# मैं कलम हूँ #

रास्ते है तो ख्वाब है ,

ख्वाब है तो मंजिले है

मंजिलें है तो फासले है

फासले है तो हौसले है

हौसले है तो विश्वास है 

मैं कुछ लिखने के लिए अपने कलम  को ढूंढ रहा था, तभी मेरे डायरी के पन्नो के बीच  उससे मुलाकात हो गई .|.

कलम मुझे देख कर सकुचाई तो मैंने पूछ लिया … तुम में और  मुझ में क्या फर्क है ? …

मेरी कलम मेरी ओर देख कर मुस्काई और  फिर धीरे से मेरे कानों में  बोली — 

मैं एक छोटी सी कलम हूँ जो  हर पल एक इतिहास लिख रही हूँ ;  लेकिन इसके विपरीत,  पाँच फीट के तुम इंसान अपने ज़िन्दगी में हमेशा  संघर्ष कर रहे हो ।

मैं कलम हूँ  मैं अपनी इच्छा के शब्दों को लिख सकती हूँ, लेकिन मुझे लगता है तुम्हारी इच्छाएं ही मर चुकी है |

मैंने कहा … ऐसी बात नहीं है …हमारी इच्छाएं तो अनंत है और यही तो हमारे दुःख का कारण है …मैंने ज़ल्दी से अपनी भावना प्रकट कर दी  |

नही , तुम हमेशा अपनी ज़िन्दगी में बस चमत्कार होने की बात सोचते रहते हो |

चमत्कार तो हो चूका है .. .भगवान् ने तुम्हे इंसान बना कर इस लोक में भेजा है , तुम्हारी साँसे चल रही है .. तुम जो चाहो सोच सकते हो ..यह कोई चमत्कार से कम तो नहीं …

मुझे नहीं पता कि तुम सब  जीवन के रूप में इस  चमत्कार को क्यों भूल जाते हैं। और फिर कोई और चमत्कार होने की आश लगाए बैठे हो |.. भगवान् के मंदिर में जाते हो और उनसे चमत्कार  होने की बात मनवाना चाहते हो |

तो मैं क्या करूँ ?

तुम तो जानती हो कि तुम ही मेरी सच्ची दोस्त हो .. तुम तो मेरी भावनाओं को अच्छी तरह समझती हो और तुम ही उसे डायरी में अंकित करती रहती हो |

हाँ, वह तो ठीक है,  लेकिन जब तुमने मुझे सच्चा दोस्त बोला है तो मेरी एक बात मानोगे ..?

ज़रूर मानूँगा .. तुम जो भी कहोगी मैं मानूँगा |

मैं तुम्हें एक तरकीब बताती  हूं….

तुम भुत और भविष्य में  विचरण करना छोड़ दो और हमेशा वर्तमान में रह कर जीवन का आनंद उठाओ |

अपनी पसंद के संगीत का स्विच ऑन करो…. और अपने आप से नृत्य करना शुरू करो । अगर कोई तुम से कारण पूछता है,  तो बताओ ..–., मैं खुश हूँ, — हाँ,  मैं खुश हूँ |…

यह बहुत ही सरल है । इस तरह,  जीवन में खुशी की शुरुआत होती है ।

जो घट चूका है वह अतीत है और जो होने वाला है उसके बारे में जानने का अभी तक कोई टेक्नोलॉजी विकसित नहीं हुआ है |

यह भी सत्य है कि तुम्हारे पास अगर कोई पैसा,  नाम,  और प्रसिद्धि है तो उसे अपने साथ नहीं ले जा सकते ,,, सब यही रह जानी है |

फिर उसके लिए लालच कैसा ? …अहंकार कैसा ?  ज़रा सोचो…ज़रा सोचो…

आओ मेरे साथ , अपनी मुस्कान और नृत्य के साथ अपनी इच्छा के जीवन को अपनी कलम से लिखकर अपनी अन्दर की खुशियों को जगाओ |

याद रखो, शरीर के अंदर प्रजवलित होने वाली अग्नि इतिहास बनाते है और  दूसरी तरफ, शरीर के बाहर घटने वाली बातें सिर्फ  रहस्य पैदा करती हैं।

तुम हमेशा खुश रहो और अपने दोस्त कलम को भी अच्छी बातें अपनी डायरी में लिखने को प्रेरित करो.. .

चलो, फिर  मिलते है ..

………………तुम्हारी कलम ||

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Categories: मेरे संस्मरण

21 replies

  1. बहुत ज्यादा अच्छा। कहानी। लगा। ऐसे ही लिखते रहे

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति 👏👏
    सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण आशावादी जीवन
    जीने का संदेश देती रचना 👌🏼👌🏼😊

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  3. Very well said.

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  4. Very well said.

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  5. Right. Pen is mighter than sword.

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  6. अति उत्तम, वाह वाह क्या बात है सर

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  7. बहुत बहुत धन्यवाद् ,

    आपकी उत्साह वर्धक बातें ही हमारा हौसला बढाती है ..

    आप स्वस्थ रहे …खुश रहे ..और हमसे जुड़े रहे..

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  8. बहुत ही अच्छा लगा

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  9. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    सब सुखी हों , सब निरोगो हों ,
    सब कल्याण का साक्षात्कार करें,
    दुःख का अंश किसी को प्राप्त न हो ..
    आप का दिन मंगलमय हो…

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  10. मै बहुत खुश हूं

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  11. यह तो बहुत ख़ुशी की बात है …हा हा हा

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