ज़िन्दगी सँवारने को तो ज़िन्दगी पड़ी है ,
वो लम्हां सँवार लो जहाँ ज़िन्दगी खड़ी है…||

आज डॉ साहब के क्लिनिक पर बहुत भीड़ थी | दशरथ जब कम्पाउण्डर के पास पहुँचा तो उसने बताया कि उसका नंबर सातवां है | करीब आधा घंटे बाद उसका नंबर आएगा |
लेकिन दशरथ ने कम्पाउण्डर से विनती किया कि उसे डॉ से तत्काल मिलने दिया जाये | जब कम्पाउण्डर ने मना कर दिया तो उससे उलझ गए और जोर जोर से बार बार यही दुहराने लगे कि डॉ से अभी तुरंत मिलना है |
बाहर शोर गुल सुन कर डॉक्टर साहब अपने चैम्बर से बाहर निकले ……तो सामने दशरथ को देख कर आश्चर्य से बोल पड़े … दशरथ बाबु आप ?…….फिर उन्होंने झुक कर प्रणाम किया | तो उन्होंने आशीर्वाद दिया और कहा …देखिये ना, आप के कम्पाउण्डर आप से मिलने ही नहीं दे रहे है |
डॉ साहब ने कम्पाउण्डर को समझाया …ये दशरथ बाबू है, और जब भी ये यहाँ आये इनको मुझसे मिलने के लिए…
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The first two lines are just unmatchable😊
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Thank you very much..
Please go through complete story, It may be value reading..
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thank you very much
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