कभी आशा की ख़ुशी , ..कभी निराशा का गम
कभी कुछ खो कर… कभी कुछ पाने की आशा
शायद यही है ज़िन्दगी की परिभाषा …

तुम बिन जाऊं कहाँ
रामवती के मन में एक द्वंद चल रहा था…उसकी आँखे कह रही थी कि इस तस्वीर में “रघु” ही है | लेकिन दिल मानने को तैयार ही नहीं था | वो सोचने लगी….भगवान् उसके साथ इतना बड़ा मजाक क्यों करेगा |
सुमन ने मुझे और मेरे बच्चे की जान बचाई है और अपने घर में पनाह दी है | अपने सगे से भी ज्यादा मानती है ….उस पर यह आरोप कैसे लगा सकती हूँ कि … तुम वही जादूगरनी हो, जिसने मेरे पति को फांस रखा है |
उस बेचारी का तो जीवन पहले से ही संघर्ष पूर्ण रहा है | वो एक ऐसे समाज में, जहाँ अबला नारी को पग पग पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, , अपने को स्थापित करने में लगी है और .अपना सिर उठा कर इज्जत से जी रही है, |
इतना ही नहीं मुझ जैसे अंजान और…
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