दोस्तों, डर बहुत खराब चीज़ होती है | अगर किसी चीज़ के प्रति मन में डर बैठ जाए तो आप का जीना दूभर हो जाता है | उससे पार पाने का बस एक ही रास्ता है कि उसका डट कर मुकाबला किया जाए |
मेरा मकसद यहाँ भाषण देना नहीं है बल्कि मैं अपनी आप बीती सुनाना चाहता हूँ .|
आप सब तो देख ही रहे है कि कोरोना का प्रकोप किस तरह बढ़ रहा है |
मैं पिछले एक साल से डर – डर कर अपनी ज़िन्दगी जी रहा हूँ, क्योंकि लोगों ने शुरू में ही मेरे मन में यह बोल कर डर पैदा कर दिया था कि यह कोरोना सीनियर सिटीजन को अपना शिकार आराम से बना लेता है |
थोड़ी सी भी छींक आ जाती है तो दिल धक् से हो जाता है कि कही कोरोना तो नहीं हो गया |
लेकिन जब वैक्सीन की खोज हुई तो मन की बेचैनी कुछ कम हुई | मैंने मन ही मन फैसला किया कि मुझे वैक्सीन लगवा लेना चाहिए |
घर वाले मना करने लगे | तरह तरह की बातें सुनने को मिल रही थी कि यह वैक्सीन उतना प्रभावशाली नहीं है | वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना हो जा रहा है |
और सबसे बड़ी बात कि वैक्सीन लेते ही अचानक इम्युनिटी घट जाती है, वैसे में कोरोना का खतरा बढ़ जाता है |
मेरे दिमाग में तरह तरह की बातें चल रही थी और तभी मैं अचानक अकेला ही घर से चल कर covid सेंटर पर पहुँच गया | घबराहट तो हो रही थी लेकिन वहाँ लोगों की भीड़ को लाइन में खड़े देखा तो मुझे भी थोड़ी हिम्मत आ गयी |
मैं वहाँ अकेला गया था, कुछ बुजुर्ग तो अपनों के साथ आये हुए थे |
तभी टोकन no. 71 पुकारा गया और मैं हडबडा कर अपने सीट से उठा और वैक्सीन लगवाने नर्स के पास पहुँच गया |
वैक्सीन लगवा कर आधा घंटा ऑब्जरवेशन रूम में रहना था | लेकिन मैं बाहर खुली हवा में कुर्सी पर बैठना उचित समझा | तभी वहाँ के स्टाफ हमारे सामने ट्रे में चाय लेकर आये और मैं चाय पीने से अपने को रोक नहीं सका |
तभी अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि इस सार्वजनिक जगह पर हमें चाय पीने के लिए मास्क नहीं हटाना चाहिए था | यहाँ लोगों की बहुत भीड़ थी | सारे लोग वैक्सीन लेने के लिए जमा हुए थे |
मैं अचानक डर गया और जल्दी से बची हुई चाय वही डस्टबीन (dustbin) में फेक दिया | वापस मास्क पहना और किसी तरह वहाँ डरे हुए आधा घंटा तक ऑब्जरवेशन (observation) में बिताया |
करीब दो बजे दिन में वापस मैं घर आ गया और फिर खाना खा कर आराम करने चला गया | लेकिन अन्दर से डर लग रहा था इन्फेक्शन होने का, क्योकि चाय पिने के लिए उस भीड़ में अपना मास्क हटा लिया था | |
और यह क्या … शाम होते होते मैं बुखार और खांसी से पीड़ित हो चूका था | मेरी चिंता बढ़ना स्वाभाविक था |
मुझे सुगंध या दुर्गन्ध का एहसास भी नहीं हो रही थी । क्या हो गया होगा …. कहीं, .. कहीं..ये वो तो नहीं ?
अरे नहीं – नहीं , वो नही हो सकता । वो अपने ही कुछ लक्षणों के साथ आता है, ..चलो छोड़ो सुगंध आ जायेगी थोड़ी देर में –मैंने अपने मन को समझाया |
….तभी दरवाजे पर धीरे से किसी ने दस्तक दी और फिर तुरंत आवाज़ आयी — अरे सर जी, अब आपको सुगंध नहीं आएगी । और खांसी बुखार भी नहीं जाएगी , क्योकि अब मैं आ गया हूँ | ..
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो कोरोना महाशय खड़े थे । मैंने घबराकर कहा — दरवाज़ा तो बंद है, तुम…, तुम यहाँ कैसे आये ?
वो शायराना अंदाज़ में कहा … तुमने बुलाया और हम चले आए ।
उसकी बेसुरी राग पर मुझे जोर का गुस्सा आया |
जी चाहा कि दरवाजे से उसे बाहर भगा दूँ | परन्तु वो तो मेरे सामने ही कुर्सी पर बैठ गया ,|
मुझे देख मुस्कुराते हुए बोला — आओ बैठो, खड़े क्यों हो ? अब तो मैं आपके साथ ही हूँ ।
मैं ना चाहते हुए भी उसके सामने बैठ गया |
अब तो रोज ही इसको झेलना है अकेले कमरे में ।
मैं वहाँ से उठा और अपने कमरे में आकर कमरे को व्यवस्थित करने लगा | मैं घर के बाकी सदस्यों से अपने को quarantine कर लिया था |
घर के लोग मेरे नजदीक आने से डरने लगे |
कोरोना मुस्कुरा रहा था | अचानक वह गाने लगा …, हम तुम एक कमरे में बंद हो …उसका गाना सुनते ही मेरा गुस्सा फुट पड़ा ।
मैंने जोर से उसे डाँटा | लेकिन यह क्या … वह डरने के बजाये मेरी ओर देख कर मुस्कुरा रहा था ।
मुझे सारा दिन खुद पर गुस्सा आ रहा था और सोच रहा था कि कहाँ मुझसे चुक हो गयी ? अब तो मैं कुछ भी कर नहीं सकता था |
शाम को मेरे बेटे ने मुझे डॉक्टर के क्लीनिक में ले गया | डॉक्टर को देख कर वो कोरोना थोड़ा घबराया । उसको घबराता देख मैंने मुस्कुरा दिया ।
मुझमे थोड़ी हिम्मत आ गयी और मैं डॉ के बताये दवाइयां लेने ही वाला था कि उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा…..कुछ नहीं होगा इन दवाओं से | मुझमें बहुत ताकत है। मैं जाऊँगा नहीं ।
वैसे तो मैं मस्तीखोर हूँ पर यूँ शांत प्रवृत्ति का हूँ | बस मैं अपना रूप बदलते रहता हूँ , तभी तो लोग मुझे double mutant virus कहते है |
वैसे मैं बहुत ज़िद्दी हूँ, अगर मैं जिद पर आ गया तो तुरंत ही शमशान घाट भी पहुँचा देता हूँ |
मैं उसकी बातें सुन कर अन्दर तक डर गया | फिर भी मैंने हिम्मत कर उससे कहा …अब देख तू , बहुत जल्दी तुम्हे यहाँ से भगाने का इंतज़ाम करता हूँ | तू बहुत ज़ल्दी समाप्त हो जायेगा |
वो मेरी बात सुन कर मुझे देखते हुए फिर मुस्कुरा दिया | इस बार उसको मुस्कुराता देख मुझे गुस्सा नहीं आया बल्कि , मेरे चेहरे पर भी कुटिल मुस्कान आ गयी | क्योकि मैंने भी उसे ठिकाने लगाने को ठान लिया था |
मैंने उससे पूछा …. तुम यहाँ आए कैसे ?
मैंने तो मास्क भी लगाया था, सेनेटाइज भी किया था , सारे नियमों का पालन भी कर रहा था | फिर भी कैसे आए तुम ?
वो इत्मीनान से बोला … तुमने सब किया पर बाहर वालों ने तो नहीं किया था न । जब तुम covid सेंटर में मुफ्त की चाय पीने के लिए मास्क हटाया था न |
आज कल लोग भले ही मास्क लगाते हो , लेकिन फेसबुक पर पोस्ट करने के लिए अपनी सेल्फी लेते है तो शान से मास्क को हटा देते है ताकि फोटो सुन्दर आ सके |
अब तुम ही लोग चिल्लाते हो कि मैं (कोरोना) चुनावों , रैलियों , जुलूसों में नहीं जाता , मुझ पर जोक्स बनाते फिरते हो | पर ये क्यों नहीं समझते कि मैं तो मंच पर भी रहता हूँ, कुम्भ मेला में भी हूँ , नेता के भाषण में भी हूँ , कहाँ नहीं हूँ मैं .. सिर्फ तुमलोगों को दिखाई नहीं देता हूँ |
मैं आश्चर्य और शर्मिंदा हो कर उसकी बातें सुन रहा था । गलती तो मुझसे हुई थी।
मैंने दवाइयां खाई और बिस्तर पर सोने ही वाला था .. कि उस दानव ने मुझे फिर उठा दिया | वो मुझमें घबराहट , बेचैनी करने लगा ।
मुझे बिस्तर से उठने नहीं दे रहा था , वह मुस्कुरा रहा था।
मैं किसी तरह बिस्तर से उठा , पानी गरम कर भाप लेने की कोशिश करने लगा |
तभी इसने फिर अपना खेल दिखाया और मेरी नाक को जैसे पकड़ कर चोक कर दिया । मेरा नाक और गला चोक हो चूका था | मैं घबराता हुआ पूरी ताकत से गर्म भाप को अंदर लेने की कोशिश करने लगा |
नाक खुल चुकी थी लेकिन लगा कि कोई गला पकड़ कर दबा रहा है | मेरे माथे पर पसीना आ गया था । अब वो थोड़ा रुका और मैं हांफने लगा |
मैं उसकी और देखा तो वो भी हांफ ही रहा था शायद । मैं तभी उसका गला पकड़ लिया और जोर से ज़मीन पर पटक दिया |
तभी मेरी आँख खुल गयी, तकिया हाथ से दूर जा गिरा था …शायद यह बहुत भयंकर सपना था |
मैंने घडी को देखा , रात के दो बज रहे थे और मैं बिलकुल स्वस्थ महसूस कर रहा था | बुखार गायब और खांसी भी ठीक हो चुकी थी |
आगे की बात मैं आप सब लोगों पर छोड़ रहा हूँ .. मेरे सपने के बारे में आप अपने ढंग से अर्थ निकल सकते है ..
बस मैं आप सब लोगों से यही विनती करना चाहूँगा कि आप सतर्क रहे, सावधान रहे, और covid से जुड़े गाइड लाइन को पूरी तरह फॉलो करे,..
कल रात सपने में आया कोरोना….
उसे देख जो मैं डरा तो मुस्कुरा के बोला
मैं हूँ कोरोना …मुझसे डरो ना…
कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति,
न चूमते , न गले लगाते हो
ना ही हाथ मिलते हो..
मास्क पहनो , दुरी रखो
इतना तुम करो ना .. मुझसे डरो ना..
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BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
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Categories: मेरे संस्मरण
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Thank you dear ..
Stay connected and stay happy..
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Kya baat hai… Excellent post… well penned sir…
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Thank you dear,
Your words always encouraged me..
Stay connected and stay happy…
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My pleasure sir, to go through your post… 🙂
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thank you dear ..
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I am surprised to note that despite having so many relaxing hobbies like writing motivational blogs, drawing, painting etc you are so scared and frightened due to coronavirus. We should be cautious and take full precautions but not not live in fear or let coronavirus pandemic make us paranoid.
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well said sir,
But I was suffering from fever and cough after taking first dose of vaccine..
and I was in fear as described earlier..
Now I am fit and well on track of motivation..
Thank you sir, stay connected and stay happy…
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Nice feelings about Corona. Enjoyed the writing. Nice.
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yes dear,
This is a satirical story about corona..
Thanks for your support and your beautiful words..
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Thanks for connecting
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Thank you very much…
Stay connected and stay happy…
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thank you dear,,
Stay connected and stay happy…
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In a Book of life , the only rule are ,
Be nice, spread love and smile lots..
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