जीवन है , तो बुरे दिन भी आएंगे …
पर, भरोसा है, ये दिन भी निकल जाएंगे ….

तेरी मेरी कहानी
अब सूरज पूरी तरह निकल चुका था और खोली के अंदर उजाला हो गया था, तभी मेरी नज़र सुमन के चेहरे पर पड़ी..
आँखे सूजी हुई, बाल बिखरे हुए, पागलों जैसी हालत बना रखी थी | शायद रात भर सो नही सकी थी |
सुमन की ऐसी हालत देख कर मुझे आंतरिक पीड़ा हो रही थी ..मैं उसे बाहों से पकड़ कर चारपाई पर अपने पास बैठाया और नाराज़गी से बोला..ये तुमने अपनी क्या हाल बना रखी है।
तुम पर पहले से ही इतना काम का बोझ है और फिर भी तुम हम सब का कितना ख्याल रखती हो | लेकिन तुम खुद पर ध्यान क्यों नहीं देती हो |
अगर तुम्हें किसी बात की कमी है तो मुझे बताओ । उसे पूरा करने के लिए मुझे जान भी देना पड़े तो मैं पीछे नही हटूंगा।
सुमन उसके मुंह पर हाथ रखते हुए बोली ..तुम ऐसी…
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