
पिछले कुछ दिनों से सारे समाचार माध्यमों में एक खबर सुर्ख़ियों में है …
नदी में तैरते लाशों के सम्बन्ध में |
ऐसा समाचार सुन कर मन विचलित हो जाता है | यह कैसा समय आ गया है , आदमी हर पल बस अपने मौत के आने के डर से तिल – तिल कर मर रहा है |
उसे ऐसा लग रहा है कि अगर करोना का ग्रहण लगा तो बचाने के लिए कोई नहीं आएगा .., ना सगे सम्बन्धी आएंगे और ना ही इलाज़ की सुविधा मिलेगी |
यहाँ हमें एक पुराने गीत की पंक्ति याद आ रही है ….
रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा ...
हंस चुगेगा दाना दुनका , कौवा मोती खायेगा.
इसका तात्पर्य यह है कि एक समय ऐसा आएगा, जब योग्य व्यक्तियों की उपेक्षा होगी एवं अयोग्य व्यक्तियों को, अन्य कारणों से, महत्वपूर्ण पद और स्थान सौंपे जाएंगे । इस कारण अराजकता फैल जाएगी और प्रगति रूक जाएगी ।
क्या वह कलियुग आ गया है ? क्या हम उसी कलियुग में जी रहे है ?

इस युग में तो लोग स्वार्थी अधिक हो गए हैं । लोग अपने लाभ के लिए दूसरों की हत्या कर देते हैं | लोगों के दिल से ईमानदारी का शब्द गायब हो गया है ।
सत्य पर चलना नहीं चाहते हैं, क्योंकि हमें लगता है कि ईश्वर का ही श्राप है कि जो कलयुग में सत्य बोलेगा वह कष्ट उठाएगा । जो झूठ बोलेगा वह राज करेगा |
इसलिए बुरे लोग झूठ बोल कर के अपना वर्चस्व स्थापित कर रहे है । लेकिन सत्य सत्य होता है और झूठ झूठ होता है ।
मनुष्य जीवन के अंतिम क्षणों में सत्य की पहचान करता है और तब की गई गलती और झूठ पर पश्चाताप करता है ।
आज हमलोग अपनी आँखों से नदी में तैरती हुई बहुत सारी लाशों को देखकर भी स्वयं के भविष्य के बारे में सोचने में असमर्थ है कि शायद कल हमारा भी यही हश्र हो |
यह सत्य है कि जो इस पृथ्वी पर आया है उसे एक न एक दिन जाना पड़ेगा। लेकिन फिर भी मनुष्य झूठ की रस्सी पर चल रहा है, और ज्यादा पैसे कमाने की लालच में ..ऑक्सीजन , और दवाइयां का कालाबाजारी करने पर तुला है |
कई ऐसे हॉस्पिटल और डॉक्टर है जिन्हें मरीजो की जान बचे या ना बचे, उन्हें तो बस ज्यादा से ज्यादा बिल बनाने की चिंता है |
आज के हालात ऐसे है कि मरने के बाद भी चिता को अंतिम क्रिया कर्म करने के लिए न सिर्फ सिफारिस का सहारा लेना पड़ता है बल्कि नाजायज पैसे भी खर्च करने पड़ते है |
और जिनके पास सिफारिस या पैसे नहीं होते है …वे शवों को या तो बालू में गाड रहे है या नदी में प्रवाहित कर रहे है |

इन्ही सब कारणों से शायद गंगा और दुसरे नदियों में बहने वाले शवों की संख्या बढती जा रही है |
इसके आगे की हकीकत को जान कर मेरी आत्मा काँप गयी | इतने वर्षो की अपनों ज़िन्दगी में ऐसा समय नहीं देखा था |
एक सप्ताह पहले तक मेरे एक मित्र मेरे व्हाट्स -अप पर मेरे पोस्ट किये हुए ब्लॉग पर अपनी रोज प्रतिक्रिया दिया करते थे | लेकिन अचानक एक दिन उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया |
मुझे लगा कि वह व्यस्त होंगे .. लेकिन जब दूसररे दिन भी मेरा मेसेज उन्होंने नहीं खोला तो मुझे चिंता होने लगी | मैंने तुरंत फ़ोन लगाया लेकिन बात नहीं हो सकी |
फिर मैं किन्ही अन्य स्रोत से उनके बारे में खोज खबर लिया | मुझे बताया गया है कि उनको कोरोना हो गया है और हॉस्पिटल में भर्ती है |
मैं ने उनके व्हाट्स अप पर लिखा ... Get well soon,
वह मेसेज तो पढ़ा गया , लेकिन कोई जबाब नहीं आया | मुझे उनके स्वास्थ की चिंता थी, इसलिए रोज उनके बारे में पता करता था |
दो दिनों के बाद ही पता चला कि उन्हें I C U में ट्रान्सफर कर दिया गया | मैं उनसे मिलना चाहता था, उनसे बात करना चाहता था.. उन्हें हिम्मत बढ़ाना चाहता था कि वे जल्द ठीक हो जायेंगे, .. लेकिन मुझे पता था कि यह संभव नहीं है | और मैं ऐसा कुछ नहीं कर सका |
दो दिनों के बाद वे वेंटीलेटर पर चले गए और फिर अगले दो दिनों के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया |
यह घटना क्रम इतनी तेज़ी से चला कि विश्वास कर पाना मुश्किल था | तबियत बिगड़ने के बाद ऑक्सीजन के लिए जद्दोजहद और फिर हॉस्पिटल में बेड के लिए सिफारिस,…. फिर वो दवा तो काफी ऊँचे दाम में ब्लैक में लिया गया… .इतनी परेशानी उठाने के बाद भी हम लोग असहाय उन्हें जाते हुए देखते रह गए |
इसके आलावा जब भी व्हाट्स अप और फेस -बुक खोलता हूँ तो वहाँ भी कोरोना के कारण अपनों के मृत्यु के समाचार से भरे पड़े मिलते है |
मैं इन घटनाओं से आहत तो था ही तभी मैंने ने पढ़ा ….बिहार और उत्तर प्रदेश इलाके के गंगा नदी में तैरती लाशें दिख रही है | कुछ ही देर में चर्चा होती है कि यह मेरे राज्य का नहीं है | इसकी हकीकत जानने के बजाये लोग बयानबाजी कर अपना पल्ला झाड़ने में लगे रहे | लोग तरह – तरह की बातें कर रहे है | ..
कोई कहता है कि कोरोना फैलने के डर से और जलाने की समुचित व्यवस्था ना होने कारण लोग लाश को गंगा जी में बहा रहे है | आज मरने के बाद उनकी अंतिम क्रिया – कर्म करने में असहाय महसूस कर रहे है | उनकी आत्मा को शांति कैसे मिलेगी ?
नदी में तैरते लाशों के कारण पानी के प्रदुषण की समस्या बन गई है | अब तो भगवान् ही मालिक है |
बस अब भगवान् से यही प्रार्थना है कि हम सब पर कृपा दृष्टि बनाएं ताकि यह रोग दूर हो सके |
साथ ही भटके हुए इंसानों को सद्बुद्धि दे ताकि आने वाले समय में वो कफ़न चोर वाली भूमिका ना कर… ज़रूरतमंदो की मदद करे ताकि मनुष्य और मानवता जिंदा रह सके |
जो इस आफत काल में गुज़र गए उनकी आत्मा को शांति मिले और पुरे परिवार को दुःख सहने की शक्ति मिले .. उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली …

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Categories: मेरे संस्मरण
Maha Kaliyug.Hum padhathe,Abb Dekh.
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Absolutely correct..
What we experiencing these days….
God bless us…
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Correct.Situation is pitiable.
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
दोस्तों,
आज कल स्कूल -कॉलेज खुल रहे है , सभी प्रतिष्ठान खुल रहे है |
लेकिन कोरोना का प्रकोप पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है | हमें अब भी
विशेष सावधानी बरतनी चाहिए | मुझे वह भयावह मंज़र भूलना नहीं चाहिए ,
जो कोरोना ने हमें दिखाएँ है …..
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Thanks for postiing this
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