
दोस्तों,
मुझे आशा है आप स्वस्थ होंगे और आपके परिवार में भी सभी लोग स्वस्थ होंगे |
इन दिनों कोरोना वायरस महामारी से देश में डरावना माहौल बना हुआ है। कृपया आप अपना और अपने परिवार का ध्यान रखे और कुछ समय के लिए सार्वजानिक रूप से मिलने से बचें | क्योकि आप मेरे लिए एक अमूल्य धरोहर है |
आज कल मैं समाचार पत्र और टीवी ज्यादा देखने लगा हूँ | इसका मुख्य कारण है कोरोना का आतंक |
जो सुचना समाचार पत्रों के द्वारा मिल रही है उसे पढ़ कर महसूस हो रहा है कि कोरोना वायरस से जंग में सरकार की तमाम कोशिश नाकाम दिखाई दे रहे हैं ।
देश के हालात बेकाबू हो गए हैं ।
लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू जैसे कदम उठाए जा रहे हैं । देश में कहीं ऑक्सीजन की कमी तो कहीं इंजेक्शन की ।
अस्पतालों के बाहर कोरोना मरीजों की मौत की विचलित करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं । आखिर एक साल बाद भी हम कोरोना पर काबू क्यों नहीं पा सके । हमारे देश में कोरोना के मामलों की बढ़ोतरी के पीछे क्या कारण हैं।
इस प्रश्न का उत्तर अगर ठीक से खोजें तो बड़े चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे है |

मैं एक विडिओ देख रहा था जिसमे बताया जा रहा था कि दिल्ली में lockdown की खबर पातें ही वहाँ के लोग शराब की दुकानों में लम्बी लम्बी कतारें लगा कर शराब खरीद रहे है |
और सबसे बड़ी बात covid-19 के लिए सरकार द्वारा बनाई गयी प्रोटोकॉल की धज्जियाँ उड़ा रहे थे | मुझे साफ़ दिख रहा था कि कुछ लोग जो शराब की दूकान पर कतार में खड़े थे उन्होंने मास्क भी नहीं पहना था | सामाजिक दुरी (social distancing) का पालन करना उस बेकाबू भीड़ में संभव ही नहीं था |
यह हमारे देश की विडम्बना है कि इस कोरोना की महामारी में जहाँ लोगों को अपनी जान बचाने के लिए भीड़ मेडिकल स्टोर में देखा जाना चाहिए था , उसकी जगह लोग शराब की दूकान में भीड़ लगाए हुए है |

एक दूसरी विडियो देख रहा था जिसमे दिल्ली बस अड्डे पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था | बस में चढ़ कर मजदूर लोग शायद ज़ल्द से ज़ल्द अपने गाँव – घर लौट जाना चाह रहे है | वहाँ भी कोई नियम का पालन नहीं कर रहा था | बस में ऊपर नीचे ठसम ठस लोग भरे हुए थे |
उनको तो पता होना चाहिए कि ऐसी हालत में खुद ही संक्रमित होकर अपने परिवार के पास पहुँच रहे है | वे खुद तो परेशानी में पड़ेंगे ही, साथ ही साथ अपने परिवार को भी मुसीबत में डाल रहे है, जिसे वे बहुत प्यार करते है |
मुझे पिछली साल वाली घटना की याद आ रही है, जब कोरोना की पहली लहर में लॉक डाउन लगने से लोग पैदल और ट्रक के सहारे मुंबईः और दिल्ली से किसी तरह बिहार और उत्तर प्रदेश में अपने घर तक पहुँच पाए थे | आज वही हालात बनते नज़र आ रहे है |

तीसरा विडियो एक चुनाव रैली की भी देखी | वहाँ भी उसी तरह का दृश्य था | हमें लगता है कि एक तरफ हम कोरोना वायरस से जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे है, डॉक्टर असहाय नज़र आ रहे है, हॉस्पिटल में बेड कम पड़ गए है और दूसरी तरफ लोग खुद ही मौत को दावत दे रहे है |
यह एक ऐसा समय है जब हमारे देश में बहुत सारी धार्मिक गतिविधियां हो रही है और चुनाव भी चल रहे हैं । हमें समझना चाहिए कि जीवन सबसे महत्वपूर्ण है । इन गतिविधियों को प्रतिबंधित तरीके से कर सकते थे ताकि धार्मिक भावना आहत न हो और कोविड के उचित व्यवहार का पालन किया जा सके।
अब सवाल उठता है कि कोरोना की ऐसी भयावह स्थिति के लिए जिम्मेवार कौन ?
ऐसी हालत को देखते हुए मुझे एक कहानी याद आ रही है जिसे आप को भी बताना चाहता हूँ | कहानी को ध्यान से पढ़े और अपनी राय कमेंट्स के द्वारा ज़रूर दें….

एक चोर रात के समय चोरी की नियत से एक मकान की खिड़की से प्रवेश करने का प्रयास करने लगा |
इसी बीच खिड़की की चौखट टूट कर गिर गयी औए इस कारण से उस दुर्घटना में उस चोर की टांग टूट गयी. |
अगले दिन वह अदालत पहुँचा और उस मकान मालिक के खिलाफ अपनी टांग के टूटने का दोष लगाते हुए उसके खिलाफ उस पर मुकदमा दायर कर दिया. |
सुनवाई के दौरान जज साहब ने मकान मालिक को बुलाया और इसके बारे में पूछा |
मकान मालिक ने अपनी सफाई में कहा –.. हुज़ूर, “इसका जिम्मेदार मैं नहीं हूँ बल्कि वह बढई है , जिसने खिडकी बनाई है |
इसके बाद जज ने बढई को बुलाया और उससे भी यही प्रश्न किया |
इस पर बढई ने कहा … – “मकान बनाने वाले ठेकेदार ने दीवार का खिड़की वाला हिस्सा मजबूत नहीं बनाया था. | इसके लिए जिम्मेदार मैं नहीं बल्कि वो ठेकेदार है. |
जब ठेकेदार ने जज से पूछा तो उसने अपनी सफाई देते हुए कहा – ‘ मुझसे यह गलती एक औरत की वजह से हुई, जो वहां से गुजर रही थी | .
वह बहुत सुन्दर दिख रही थी और सुन्दर ढंग से श्रृंगार कर रखा था | उस समय उसने मेरा ध्यान अपनी तरफ खीच लिया था |
जब उस औरत को अदालत में पेश किया गया, तो उसने कहा – ‘हुजुर, उस समय मैंने बहुत बढ़िया लिबास पहन रखा था | आम तौर पर मेरी तरफ किसी की नजर उठती नहीं है | सो, सारा कसूर उस लिबास का है जो इतना बढ़िया सिला हुआ था |
न्यायाधीश ने कहा – ‘तब तो उस लिबास को सीने वाला दर्जी मुजरिम हुआ | उसे अदालत में हाजिर किया जाए |.
जब उस दरजी को पकड़ कर अदालत में लाया गया तो वह उस स्त्री का पति निकला और वही चोर भी था, जिसकी टांग टूटी थी |
दोस्तों, आज के परिवेश में भी लोग अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर डालने में लगे हैं | जब कि सबसे पहले हमें अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए कि गलती हमारी ही तो नहीं है |
कई बार केवल हमलोग सुनी सुनाई बातों पर बिना मनन चिंतन किये यथार्थ पर पहुँचने की कोशिश करते है ….जो कई बार झूठा साबित होता है |
अतः किसी अंतिम निष्कर्ष पर पहुँचने के पहले सारी घंटना और परिस्थितियों का विवेचना ज़रूरी है …
गुज़र जाएगा ….. गुज़र जाएगा
मुश्किल बहुत है
मगर वक़्त ही तो है …
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Categories: आज मैंने पढ़ा
No body takes responsibility. It is our nature to throw responsibility to other. Nice.
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Yes dear,
this is the fact, we create our own problems..
Thank you dear .. stay connected..
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Happiness is the only thing that
multiplies when you share it…
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