# कलयुग का दशरथ #…1

ज़िन्दगी सँवारने को तो ज़िन्दगी पड़ी है ,
वो लम्हां सँवार लो जहाँ ज़िन्दगी खड़ी है…||

Retiredकलम

आज डॉ साहब के क्लिनिक पर बहुत भीड़ थी | दशरथ जब कम्पाउण्डर के पास पहुँचा तो उसने बताया कि उसका नंबर सातवां है | करीब आधा घंटे बाद उसका नंबर आएगा |

लेकिन दशरथ ने कम्पाउण्डर से विनती किया कि उसे डॉ से तत्काल मिलने दिया जाये | जब कम्पाउण्डर ने मना कर दिया तो उससे उलझ गए और जोर जोर से बार बार यही दुहराने लगे कि डॉ से अभी तुरंत मिलना है |

बाहर शोर गुल सुन कर डॉक्टर साहब अपने चैम्बर से बाहर निकले ……तो सामने दशरथ को देख कर आश्चर्य से बोल पड़े … दशरथ बाबु आप ?…….फिर उन्होंने झुक कर प्रणाम किया | तो उन्होंने आशीर्वाद दिया और कहा …देखिये ना, आप के कम्पाउण्डर आप से मिलने ही नहीं दे रहे है |

डॉ साहब ने कम्पाउण्डर को समझाया …ये दशरथ बाबू है, और जब भी ये यहाँ आये इनको मुझसे मिलने के लिए…

View original post 1,218 more words



Categories: story

4 replies

  1. The first two lines are just unmatchable😊

    Liked by 1 person

Trackbacks

  1. # कलयुग का दशरथ #…1 – Nelsapy

Leave a Reply to vermavkv Cancel reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: