# एक कहानी सुनो # ..7

शिक्षक की गुरु दक्षिणा

क्या दूँ गुरु – दक्षिणा , मन ही मन मैं सोचूं

चूका न पाऊँ ऋण तेरा अगर जीवन भी अपना दे दूँ ..

दोस्तों,

आज मैं  एक ऐसी घटना का ज़िक्र करने जा रहा हूँ.. जिसमे एक सच्चे गुरु और सच्चे शिष्य की कहानी है | आज की परिस्थिति में जब गुरु शिष्य का सम्बन्ध पैसों  की  चमक दमक में तार – तार हो रहा है, तब यह कहानी  गुरु शिष्य के सच्चे प्रेम को रेखांकित कर इस परंपरा को एक नई पहचान और सम्मान दे रहा है |

शांति देवी अपने पति को बोली… अजी सुनते है,  राहुल के दफ्तर में उसका टिफ़िन पहुँचा दीजियेगा ? .

क्यों,  वह अपने साथ टिफिन नहीं ले गया … रामेश्वर प्रसाद ने पूछा |

नहीं , आज राहुल का उसके बॉस के साथ मीटिंग थी, इसलिए वह जल्दी निकल गया |

शांति देवी को लग रहा था कि पतिदेव कल की बातों से नाराज़ होंगें तो शायद उसके टिफिन ले जाने से मना कर देंगे |

सही तो है, आज कल के बच्चे अपने बाप – माँ की भावनाओं को क्यों नहीं समझ पाते ?

कल ही की तो घटना है …

राहुल हमेशा अपने पिताजी पर ताने कसता  रहता है | आज भी उसने वही  बाते दोहराई थी  |

माँ…. मेरा दोस्त अजय के पिता भी एक टीचर थे | देखो,  उनके पास एक आलीशान बंगला है , गाड़ी है ….,  हमारे पास क्या है ?

आज भी हम किराये के मकान में रहते है … राहुल ने  बात छेड़ते हुए गुस्से से कहा |

शांति देवी अपने बेटे को समझाते हुए बोली… राहुल, तुम्हे पता नहीं शायद | तुम्हारे पिता जी  घर में सबसे बड़े थे |  इसलिए दो बहनें  और दो भाइयों की शादी उन्हें ही करनी थी  और साथ  में तुम्हारी पढाई का खर्चा भी था |

तुम्हारी बड़ी बहन की भी तो शादी करनी थी  | किसने किया है यह सब ?

क्या फायदा यह सब करने का | वो लोग तो बंगले में रहते है ..कभी उन्होंने सोचा है कि उनका बड़ा भाई आज भी किराये के मकान  में रहता है | उसके लिए एक छोटा सा घर ही खरीद  कर दे दे |

इतना सुनकर शांति की आँखों में आँसू आ गए | उन्हें समझ नहीं आ रहा था मेरे घर में जन्म लिया मेरा बेटा अपने बाप के बारे में कैसी बाते  कर रहा है |

फिर कुछ सोच कर बोली…  तुम्हारे पिता ने अपना  कर्त्तव्य निभाया है |

उन्होंने अपने भाई बहनों से कभी किसी चीज़ की उम्मीद नहीं की |

राहुल गुस्से में पागलों जैसा बोल रहा था.. अच्छा  वो तो ठीक है |

पिता जी लड़कों को टयूशन (tuition)  भी लेते थे उससे अगर टयूशन के पैसे लिए होते तो आज पिता जी पैसों की बिस्तर पर सोते | आज कल के शिक्षक टयूशन के पैसों से इम्पोर्टेड गाड़ियों में घूमते है |

बेटा, तुम्हारे पिता के कुछ उसूल थे कि ज्ञान बांटने के पैसे नहीं लेंगे |

इसीलिए  तो उन्हें अपने कामों के लिए ढेर सारे  पुरस्कार मिले, पता भी है तुम्हे ?

क्या फायदा इन पुरस्कारों का …. ..राहुल गुस्से में जोर से चिल्ला कर कहा | क्या उन पुरस्कारों से हमारा मकान बनेगा ? वो पुरस्कार तो पड़े – पड़े धुल खा रहे है उस कबाड़ख़ाने में | कोई नहीं पूछता है उनको |

तभी दरवाजे की बेल बजी,  और पिताजी घर के अन्दर दाखिल हो गए |

कहीं पिता जी ने सारी बातें सुन तो नहीं ली ..ऐसा सोच कर राहुल का चेहरा उतर गया |

लेकिन पिताजी किसी से बिना बात किये ही अपने कमरे में चले गए |

शांति देवी इन्ही  सब बातों में खोई थी तभी  रामेश्वर जी बोले.. अरे भाग्यवान,  अब टिफिन तो दो |

उन्होंने टिफिन अपने साइकिल में लगाया औए चल दिए राहुल के ऑफिस की ओर |

चिलचिलाती धुप में चलते हुए वे राहुल के ऑफिस में पहुँच गए |

कड़ी धुप होने के कारण वे थक  गए थे |  लेकिन ऑफिस पहुँचने पर गेट पर तैनात सिक्यूरिटी गार्ड ने उन्हें रोका और पूछा… क्या काम है ?

राहुल सर को टिफिन देना था , क्या मैं अन्दर जा सकता हूँ .. रामेश्वर जी ने पूछा |

नहीं नहीं,  आप अभी अन्दर नहीं जा सकते |  वे अभी बॉस के साथ मीटिंग में है | जब मीटिंग ख़त्म होगी तब दे देना  |

अब  हटो यहाँ से | , बॉस को  तुम्हे यहाँ दिखना नहीं चाहिए | अगर उन्होंने देख लिया तो मुझे बहुत डांट पड़ेगी |

रामेश्वर प्रसाद  कुछ ही दुरी पर धुप में खड़े रहे | मीटिंग एक घंटे से ऊपर तक चली | धुप में खड़े खड़े उनके पैर में दर्द होने लगा |

तभी ऑफिस के केबिन का दरवाज़ा खुला | ,बॉस के पीछे पीछे राहुल भी चल रहा था |

गेट के पास धुप में खड़े एक व्यक्ति को देख कर बॉस  गेट की ओर बढ़ गए |

वे  गेट की तरफ आये  और अपनी गाडी में न बैठ कर  सामने खड़े व्यक्ति के बारे में बॉस ने  गार्ड से पूछा….वो वहाँ खड़ा व्यक्ति कौन है ?

गार्ड ने जबाबा दिया…ये राहुल सर के पिता जी  है | वे टिफिन देने आये थे |

तुम  बुला कर लाओ उन्हें |

तभी राहुल की नज़र अपने पिता पर  पड़ी  और वो घबड़ा गया | उसके तो पसीने छूटने लगे | उसे अपने पिता पर बहुत गुस्सा आ रहा था |

गार्ड के बुलाने पर रामेश्वर जी अन्दर आए |

बॉस उनको ध्यान से देझते हुए आश्चर्य से  पूछा… आप रामेश्वर प्रसाद  सर है ना ? सरकारी स्कूल में आप टीचर थे ना ?

हाँ, पर आप कैसे पहचानते है मुझे ?….रामेश्वर प्रसाद  ने आश्चर्य हो कर पूछा |

कुछ समझने से पहले ही,  बॉस ने रामेश्वर जी के पैर छुए | यह देख कर वहाँ खड़े लोग हक्का – बक्का रह गए |

सर, मैं मनीष कुमार, ….आपका स्टूडेंट था |  मुझे पढ़ाने के लिए आप मेरे घर आते थे |

हाँ – हाँ, याद आया |  बाप रे,  तुम तो बहुत बड़े आदमी बन गए हो |

सुनकर मनीष  मुस्कुराया और उनसे कहा… सर,  आप धुप में यहाँ क्यों खड़े है ? चलिए अपने ऑफिस में |

उसने अपने सर को हाथ पकड़ कर अन्दर ले जाते हुए कहा .. बहुत सारी बातें  आप से करनी है |

मनीष  सिक्यूरिटी गार्ड  को डांटते  हुए कहा.. .तुमने इन्हें अन्दर क्यूँ नहीं बैठाया ?

गार्ड ने अपनी गलती को मान सिर  झुका  लिया और कहा …सर, मुझसे गलती हो गई |

नहीं – नहीं,  इसकी कोई गलती नहीं है | आपको डिस्टर्ब न हो इसलिए मैं ही बाहर खड़ा हुआ था ..रामेश्वर जी ने ज़ल्दी से कहा ||

ठीक है सर |  इतना  बोल कर मनीष  उनको लेकर अपने चैम्बर में आया |

बैठिये सर, अपनी कुर्सी की ओर इशारा करते हुए मनीष  ने कहा |

नहीं – नहीं, ये कुर्सी तो तुम्हारी  है …. रामेश्वर जी सकुचाते  हुए बोले |

सर,  आप की वजह से ही तो यह कुर्सी मुझे  मिली है | इसलिए सबसे पहले इस पर आपका हक़  बनता है |  इतना बोलकर ज़बरदस्ती अपनी कुर्सी पर उन्हें बिठा  दिया और उपस्थित लोगों से बोला… शायद आप लोग को पता नहीं, … अगर सर नहीं होते तो आज यह कंपनी नहीं होती | मैं अपने पिता के साथ उनकी दूकान में बैठा होता |

राहुल आश्चर्य से अपने पिता की ओर देखता ही रह गया |

स्कूल के दिनों में,  मैं  एक मामूली स्टूडेंट था |  मुझे पढाई में बिलकुल मन नहीं लगता था | मेरे marks बहुत कम आये तो मेरी माँ  मुझे सर के पास ले गई  और मुझे  टयूशन पढ़ाने के लिए आप से निवेदन किया |

लेकिन सर के घर में जगह नहीं थी इसलिए वे मेरे घर मुझे पढ़ाने  आते थे | लेकिन सर ने कभी फीस नहीं ली |

सर के पढ़ाने के तरीके से  मुझे धीरे धीरे पढाई में रूचि आने लगी | मैंने दंसवी में दूसरा पोजीशन प्राप्त किया |

मेरा रिजल्ट देख कर मुझे खुद भी विश्वास नहीं हुआ था |

सर ने कभी आप से फीस नहीं ली ?…. पास खड़े मेनेजर ने आश्चर्य से पूछा |

मैं माँ के साथ मिठाई लेकर सर के घर गया था |  मेरी माँ ने ५०,००० रूपये  का चेक सर को दिया , लेकिन सर ने नहीं लिया था |

सर ने एक बात कही थी जो आज भी मुझे याद है |  इन्होने मेरी माँ से कहा था … मैंने कुछ नहीं किया …आपका बेटा ही होशियार था |

मैंने सिर्फ उसे रास्ता दिखाया | मैं ज्ञान बेचता नहीं बल्कि  दान करता हूँ |

मैं ने आगे  की पढाई के लिए फिर अमेरिका चला गया और वापस आने के बाद यह कंपनी शुरू की |

सच, एक पत्थर को सर ने हीरा बना दिया | सर,  आपको सचमुच दिल से प्रणाम |

उसकी बातों को सुन कर रामेश्वर प्रसाद की आँखों में आँसू आ गए |

यह तो सचमुच कमाल की बात है, बाहर दुनिया में तो पढाई का बाज़ार चल रहा है और इन्होने फीस के एक पैसा भी नहीं लिया … मेनेजर साहब ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा .| मान गए सर को. ..ऐसे लोग उसूल के पक्के होते है |

इन्हें पैसों और पुरुस्कार की भी चाह नहीं होती | इन्हें तो बस अपने  स्टूडेंट का भला हो,  यही दिन रात सोचते है |

ठीक कहा सर आपने, ऐसे लोग तो दुनिया में बहुत कम होते है |

फिर मनीष ने रामेश्वर प्रसाद से पूछा …..सर,  आज भी क्या आप  उसी किराये के मकान में रह रहे है ?.

पिता की जगह राहुल ने ही ज़बाब दिया .. .हाँ सर, हमलोग उसी किराये के मकान में रहते है |

आज मैं अपने सर को  गुरु-दक्षिणा दूंगा | इस शहर में मेरे कुछ फ्लैट है | उस में से एक फ्लैट मैं सर के नाम कर रहा हूँ .. मनीष ने सर की ओर देखते हुए कहा |

क्या…?? …रामेश्वर प्रसाद  और राहुल  दोनों एक साथ चौक उठे  |

इतनी बड़ी  गुरु दक्षिणा मुझे नहीं चाहिए .. रामेश्वर प्रसाद बोले |

सर , प्लीज़ आज आप इनकार मत कीजिये. |

काम के चक्कर में मैं अपनी  गुरु -दक्षिणा  देना भूल गया था |

बहुत  बहुत शुक्रिया सर, ….. राहुल ज़ल्दी से बोला |

शुक्रिया मुझे नहीं,  अपने पिता जी  को कहो राहुल |

और मुझसे एक वादा करो .. कि  तुम अपने पिता के अंतिम सांस तक उनके साथ रहोगे |

जी सर, मैं वादा करता हूँ | राहुल इमोशनल हो गया और उसकी आँखों से आँसू बह निकले  |

दोस्तों,  आप अपने पिता जी  से कभी भी यह सवाल मत करना  कि उन्होंने आप के लिए क्या किया और क्या कमाया  है |

जो भी कमाना है अपने दम पर कमाओ | जो उन्होंने हमें पढाई और संस्कार दिए है वही हमें अपने ज़िन्दगी में आगे बढ़ने में और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा |

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Categories: motivational

18 replies

  1. Guru Sisya Parampara. Aaj Kal to nahi milati. Kahani Bahut Badhia.

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  2. बहुत ही सुंदर व प्रेरणादायी कहानी 👏👏😊🙏🏼

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    • बिलकुल सही,
      यह कहानी हमें बहुत बड़ी शिक्षा देती है |
      आपने अपने विचार शेयर करने के लिए
      बहुत बहुत धन्यवाद /

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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  4. What do you think about Binary Option Trade

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  5. Hope you are safe from this Corona virus of a thing over there

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  6. Can you send me your WhatsApp number

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  7. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    It is not important in Life that who is Ahead of us or
    who is Behind us ?
    What truly matters in Life is…who is with us.
    Stay happy…..Stay Blessed..

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