हमारे साथ जो ड्राईवर था वह केरल का ही लोकल था | उसने पुरे यात्रा के दौरान उस पद्मनाभ स्वामी मंदिर से जुड़े बहुत सारी बातें बताई, जिसे मैं यहाँ आप लोगों के साथ शेयर करना चाहता हूँ |.
पद्मनाभस्वामी तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है।
मंदिर की संरचना में समय समय पर सुधार कार्य किए जाते रहे हैं। इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था।
चूँकि वे भगवान् विष्णु के महान भक्त थे , इसलिए मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ साथ अपनी सारी सम्पति इस मंदिर को सौप दी थी |
इस तरह उन राजाओं के अधीन यह मंदिर की देख रेख होती थी | लेकिन अंतिम राजा के मौत के बाद यह मंदिर किसकी देख रेख में होगा, इस पर राज्य सरकार द्वारा विचार विमर्श करने के बाद ..राजा के भाई को सौप दी गई |
कुछ दिनों तक मंदिर का संचालन करने के बाद उन्होंने मंदिर की सम्पति पर अपना दावा ठोक दिया | उनका कहना था कि मंदिर की सारी सम्पति हमारे भाई और परिवार के द्वारा दी गई है |
दूसरी तरफ श्रधालुओं ने उसे ट्रस्ट बनाने की सिफारिस कोर्ट से की और इस इस तरह मंदिर का प्रबंधन एक ट्रस्ट को सौप दिया गया |
पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा भी जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की एक प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं।
इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के ‘अनंत’ नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है।
यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को ‘पद्मनाभ’ कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर को भारत का सबसे अमीर मंदिर कहा जाता है और इसकी सम्पत्ति करीब 2 लाख करोड़ से ज्यादा बतायी जाती है।
इस मंदिर की सम्पति की हेरा फेरी ना हो, इसके लिए पिछले साल ही २०११ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पांच सदस्यीय समिति ने सदियों से बंद पड़े इस मंदिर के छह तहखानों में से पांच तहखानों को खोल दिया था ।
तहखानों को खोलने की काम भी पूजा पाठ और विधि विधान के साथ ही हुआ था।
उसके तहखानों से प्राप्त हीरे-जवाहरात, सोना, प्राचीन मूर्तियां स्मृतिचिह्न आदि चीजें प्राप्त हुई , जिसे देख कर आँखे खुली की खुली रह गई |
कोर्ट की देख रेख में इस खजाने का मूल्यांकन किया गया जिससे उसकी कीमत लगभग रूपये १.६६ लाख करोड़ आंकी गई । लोगों का मानना है कि छठे दरवाज़े के पीछे इससे भी ज्यादा खज़ाना मौजूद है |
छठा और आखिरी तहखाना खोलने के क्रम में कुछ ऐसी घटना घटी , जिसके फलस्वरूप जो टीम इस काम में लगी थी वह डर कर पीछे हट गई |
क्योकि अन्दर से कुछ अजीब आवाजें आ रही थी और अन्दर सांप वगैरह भी होने का अनुमान लगाना जाने लगा |
हालाँकि लोगों का मानना है कि सबसे ज्यादा खज़ाना इसके छठे दरवाजे के पीछे है | लेकिन अगर यह दरवाज़ा खुला तो भयंकर तबाही मचेगी और प्रलय आ जाएगी |
यह घटना साल २०११ की है, जब कुछ लोगों ने इस रहस्य से पर्दा उठाने का प्रयास किया ,लेकिन इस रहस्य का पता नहीं चल सका कि उस दरवाज़े के पीछे क्या है और कितना खज़ाना है |
फिलहाल उस छठे दरवाजे को खोलने का प्लान कैंसिल कर दिया गया |
यह छठा दरवाज़ा तीन दरवाजों से बंद है। पहला छड़ों से बना लोहे का दरवाजा है, दूसरा लकड़ी से और तीसरा और आखिरी दरवाजा लोहे से बना एक बड़ा ही मजबूत दरवाजा है जो बंद है। और इस दरवाजे पर ताले भी नहीं लगाए गए हैं और न ही कोई कुंडी है।
इस दरवाजे के बारे में कहा जाता है कि इसे एक मंत्र द्वारा बंद किया गया है और उस मंत्र का नाम ‘अष्घ्टनाग बंधन मंत्र’ है।
इस दरवाजे को खोलने के लिए भी उसी मंत्र की आवश्यकता है जिससे इसे बंद किया गया है। बहुत प्रयासों के बाद भी लोग इस दरवाजे को खोल पाने में अब तक सफल नहीं हो सके है |
जब सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में छठे दरवाज़े को खोलने की कोशिश की गई तो कुछ अजीब तरह की घटनाओ का सामना करना पड़ा |
इस दरवाजे पर बनी आकृतियों में सांपों की आकृतियां बनी है जो ये चेतावनी देती है कि अगर इन दरवाजों को खोला गया तो उसका अंजाम बहुत ही बुरा हो सकता है |
पांचों तहखानों को खोलने के कुछ दिन बाद ही जिस व्यक्ति ने इन तहखानों को खोलने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की थी, वह अचानक बीमार पड़ गया और फिर उनकी मौत हो गई |
ऐसा माना जाता है कि उसकी मौत उस मंदिर के प्रकोप के कारण ही हुआ है | उसके बाद तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तहखाने को खोलने पर रोक लगा दी ।
सुप्रीम कोर्ट ने फिर अपने निर्णय में अंतिम राजा के भाई को ही मंदिर की देख रेख का जिम्मा सौप दिया है |
मंदिर की कहानी अब यही तक … क्योकि हमलोग कोबलम बीच पहुँचने वाले थे, जैसा कि ड्राईवर ने बताया |
कोवलम बीच जाते हुए कुछ ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे सचमुच प्रकृति की सुन्दरता यही सिमट कर रह गई है | मुख्य सड़क से कोवलम बीच तक पहुंचने में करीब आधा घंटा लगा |
हमलोगों को सड़क के दोनों तरफ नारियल और केले के पेड़ और चारो तरफ इतनी हरियाली देख कर मन खुश हो गया |
कोवलम बीच पर जब पहुँचा तो फिर क्या कहने | यहाँ का जो नजारा दिखा उसे देखकर तो ऐसा लगा जैसे इतने दिन से सफर की जो थकान हम पर हावी थी वो सब समाप्त हो चुकी है ।
नारियल के पेड़ों से घिरा धनुषाकार कोवलम बीच बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत कर रहा था |
ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति ने दिल खोल कर अपनी खूबसूरती इस पर लुटाई हो और शायद इसी वजह से इसे भारत के सबसे खूबसूरत बीचों में से एक यह कोवलम बीच है।
वैसे भी कोवलम का अर्थ ही होता है नारियल के पेड़ों का समूह और शायद इसी कारण इसका नाम कोवलम रखा गया है। नारियक के पेड़ों से घिरा यहाँ का नीला जल बहुत ही खुबसूरत नज़ारा प्रस्तुत कर रहा था |
पास ही में समुद्र के बीच लाइट हाउस बना है और वहां रहने वाले लोगों के अनुसार इसकी खूबसूरती रात में और भी निखर जाती है।
नजारा ऐसा खूबसूरत था कि यहां से जाने का मन तो बिल्कुल भी नहीं था। एक घंटे का समय कब बीत गए कुछ पता नहीं चला।
घड़ी देखा तो रात के 9 बज चुके थे। और हमें होटल वापस आना था | यहां की मनोहारी छटा को अपने कमरे में कैद किया और फिर हमसब वापस होटल की ओर चल पड़े ।
कभी मौका मिला तो फिर एक बार ज़रूर कोशिश करूँगा | …
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Categories: Tour & Travel
Nice descriptions about 6th door.The temple has kept huge amount of wealth. Om Prabhu Padmanabhaji.
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Yes dear,
It seems to be miracle, nothing else ..
There is a super power existed here .
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Nice and interesting travelogue
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Thanks you sir,
Sometimes this type of travelling makes memorable ..
stay connected and stay happy…
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संयम हमारे चरित्र की कीमत बढाता है ,परन्तु
मित्र और परिवार हमारे जीवन की कीमत बढ़ाते है ..
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