जीवन में कई बार हम बड़ी बड़ी परेशानियों से यूँ निकल जाते है ,
मानो कोई साथ दे रहा हो …
इसी अदृश्य शक्ति का नाम परमात्मा है…||

सोफ़िया का घर था बड़ा शानदार, लेकिन इतने बड़े घर में वो अकेले अपने छोटे बच्चे के साथ रहती है |
देखने में वो खुद भी बहुत ख़ूबसूरत और आकर्षक है और उसकी आँखों में तो गज़ब का जादू है |
जब भी वो संदीप से बात करती, उसकी आँखों की तपिस वह बर्दाश्त नहीं कर पाता | उसका दिल जोर से धड़कने लगता और वो अपनी नज़रे दूसरी ओर फेर लेता |
लेकिन सोफ़िया के हाव – भाव और बात-चीत से संदीप को ऐसा महसूस हुआ कि उसके पास भगवान् का दिया हुआ तो सब कुछ है, लेकिन अकेलापन के कारण वो ज़िन्दगी से खुश नहीं है |
उसे तो कोई ऐसा दोस्त चाहिए जिससे वह अपने दिल की बात कर सके और हमेशा उसके साथ रहे |
लेकिन शायद इन सब की कमी ही उसके उदासी का कारण हो सकता है | क्योकि बोलते – बोलते कई बार…
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