
उस दर्जी दोस्त के मन में अब भी बहुत सारे प्रश्न उभर रहे थे | क्या स्वयं की जान ले लेना इतना आसान है ?
आखिर राजेश अपने आप को मारने के लिए कैसे तैयार किया होगा ? एक भिखारी भी इतनी तकलीफ सह कर भी जीना चाहता है, वह जान देने की नहीं सोचता |
वह इन्ही बातों को सोचता हुआ अपने घर की ओर जा रहा था तभी उसका एक दोस्त जो सब्जी बेचता था वह रास्ते में मिल गया |
उसने उससे राजेश वाली बात बताई और फिर उसी के द्वारा दो और दोस्त को बुला भेजा |
एक दोस्त जो ठेला लगा कर पेट पालता था | एक सब्जी वाला और एक गोलगप्पे वाला था |
वे तीनो भी कोरोना के सताए हुए थे और उन्हें भी खाने के लाले पड़ गए थे | पैसे मिलने की शर्त पर वे लोग काम करने को तैयार हो गए |
तय योजना के अनुसार राजेश ने कहा .. तुमलोग मुझे गोली मार देना | मैं तुम्हे ९०,००० रूपये दे रहा हूँ |
इसके लिए एक देसी कट्टा की ज़रुरत होगी और आपलोग उसका इंतज़ाम करो |
लेकिन वे लोग फूटपाथ पर रेड़ी लगाने वाले कोई व्यासायिक कातिल तो थे नहीं | इसलिए कट्टा बेचने वाले ने उसे कट्टा देने से मना कर दिया |
इस तरह देशी रिवाल्वर का जुगाड़ नहीं कर पाया | और अंततः यह प्लान कैंसिल कर देना पड़ा |
इस प्लान के फेल होने से राजेश और भी परेशान रहने लगा | उसे अपनी समस्या के हल का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था |

तभी उसके दिमाग में एक दूसरा प्लान आया और फिर उस दर्जी दोस्त से कहा कि तुम अब मुझे गोली मारने की जगह मुझे रस्सी का फन्दा लगा कर मेरा गला घोंट दो |
वे लोग राजेश से खुद की सुपारी के पैसे ले चूका था इसलिए उसकी बात माननी पड़ी |
और योजना के मुताबित दो दिन बाद का बुधवार दिन चुना गया , जिस दिन राजेश को मरना था |
पूर्व नियोजित योजना के अनुसार वे चारो दोस्त उस दिन और उस जगह पर आने को राज़ी हो गए |
शायद इस तरह का यह पहला मामला था, जिसमे मरने वाले ने खुद के लिए रस्सी खरीदी और उसे अपने पास रखा |
वह अपने दर्जी दोस्त के द्वारा ही उसके लोगों तक अपने सन्देश भेजता था ताकि इस योजना का भंडाफोड़ ना हो जाये |
राजेश उनलोगों तक यह सन्देश भिजवाया कि बुधवार ठीक सुबह आठ बजे सभी लोग वहाँ से कुछ दूर स्थित एक सुनसान इलाका है , वहाँ पहुँच जाए |
राजेश उस दिन सुबह तैयार होकर और रस्सी लेकर घर में बिना किसी को कुछ बताये निकला | उसके पास अपनी गाड़ी थी लेकिन उसने गाडी घर पर ही छोड़ दी और ऑटो से उस जगह पर पहुँचा जहाँ दर्जी और उसके साथ राजेश का इंतज़ार कर रहे थे |
राजेश अपने साथ लाये हुए रस्सी उनलोगों को दे कर कहा.. ..तुम इससे मेरा गला घोंट कर मार देना और मेरी लाश को इस पेड़ पर टांग देना |
एक बार फिर उन चारों को जैसे यह विश्वास नहीं हो रहा था , जिसे हकीकत में अंजाम देने वाले थे |

राजेश पैसे उनलोगों को पहले ही दे चूका था | उसने कहा… मैं अपने क़त्ल का कोई इलज़ाम तुमलोगों पर नहीं लगा रहा हूँ , क्योंकि तुम ऐसा कर के मेरे परिवार पर एहसान कर रहे हो |
हाँ, मेरा आधार कार्ड मेरे लाश के पास ही छोड़ देना ताकि मेरी शिनाख्त आसानी से हो जाए |
फिर उन चारों ने राजेश की मर्ज़ी से उसका गला घोट कर मार डाला और उसकी लाश को वहाँ उसी पेड़ से टांग दिया | उसका आधार कार्ड लाश के पास ही ज़मीन पर रख कर वे लोग वहाँ से चले गए |
इस क़त्ल से मिले ९०,००० रूपये उन चारो ने बराबर हिस्सों में बाँट लिए |
इधर रात तक राजेश जब घर नहीं लौटा तो उसकी पत्नी परेशान हो उठी | क्योंकि गाड़ी घर पर ही थी, दूकान वैसे ही बंद थी, तो वो जा कहाँ सकता था |
पत्नी किसी दुर्घटना की आशंका से परेशान होकर रात के बारह बजे पास के पुलिस स्टेशन जा कर राजेश के गुमशुदगी का रिपोर्ट लिखाई |
रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस पता लगाने की कोशिश करता रहा लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा था |
दुसरे दिन सुबह किसी राहगीर की नज़र पेड़ से लटके राजेश की लाश पर पड़ी और उसने वही से १०० नंबर पर कॉल कर पुलिस को इसकी सुचना दे दी |
पुलिस को खबर मिलते ही वह उस जगह पहुँच कर लाश को अपने कब्ज़े ले लिया |
पास में पड़ी आधार कार्ड मिल जाने के कारण उसकी शिनाख्त भी हो गई |
पुलिस राजेश के घर के पास के थाने को संपर्क कर इसकी सुचना दे दी, जहाँ पहले से ही उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज थी |

अब थाने की पुलिस उस लाश की शिनाख्त कर आश्वस्त हो जाती है कि लाश राजेश की है और फिर मौत के कारणों की तहकीकात में जुट जाती है |
पहले तो पुलिस वाले राजेश के घर वालों से पूछ -ताछ कर जानकारी इकट्ठी करती है |
संयोग से राजेश का मोबाइल उसी के पास से बरामद हो गया | पुलिस उस मोबाइल के डिटेल की जानकारी हासिल करती है |
पुलिस को पता चलता है कि राजेश के मोबाइल से लास्ट (last) कॉल उस दर्जी दोस्त के पास किया गया था | पुलिस कॉल के लोकेशन के सहारे उस दर्जी तक पहुँचती जाती है |
चूँकि दर्ज़ी प्रोफेशनल किलर नहीं था, इसलिए पुलिस की थोड़ी सख्ती से ही पूरी बात सच सच बता देता है । उसने बताया कि ९०,००० रूपये लेकर उसी के कहने पर उसने दोस्तों के साथ मिलकर राजेश का क़त्ल किया है |
पुलिस को इस तरह की बात पर विश्वास नहीं होता है, क्योकि कोई खुद को मारने के लिए दूसरों को क्यों कहेगा |
पुलिस उन चारो को बिना किसी परेशानी के गिरफ्तार कर लेती है |
उस दर्जी दोस्त ने पुलिस को यह भी बताया कि राजेश ने उससे कहा था कि मुझे मार कर मेरे परिवार पर एहसान करोगे, क्योंकि हमारे परिवार को इससे मेरे बीमा का रकम एक करोड़ रुपये उन्हें मिल जायेगा |
पुलिस जब इस बात को ध्यान में रख कर आगे जांच करती है, तब दर्जी के द्वारा कही गई सारी बातें सच साबित होती है ।
अब सवाल है कि इसे ख़ुदकुशी कहा जाए या मर्डर |
अगर यह ख़ुदकुशी है तो बीमा की रकम राजेश के परिवार वालों को मिलेगी नहीं ।
और अगर यह मर्डर है तो उसके चार दोस्त , जो राजेश की मदद करना चाहते थे, वो हत्यारे सिद्ध होंगे और फिर ऐसी स्थिति में उन चारों की ज़िन्दगी बर्बाद होना तो निश्चित ही है |
एक सवाल यह भी कि अब इसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए….|
कोरोना के कारण उठी विकट परिस्थिति को या अपने घर परिवार को बचाने के लिए इस तरह के षड़यंत्र रचने वाले भोले भाले उस इंसान की मज़बूरी को … या फिर उसके किस्मत को ???
अब फैसला आप ही करें… आप के ज़बाब का इंतज़ार रहेगा ||

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Categories: story
Corona situations inspire the person to overthink. Result nothing .Many persons are victims. Nice
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Yes dear,
Corona has affected many ways in our life..
sometimes this can happens in that situations.
thanks for sharing your views..
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You are a good story teller!!
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Thank you sir,
Your words always keep inspiring me for Blogging ..
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So intense story… Murder or suicide? Remain unanswered…
By the way, suicide is now covered in life insurance policies after one year of policy inception… Some insurers also offer suicidal cover within one year of policy inception, not the full sum insured but partial sum insured.
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Thanks for sharing this vital information..
It was not known to me ..
Thanks a lot dear ..
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I think, Ashish, it’s only the accumulated premium, not bonus and other related benefits.
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Yes sir, you are right… Suicide was excluded from the policy previously but now have been included in the coverages… Probably in 2014 (correct me if I am wrong), suicide started to be covered after one year of policy inception and in recent IRDAI Regulations (separate for Linked and Non Linked products) which came in July 2019, suicide is now covered within 12 months of policy inception as well which was excluded previously.
The amount of benefit payable due to suicide is different for linked and non linked products:
1. For Linked Products like ULIPs: If suicide occurs within 12 months of policy inception or within 12 months of renewal, the amount payable is the fund value. Fund value can be greater than the sum insured as well. In normal case, either the fund value or sum insured (whichever is higher) is paid but in case of suicide case, the fund value is paid which may or may not be higher than the sum insured.
2. For Non Linked products: In case of death due to suicide within 12 months of policy inception or within 12 months of renewal, the amount payable is 80% of premiums paid till date of death or the surrender value available as on date of death, whichever is higher.
In both the cases, within one year of policy inception or after one year, some amount will be payable due to suicide and hence suicide cannot be considered as an exclusion. Accumulated premium (min 80% or the surrender value) which will be always less than the sum insured.
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Well done, Ashish. The details given by you are elaborate, and complete. Thanks a lot for sharing this input!!
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Thanks for sharing your views and
made available the correct information..
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Yes ,That is right..
Thanks for sharing the information..
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KAUN HAI HATYARA , CORONA, HUMARA SADA SYSTEM , MAZBOORI, YA KUCH AUR EK BEHTRIN PAR KADUVI KAHANI
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Thank you very much sir,
Yes, who is responsible is the genuine question ,.
Your words mean a lot.. Stay connected..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
We do not always have to agree with one another,
but it is important that we learn to respect each other…
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