जीवन के इस कठिन दौर में आप स्वस्थ रहें, मस्त रहें …
इन्हीं कामना के साथ…

होश के साहिल पे मुझको अब ना आने दीजिये,
आज तो बस मस्तियों में ..डूब जाने दीजिये |
आप को भी है खबर ये क्या नशीला दौर है,
आज का ये खुशनुमा ..माहौल ही कुछ और है |
एहसान आप का
आज मुझे नींद नहीं आ रही थी | कल तो इस हॉस्पिटल से नाम कट जायेगा और धारावी में अपनी खोली पर चले जाना होगा |
जैसा कि डॉक्टर साहब बोले है कि अभी घर पर ही आराम करना होगा | लेकिन काम भी तो ढूँढना पड़ेगा |
मेरे पास पैसा भी नहीं है जिससे अपना दवा – दारू और भोजन का इंतज़ाम कर सकूँ | विकास और रघु भी तो अभी अभी नौकरी पकड़ा है | उससे भी पैसे मांग नहीं सकता हूँ |
इन्ही सब बातो को सोचते हुए रात बीत गयी और ठीक से नींद नहीं आयी |
सुबह-सुबह, हरिया आते ही आवाज़ लगाया …रघु भैया…
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