.जैसे को तैसा
जैसे को तैसा एक मुहावरा है, इसका मतलब होता है .. जैसा वह है वैसा ही उसको दूसरा भी मिला गया | मुहावरों से सामान्य अर्थ नहीं बल्कि विशेष अर्थ निकलता है। इनके प्रयोग से भाषा में सरसता व रोचकता आ जाती है।
इसी मुहावरे को चरितार्थ करता एक कहानी जो मैंने, कभी बचपन में सुनी थी, आज वही कहानी आप सब को सुनाना चाहता हूँ |
एक नगर में एक व्यापारी रहता था | उसका एक पुत्र था जो बड़ा ही होनहार था |
व्यापारी जब तक जिंदा था उसका धंधा अच्छी तरह से चल रहा था |
लेकिन अचानक व्यापारी की मृत्यु के बाद व्यापार में घाटा होता गया | अब नौबत यहाँ तक आ गई कि व्यापारी की सारी संपत्ति समाप्त हो गई |.
अंत में लाचार होकर व्यापारी पुत्र ने शहर जाकर व्यापार करने का निर्णय लिया | लेकिन संपत्ति के नाम पर उसके पास मात्र बीस किलो के लोहे का एक तराजू था |
उसने वह तराजू अपने गाँव के एक साहूकार के पास धरोहर स्वरुप रख दिया और वह कमाने के लिए शहर चला गया |.
वह होनहार तो था ही, उसने कुछ वर्षों तक व्यापार कर के ढेर सारा धन अर्जित कर लिया | अब वह अपने पुस्तैनी गाँव में अपने पिता की पुराने व्यापार को पुनः चालू करने की सोची |
ऐसा सोच कर वह शहर से गाँव लौट आया |
वापस लौटकर वह अपना तराजू लेने साहूकार के पास पहुँचा और उस साहूकार से अपना तराजू मांगा ताकि अपना पुस्तैनी व्यापार फिर से शुरू कर सके |
साहूकार बेईमान था | वह तराजू लौटाना नहीं चाहता था | उसने चालाकी दिखाते हुए कहा..,.. “अरे बेटा, अब क्या बताऊँ, उस तराजू को तो चूहे खा गए | अब मैं तुम्हें वह तराजू कहाँ से लौटाऊं ?”
यह बात सुन व्यापारी पुत्र चौंक गया, परन्तु उसे तुरंत समझ आ गया कि साहूकार के मन में बेईमानी घर कर गई है |
किंतु, उस समय बहस करना उसे उचित नहीं लगा. इसलिए वह बड़ी ही नम्रता से बोला,…. “कोई बात नहीं साहूकार जी. अब इसमें न आप कुछ कर सकते हैं, न मैं |
शायद, तराजू मेरे भाग्य में ही नहीं था |
पहले तो साहूकार मन ही मन भयभीत था., लेकिन व्यापारी पुत्र की बात सुन उसने चैन की सांस ली |
कुछ देर साहूकार से बातें करने के बाद व्यापारी पुत्र जब चलने को हुआ, तो साहूकार से बोला, “क्या आप अपने पुत्र को मेरे साथ भेज देंगे ? परदेश से मैं आपके लिए एक उपहार लेकर आया हूँ, वह मैं आपके पुत्र के हाथों भिजवा दूंगा. |
साहूकार बेईमान के अलावा लालची भी था | उपहार के लोभ में उसने अपने पुत्र को व्यापारी पुत्र के साथ भेज दिया |
व्यापारी पुत्र साहूकार के पुत्र से बातें करता हुआ एक नदी किनारे पहुँचा | नदी किनारे एक गुफ़ा थी | उसने साहूकार के पुत्र को उस गुफ़ा में ढकेलकर गुफ़ा का द्वार एक चट्टान से बंद कर दिया.| उसके बाद नदी में स्नान कर वह अपने घर लौट गया |
इधर शाम हो गई और साहूकार का पुत्र अब तक घर नहीं लौटा तो उसे चिंता होने लगी | अपने बेटे की खोज खबर लेने के लिए साहूकार उस व्यापारी पुत्र के पास पहुँचा और अपने पुत्र के बारे में पूछने लगा |.
व्यापारी पुत्र बोला,… “आपके पुत्र के साथ मैं नदी किनारे बैठा हुआ था, तभी एक बाज़ आया और उसे उठाकर ले गया |.
यह सुनकर साहूकार अपना आपा खो बैठा और चिल्लाने हुए कहा…, “झूठे…मक्कार, …. कैसी उटपटांग बातें कर रहे हो ? कैसे कोई बाज़ इतने बड़े लड़के को उठाकर ले जा सकता है ?
बताओ मेरा पुत्र कहाँ है ? नहीं तो मैं तुम्हारी शिकायत राजा से करूंगा. |
लेकिन व्यापारी पुत्र वही बात दोहराता रहा | “मैं सच कह रहा हूँ… आपके पुत्र को बाज़ उठाकर ले गया है |
अब साहूकार क्या करता ? तुरंत राजा के पास पहुँचा और जाकर व्यापारी पुत्र की शिकायत कर दी |
राजा द्वारा सैनिक भेजकर व्यापारी पुत्र को राजदरबार में बुलवाया गया |
व्यापारी पुत्र जब राजदरबार पहुँचा, तो साहूकार चिल्लाने लगा…, “महाराज ! इसने मेरे पुत्र का अपहरण किया है |. इसे दंड दीजिये और मुझे मेरा पुत्र वापस दिलवाइए |
राजा ने व्यापारी पुत्र से उसका पक्ष पूछा, तो वह बोला,… “मैं नदी किनारे साहूकार के पुत्र के साथ बैठा हुआ था. तभी एक बाज़ उसे उठाकर उड़ गया |
राजा को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ |, ..राजा ने कहा…“ऐसा कैसे हो सकता है ? एक युवा लड़के को भला बाज़ कैसे उठाकर ले जा सकता है ? तुम झूठे बोल रहे हो |”
“यदि बीस किलो का मेरा लोहे का तराजू साधारण चूहे खा सकते हैं, तो बाज़ भी सेठ के लड़के को उठाकर ले जा सकता है….” व्यापारी पुत्र बोला और तराजू वाली बात राजा को बता दी |
राजा को सारा माज़रा समझते देर नहीं लगी | उसने साहूकार को फ़ौरन व्यापारी पुत्र का तराजू वापस करने का आदेश दिया |.
साहूकार ने तराजू वापस कर दिया |. तब व्यापारी पुत्र ने भी साहूकार के पुत्र को गुफ़ा से बाहर निकालकर घर भेज दिया |
इसी को कहते है जैसे को तैसा मिला…
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Categories: story
Good morning mem
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Very Good morning..
Stay blessed..
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Sorry good morning sir
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it’s ok.
you read my blog, that is important.. hahahaha..
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I can’t read to be less busy, otherwise I slept after reading my friends post,
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It is obvious ,
But you are so active..
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By chatting with you, I know that you are a good and happy person. Be a moody person, may God keep you happy always
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Thank you so much..
It is my endeavor to share happy moments
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Nice story
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Thanks for your stay ,
Stay connected and stay happy..
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Good morning my dear sir
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Sir good morning
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Very Good morning..
Stay blessed..
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Very nice story. Tit for tat.
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Yes sir,
There is a lesson in this story..
Thanks for sharing your views..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
ढल जाती है हर चीज़ अपने वक़्त पर,
बस एक व्यहार और लगाव ही है जो
कभी बुढा नहीं होता ….
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