
चट्टान_सी सुदृढ दिखती हूँ.. हमेशा- मुस्कुराहट रहती है_ चेहरे पर…
पर_ मैं_भी टूटती हूँ.. बिखरती हूँ., मोम की तरह_ पिघल भी जाती हूँ..
काश! इस बात को_ तुम समझते ..! इस ख़्याल से नम हुए पलकों को…
अपने_ हीं आँचल_से पोंछ फिर मुस्कुरा लेती हूँ_ क्योंकि मैं औरत हूँ |
आनंद एक बहुत बड़ा स्टार बन चूका था | वह दिन रात शूटिंग में व्यस्त रहता था | अब तो वह अपने नम्बर वन की पोजीशन को बनाये रखने के लिए काफी मेहनत करता था | उसका एक एक मिनट कीमती था |
दूसरी तरफ निशा के पास काम का अभाव था और उसकी आर्थिक स्थिति भी धीरे धीरे खराब हो रही थी | आनंद भी अब अपने फ़िल्मी व्यस्तता के कारण निशा के लिए समय नहीं निकाल पा रहा था |
निशा से उसकी दूरियाँ बढ़ने लगी और दूसरी फ़िल्मी हीरोइनों से उसकी नजदीकियां | |
यह तो फिल्म इंडस्ट्री का दस्तूर है कि उगते सूरज को सभी प्रणाम करते है | आये दिन फ़िल्मी पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में आनंद और उसकी सबसे मशहूर हिरोइन स्वीटी के किस्से छपने लगे और लोग भी उन किस्सों को बड़े चाव से सुनने और पढने लगे |
इतना ही नहीं, वे दोनों पार्टी function में भी साथ साथ देखे जाने लगे |

इन सब बातों से निशा काफी परेशान रहने लगी | यहाँ तक कि उसके दोस्त और चाहने वाले यह कहने लगे कि अब आनंद ने तुम्हे छोड़ ही दिया है |
इन सब बातों का गहरा असर उस बेचारी निशा के मन पर पड़ा .. और उसने अपने गम को छुपाने के लिए शराब का सहारा लेना शुरू कर दिया | दिन प्रतिदिन उसकी मानसिक हालत बिगडती चली गयी | उसका कोई ध्यान रखने वाला भी नहीं था |
सचमुच वक़्त का खेल निराला होता है , कभी निशा के पास धन दौलत और फिल्मों में ढेर सारा काम था जिसे ठुकरा कर वह जिसके पीछे भाग रही थी वह आज उससे इस रेस में बहुत आगे निकल चूका था |
कल ही आनंद को एक अवार्ड function में जाना था जहाँ उसे भी अपनी फिल्म के लिए अवार्ड मिलना था | वह इस खबर से बहुत खुश था और आज बहुत दिनों के बाद उसे अचानक निशा की याद आ गयी |
काम की व्यस्तता के कारण काफी दिनों से निशा से उसकी बात नहीं हो सकी थी | उसके मन में यह विचार आते ही आनंद तुरंत फ़ोन लगा कर निशा से बात करने की कोशिश की | लेकिन फ़ोन पर उसे कोई response नहीं मिला तो वह चौक गया |
उसे शायद अपनी गलती का एहसास हो रहा था | उसे समझ नहीं आ रहा था कि उनका फ़ोन स्विच ऑफ क्यों आ रहा है |
आनंद ने उसी समय अपनी गाड़ी निकाली और निशा के घर की ओर चल पड़ा |
जैसे ही वह निशा के फ्लैट में पहुँचा.. तो उसने देखा कि वहाँ लोगों की भीड़ लगी है | सभी लोग तरह तरह की बातें कर रहे है | उसे कुछ समझ में नहीं आया कि निशा के फ्लैट के सामने भीड़ क्यों लगी है ?
तभी किसी ने आनंद की तरफ इशारा कर कहा …. इसी के कारण तो निशा की यह दुर्गति हुई है |
उनलोगों की बात सुन कर आनंद परेशान हो उठा | मेरे कारण निशा को क्या हुआ ?
आनंद वहाँ खड़े लोगों से पूछा. …. निशा कहाँ है ?
निशा की मानसिक हालत बिगड़ गयी है इसलिए हमारे सोसाइटी वाले उसे मानसिक रोगियों के हॉस्पिटल में भरती कराने ले गए है |

हे भगवान्, यह क्या हो गया | जिस देवी जैसी निशा ने मेरे ज़िन्दगी को समाप्त होने से बचाया है, उसकी पूजा करने की जगह मैं ने उसे मौत के मुँह में धकेल दिया है | आनंद को निशा के बारे में सुन कर बहुत दुःख हो रहा था |
उसे महसूस हो रहा था कि फिर उसकी ज़िन्दगी में भी उसी पारिवारिक कहानी की पुनरावृति होने जा रहा है …जो पिता जी ने उसकी माँ और बहन के साथ किया था |
नहीं, मैं ऐसा हर्गिज नहीं होने दूंगा, उसने मन ही मन कहा |
वह ज़ल्दी से अपनी कार में आया और तेज़ गति से कार खुद चलाता हुआ बताये गए मानसिक हॉस्पिटल में पहुँचा |
आनंद के वहाँ पहुँचते ही लोगों की भीड़ लग गयी जो आनंद की एक झलक पाना चाह रहे थे |
वह किसी तरह भीड़ से अपने को बचाते हुए निशा के पास पहुँचा | निशा अपने बेड पर बैठी अपने रूम के छत को निहार रही थी |
आनंद पर नज़र पड़ते ही वह कुछ बोली नहीं बल्कि बिल्कुल उसी तरह खामोश बैठी रही |
आनंद निशा के नजदीक आ कर कहा … निशा, मुझे माफ़ कर दो | मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी है |
निशा उसकी बातें सुन कर भी कुछ जबाब नहीं दिया .. वह सिर्फ सुनी आँखों से एक टक आनंद को देखती रही |
आनंद समझ गया कि निशा को गहरा सदमा लगा है | वह निशा के और नजदीक आया और उसके हाथो को अपने हाथो में लेकर उसे झकझोरते हुए कहा … निशा, तुम मेरी बातों का यकीन करो … मैं आज भी तुम्हारा वही आनंद हूँ |
हमारी ज़िन्दगी तो तुम्हारा कर्ज़दार है | अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं अपने आप को माफ़ नहीं कर पाउँगा और अपने पिता के सामान खुद को गोली मार लूँगा |
इतना सुनते ही निशा के आँखों से झर झर आँसू बहने लगे | वह आनंद से लिपट कर जोर जोर से रोने लगी… शायद आज रो कर वह अपने मन को हल्का करना चाह रही थी |
कुछ देर दोनों यूँ ही एक दुसरे से लिपट कर रोते रहे, तभी डॉक्टर साहब आ गए |

आनंद ने अपने को निशा से अलग किया और डॉक्टर से पूछा… निशा को क्या हुआ है डॉक्टर. ?
डॉक्टर ने बताया… निशा के मन में कोई भारी सदमा लगा है और शराब पीने की लत के कारण मानसिक स्थिति काफी ख़राब हो गयी है | अगर कुछ दिन और ऐसा चलता रहा तो वह पागल भी हो सकती है |
नहीं डॉक्टर, मैं ऐसा नहीं होने दूंगा | इस दुनिया में इसके अलावा मेरा और कोई नहीं है | मुझे इसे किसी भी तरह बचाना होगा … आनंद ने डॉक्टर की ओर देखते हुए कहा |
तो ठीक है, मैं कुछ दवा लिख देता हूँ, आप इन्हें समय पर दवा देते रहें और अच्छे से देख भाल करें … अगर भगवान् ने चाहा तो ये शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएंगी |
बस आप को इन्हें अकेला नहीं छोड़ना है और इनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिताना है …. डॉक्टर साहब ने आनंद को सलाह दिया |
ठीक है डॉक्टर … आप जैसा सलाह देंगें मैं उसी के अनुसार सभी व्यवस्था करूँगा | आप बस अपना best treatment दें | मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि निशा ज़ल्द ही ठीक हो जाएगी |
आनंद डॉक्टर से इज़ाज़त लेकर निशा को अपने साथ घर लेकर आ गया | कल की अपनी सारी शूटिंग कैंसिल कर दिया और सारा समय निशा के साथ ही बिताने का फैसला किया | … (क्रमशः)
धुंध की दीवार – 5 …हेतु नीचे दिए link को click करें ..

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# तुम्हारा इंतज़ार है # ….1
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Categories: story
Very nice
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thank you
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Very good moving to the end.Enjoyed.
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Thank you dear..
Next Blog is the climax of this story..
Hope, you will enjoy..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
मिटटी का मटका और परिवार की कीमत सिर्फ
बनाने वाले को पता होती है , तोड़ने वाले को नहीं |
क्रोध के समय थोडा रुक जाएँ और गलती के समय
थोडा झुक जाएँ …दुनिया की सब समस्या हल हो जायेगी |
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