चार दिन की ज़िन्दगी …हँसी ख़ुशी में काट लें ,
मत किसी का दिल दुखा ….दर्द सब के बाँट लें ,
कुछ नहीं है साथ जाना …एक नेकी के सिवा ,
कर भला होगा भला …गाँठ में ये बाँध ले….||
Be happy….Be healthy….Be alive…

हल्की सी आहत भी होती है तो जाग जाता हूँ मैं
शायद अभी भी कायम है दिल में उम्मीद तेरे लौट आने की
पत्थरों का शहर
उस चाय वाले को समझते देर नहीं लगी कि भाइयों में झगडा हुआ है | इसलिए वह बोला .. आप सही बोल रहे है …जहाँ दिल नहीं मिलता वहाँ जाने की इच्छा नहीं होती है | छोडिये इन बातों को, आइये इस चूल्हे की आग से अपनी ठंढक को भगाइए | और एक स्टूल राजेश्वर को बैठने के लिए दिया |
धन्यवाद भाई , तुमने इस ठण्ड वाली रात में मुझे बहुत मदद की है |
अरे भाई, इंसान ही तो इंसान के काम आता है …चाय वाले ने कहा |
फिर कुछ देर यूँही बैठे रहने के बाद चाय वाले ने पूछा …आप तो किसान लगते हो , खेती करते हो क्या ?..आप के चेहरे से लगता है कि आप खेती करते है…
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