
दोस्तों ,
कल यानि 25 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो चूका है और सावन का पहला सोमवार आज (26 जुलाई) है |सावन का महिना हमारे लिए बहुत महत्व रखता है |
सावन के महीने में क्या करें और क्या नहीं, आइए इसके बारे में चर्चा करें….
आज सोमवार है और सावन के महीने में सोमवार के दिन का विशेष महत्व बताया गया है | वैसे तो सावन का संपूर्ण महीना भगवान शिव को समर्पित है |
इस महिना में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है | शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्यों को चातुर्मास में वर्जित माना गया है |
शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करते हैं |
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए और अभिषेक करना चाहिए | ऐसा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं |
भगवान शिव को श्रावन का महीना प्रिय है
श्रावन में भगवान शिवजी की पूजा का बहुत बड़ा महत्व माना गया है और इस पूरे महीने में भोलेनाथ जी की आराधना करने से सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है |
पूरे देश में श्रावन के महीने को एक त्योहार की तरह मनाया जाता है और इस परंपरा को लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं |. भगवान शिवजी की पूजा करने का सबसे उत्तम महीना होता है श्रावन ।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रावन के महीने का इतना महत्व क्यों है और भगवान शिवजी को यह महीना क्यों प्रिय है ?
तो, आइए जानते हैं इसके पीछे की मान्यताओं के बारे में जानें …

श्रावन मास का महत्व
श्रावण मास हिन्दू कैलेंडर में पांचवें स्थान पर आता हैं और इस ऋतु में वर्षा का प्रारंभ होता हैं | शिवजी को श्रावण का देवता भी कहा जाता हैं | उन्हें इस माह में भिन्न-भिन्न तरीकों से पूजा अर्चना की जाती हैं | पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं और विशेष तौर पर श्रावन महीने के प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजा की जाती हैं |. भारत में पूरे उत्साह के साथ श्रावन महोत्सव मनाया जाता हैं |.
*भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना ?*
कहा जाता हैं श्रावन भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता हैं |. इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सती जी ने अपने अपमान के आहत होकर अपने शरीर को त्याग दिया था |
अपनी मृत्यु के पश्चात देवी सती ने हिमालय राज के घर पार्वती जी के रूप में जन्म लिया | पार्वती जी ने भगवान शिवजी को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावन महीने में कठोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिवजी ने उनकी मनोकामना पूरी की |
अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिवजी को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं |
यही कारण है कि इस महीने में कुमारी कन्या अच्छे वर के लिए शिवजी से प्रार्थना करती हैं | मान्यता हैं कि श्रावन के महीने में भगवान शिव स्वयं धरती पर आकार विचरण करते है और अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते है |
इसीलिए इस माह में उनके पूजन एवं अभिषेक का विशेष महत्व हैं |.
- पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमे से निकले हलाहल (कालकूट) विष को भगवान शिवजी ने ग्रहण किया, जिस कारण उन्हें ‘नीलकंठ’ का नाम मिला और इस प्रकार उन्होंने सृष्टि की रक्षा उस कालकूट विष से की थी |
इसके बाद सभी देवताओं ने शिवजी का जलाभिषेक किया था | इसी कारण शिवजी के अभिषेक में जल का विशेष महत्व हैं |
- वर्षा ऋतु के चौमासा में भगवान विष्णुजी योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस समय पूरी सृष्टि का संचालन भगवान शिवजी के अधीन हो जाता हैं |
अत: चौमासा में भगवान शिवजी को प्रसन्न करने हेतु मनुष्य कई प्रकार के धार्मिक कार्य, दान, और उपवास करते हैं |.

- आजकल सावन महिने में भगवान् शिव को जलार्पण करने के लिए गंगा जल को लेकर सैकड़ो किलोमीटर की दुरी तय कर के शिव भक्त भगवान् शिव के मंदिर में जल अभिषेक करते है, जिसे हम कांवर यात्रा के रूप में जानते है |
इस माह में शिव भक्त कांवर लेकर और बोल बम का जयकारा लगाते हुए भारत के अधिकांश हिस्सों में नज़र आते है |
जहाँ से यह जल उठाते है और जिस मार्ग से ये कावरिया चलते है, उस मार्ग पर पुरे श्रवण महीने में मेले जैसा माहौल रहता है |
शिव मंदिरों के पास हर सोमवार को मेला भी लगता है | इसमें सभी श्रद्धालू ख़ुशी ख़ुशी भाग लेते है |
श्रावण मास में शिवजी के पूजन की विधि
शिवजी की पूजा में अभिषेक का विशेष महत्व हैं जिसे रुद्राभिषेक कहा जाता हैं | प्रति दिन रुद्राभिषेक करने का नियम पालन किया जाता हैं |
रुद्राभिषेक करने की विधि इस प्रकार है.
● सर्वप्रथम जल से शिवलिंग का स्नान कराया जाता हैं | फिर क्रमश: दूध, दही, शहद, शुद्ध घी, शक्कर इन पांच अमृत जिन्हें मिलाकर पंचामृत कहा जाता हैं, के द्वारा शिवलिंग को स्नान कराया जाता हैं |. पुनः जल से स्नान कराकर उन्हें शुद्ध किया जाता हैं.
● इसके बाद शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगाया जाता हैं |. तत्पश्चात जनेव अर्पण किया जाता हैं अर्थात पहनाया जाता हैं |
● शिवजी को कुमकुम(कंकु) एवं सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता. इसलिए शिवजी को अबीर अर्पण किया जाता हैं |
● बेल – पत्र, अकाव के फूल, धतूरे का फुल एवं फल चढ़ाया जाता हैं | शमी पत्र का विशेष महत्व होता हैं | धतूरे एवं बेल -पत्र से भी शिवजी को प्रसन्न किया जाता हैं | शमी के पत्र को स्वर्ण के तुल्य माना जाता हैं |.

● इस पुरे क्रम को *ॐ नमः शिवाय* मंत्र के जाप के साथ किया जाता हैं |.
● इसके पश्चात् माता पार्वती जी का पूजन किया जाता हैं |
आप सबों को पवित्र श्रावण माह की अनंत शुभकामनाएं.. .हर हर महादेव
पहले की ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share and comments
Please follow the blog on social media …link are on contact us page..
Categories: infotainment
सावन की बहुत बहुत शुभकामनाएं। हमारे यहां १५ दिन बाद शुरू होता है, उत्तर भारत में पंद्रह दिन पहले। आभार।
LikeLiked by 3 people
जी, बहुत बहुत शुभकामनाएं | आप ने अच्छी जानकारी दी |
मुझे यह पता नहीं था | जानकारी के लिए धन्यवाद |
LikeLike
👍
LikeLiked by 1 person
ॐ नमः शिवाय |
LikeLike
😊
LikeLiked by 2 people
बहुत बहुत धन्यवाद |
LikeLiked by 1 person
Jai Bhole, om namah shivaye💗.
LikeLiked by 2 people
thank you ..
om namah shivay…
LikeLike
Very good information on Sawan which is the holiest month in the hindu calendar.
LikeLiked by 1 person
Thank you sir,
And we are missing BOL BUM..kawar yatra
due to corona pandemic..,,
LikeLike
Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Every little smile can touch somebody’s Heart,
No one is Born happy but all of us are born with
the ability to create Happiness.
LikeLike