ज्यादा महत्त्व रखता है…..??

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Categories: motivational

24 replies

  1. I agree.👍

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  2. मौन बहुत बडी शक्ति है।

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    • जी, सही कहा है |

      मौन में बहुत शक्ति होती है |
      विचार शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

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  3. Great reflection, Sir! Very well described.

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  4. हर मौन कुछ कहता है। सुंदर 😊

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  5. Silence is a power to control our anger and desire.Nice story.

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