
दोस्तों,
बिहार दिवस के अवसर पर मैं चाहता हूँ कि अपने ब्लॉग के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा बिहार से जुडी बातें आप सबों को बताऊँ ..जिससे मनोरंजन के साथ साथ हमारे बिहार के बारे में आप सब लोगों को जानकारी भी हासिल हो |
आज इस कड़ी में “उगना की कहानी” बताना चाहता हूँ |
वैसे तो देश भर में भगवान महादेव के कई प्रसिद्ध मंदिर है और एक मंदिर हमारे बिहार के मधुबनी जिले के भवानीपुर गाँव में स्थापित है |
इस मंदिर को “उगना महादेव मंदिर” भी कहते है और इससे जुडी एक बहुत ही रोचक कहानी सुनने को मिलती है |
ऐसी मान्यता है कि महाकवि विद्यापति मैथिली साहित्य की भक्ति परंपरा के प्रमुख कवियों में से एक हैं जिन्हें मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाना जाता है |
वह भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे और उन्होंने भगवान शिव पर अनेकानेक भक्तिरस गीतों की रचना की है |

ऐसी मान्यता है कि जगत पिता भगवान शिव … विद्यापति की भक्ति और उनकी रचनाओं से बेहद प्रसन्न हो गए |
एक दिन स्वयं भगवान् शिव वेश बदलकर उनके पास चले आए और उनके साथ रहने के लिए भगवान शिव ने विद्यापति के घर में नौकर तक बनने को तैयार हो गए | उन्होंने अपना नाम “उगना” बताया था |
दरअसल कवि विद्यापति आर्थिक रूप से सबल नहीं थे इसलिए पहले तो उन्होंने उगना को नौकरी पर रखने से मना कर दिया |
लेकिन उगना किसी तरह सिर्फ 2 वक्त के भोजन पर उन्हें अपने घर रखने को राजी कर लिए |
ऐसी कथा है कि जब एक दिन विद्यापति राजा के दरबार में जा रहे थे तो तेज गर्मी और धूप से विद्यापति का गला सूखने लगा | मगर उस जंगल में आसपास कही भी जल दिखाई नहीं दे रहा था |
ऐसे में विद्यापति अपने साथ चल रहे उगना से जल लाने के लिए कहा |
तब उगना (शिव ) ने अगल बगल जल की तलाश की और जब कहीं जल नहीं मिला तो पेड़ की ओट में छुप कर उन्होंने अपनी जटा खोली और एक लोटा गंगाजल ले कर आये |
जल पीते ही विद्यापति को गंगाजल का स्वाद आया तो उनके मन में शंका हुई कि इस जंगल में गंगा जल कहाँ से आ गया |

इसके बाद उन्हें संदेह हुआ कि कहीं उगना कोई पहुंचे हुए महात्मा तो नहीं है ….ऐसा सोच कर उन्होंने उगना के चरण पकड़ लिए और कहा … आप कौन है ?.. अपना परिचय दें |
तब भगवान् शिव को अपने वास्तविक रूप में आना पड़ा | इसके बाद शिव जी ने महाकवि विद्यापति से कहा …अब आप मेरे बारे में जान चुके है | लेकिन मुझे आप के संग रहने की इच्छा है |
मैं आप के यहाँ उगना बनकर ही रहूँगा, लेकिन मेरे वास्तविक रूप का किसी को पता नहीं चलना चाहिए |
इस पर विद्यापति ने भगवान शिव की सारी बातें मान ली और पहले जैसा ही साथ साथ रहने लगे | विद्यापति उनको बहुत मानते और सत्कार करते थे |
इस तरह एक नौकर को सिर पर बैठा कर रखना उनकी पत्नी को ठीक नहीं लगती थी |
उनकी पत्नी हमेशा उगना को अपने घर से भगाने की तरकीब सोचा करती थी , क्योकि वे भोजन बहुत करते थे |
एक दिन उगना से कुछ काम में गलती हो गयी, बस मौका मिलते ही उनकी पत्नी ने घर से भगाने के लिए उगना को चूल्हे की जलती लकड़ी से दौड़ा दौड़ा कर मारने लगी |
संयोग वश उसी समय विद्यापति वहां आ गए और यह सब देख कर उनके मुंह से निकल गया …यह क्या कर दिया भाग्यवान ? यह तो साक्षात भगवान शिव है और तुम इन्हें मार रही हो |
मगर विद्यापति के मुख से जैसे ही यह बात निकली तो भगवान शिव तुरंत अंतर्ध्यान हो गए |

इसके बाद अपनी भूल पर विद्यापति बहुत पछताने लगे… उन्हें खोजने के लिए, गाँव – गाँव, जंगल – जंगल भटकने लगे |
उनकी दशा पागलों जैसी हो गयी ..वह हमेशा यही कहते .. .भगवान् शिव, आप कहाँ है ?
मुझसे बड़ी भूल हो गयी, मुझे क्षमा कर दीजिये और इसी पागलपन और शिव के वियोग में उन्होंने एक महाकाव्य की रचना कर दी …..उगना रे मर कती गेला ..
अपने प्रिय भक्त की ऐसी दशा देखकर भगवान शिव को उनके समक्ष प्रकट होना पड़ा | शिव जी ने विद्यापति को समझाते हुए कहा … हे प्रिय, मैं अब तुम्हारे साथ तो नहीं रह सकता हूँ, परंतु उगना के रूप में जो तुम्हारे साथ रहा इसके प्रतीक चिन्ह के रूप में अब मैं शिवलिंग के रूप में तुम्हारे पास विराजमान रहूंगा |
इतना बोल कर वे अंतर्ध्यान हो गए | उसके बाद से ही उस स्थान पर स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हो गए | इस शिवलिंग को उगना महादेव मंदिर के ग्रह गर्भ गृह में स्थापित किया गया |
कवि विद्यापति ने अपने काल में ..अनेको अमर रचनाएं की और वो भी दुनिया में अमर हो गए….
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Categories: infotainment
Facts behind Ugana Mahadev Mandir. Interesting.
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Yes dear,
There are so many intresting stories..We should read
And enjoy the moments..
Thank you for your time and comments..
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Feel good to know about Ugna and Vidyapati. I have read the story about them when I was in school. The memory is revived.
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Yes,
these stories revived our memories. And works as feel good factor..
Thank you for your visit the Blog..
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🙏
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Thank you
Stay connected and stay happy…
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ओम नः शिवाय Good. Afternoon.
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Thank you dear …
Stay connected and stay happy…
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धन्य हैं वो कवि धरा पर
जिनके शब्दो से
देव प्रसन्न हुए थे यहाँ
काश अवतारित हो जाए
पुंन कवि वही
आज विश्व को उनकी जरूरत
बहुत यहाँ।।
कारण छुपे उसमे अनेक
हम व्यर्थ ना लिखते यहाँ
प्रमुख कारण है दृष्टि भृम का
सबकी दृष्टि बदली हैं यहाँ।।
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वाह वाह… बहुर सुन्दर …
बहुत बहुत धन्यवाद …
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आपसे हाथ जोड़ कर विनती है please मेरे द्वारा इस पोस्ट पर की गई टिप्पणी डिलीट कीजिए,please please please
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
सच्चे लोग कभी प्रसंशा के मोहताज़ नहीं होते , क्योंकि
असली फूल को कभी इत्र लगाने की ज़रुरत नहीं होती …
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