
हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और
मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते है…
और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता
तो परिस्थितियां हमारा भाग्य लिख देती है …….
आनंद, जिसका आज जन्मदिन है, लेकिन वह अपने को एक कमरे में बंद किये बस आँसू बहा रहा है |
वैसे तो उसके बर्थडे पर सोशल मीडिया के द्वारा उसे बहुत सारी बधाइयाँ मिल रही है लेकिन उसने अपने मोबाइल को स्विच ऑफ़ कर रखा है क्योकि वह नहीं चाहता है कि वे बधाइयाँ उस तक पहुँचे |
हाँ, जो लोग उसे करीब से जानते है , वे सब आज के दिन न तो उससे मिलने आते है और ना फ़ोन ही करते है |
उसकी गर्ल फ्रेंड भी है जो आज के दिन उसके घर में मौजूद है लेकिन वह भी उसके कमरे में नहीं जा सकती |
बेचारा आनंद .. अपने कमरे में चुप चाप बैठ कर मातम मना रहा है और उसने आज के दिन उपवास भी रखा है |
आप सबों के जेहन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसा क्यों ??
आप को कैसा महसूस होगा जब आप के जन्मदिन पर ही आपके माता-पिता और बहन की एक साथ हत्या हो जाए । सचमुच ऐसा सोच कर भी रूह कांप जायेगा ।
लेकिन यह सच है … आनंद के साथ ऐसी घटना घट चुकी है | यह तो महसूस करने की बात है कि जिसके जन्मदिन के दिन ही ऐसी घटना घटी है, उसके ऊपर क्या गुजरी होगी और वह अपने को कितना अभागा समझता होगा।

यह कोई फिल्म की कहानी नहीं है दोस्तों, बल्कि यह एक नायक के साथ घटी सच्ची घटना है।
वैसे तो जन्मदिन ढेर सारी दुआएं और खुशियाँ लेकर आता है .. लेकिन आनंद का तो बीसवां जन्मदिन बहुत सारे गम लेकर आया है इतना कि ज़िन्दगी भर ख़त्म ही नहीं हो सकता है |
आनंद अपने रूम में अकेला बैठा है, उसकी आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहा | वह अपने आँसुओं को पोछता है तभी फैमिली – अलबम पर उसकी नज़र चली जाती है |
धडकते दिल और उदास मन से वह अलबम को सामने रख कर उसके पन्ने पलटने लगता है, और एक एक फोटो को वह गौर से देखता है…… माता – पिता और बहन के साथ सबसे छोटा आनंद …यानी वह खुद |
फोटो में सभी कोई मुस्कुराता हुआ नज़र आ रहा है |
आनंद अलबम के पन्नो को पलटते हुए अपने अतीत में खो जाता है | मम्मी, पापा और उसकी बड़ी बहन एक भरा पूरा और खुशहाल परिवार था |
उसकी मम्मी अपने ज़माने की बहुत सारी बाते आनंद को बताती थी जब वह छोटा था |
पिता धर्मराज एक बहुत बड़े उद्योगपति थे | उनकी शहर में तूती बोलती थी | वे स्वम तो स्मार्ट थे ही, उन्हें भगवान् की कृपा से किसी चीज़ की कमी नहीं थी |
एक बार धर्मराज जी अपने चाहने वालों के सलाह पर एक फिल्म बनाने की सोची | पैसों की कमी तो थी नहीं | उन्होंने अपनी शौक को पूरा करने के लिए एक फिल्म बनाई और वह फिल्म हिट भी हो गयी |
कहते है ना कि जब भगवान् देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है |
सचमुच जिस चीज़ को धर्मराज जी हाथ से छू देते वह सोना हो जाता |

लेकिन इस फिल्म को बनाने के दरम्यान उस फिल्म की हीरोइन से इन्हें इश्क हो गया | धर्मराज जी सुन्दर गबरू ज़वान तो थे ही, दोनों ने एक दुसरे को दिल दे दिया | कुछ दिनों की दोस्ती के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया |
लेकिन यहाँ एक बहुत बड़ी समस्या आ खड़ी हुई |
इस रिश्ते के लिए धर्मराज जी के घर वालों ने साफ़ इनकार कर दिया, क्योकि वे लोग नहीं चाहते थे कि कोई मुस्लिम लड़की इस घर की बहु बने |
उधर लड़की के घर वाले भी नहीं चाहते थे कि उनकी लड़की मुस्लिम समाज को छोड़ कर हिन्दू समाज में शादी करे |
दोनों ने अपने – अपने परिवार को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन उनके घर वाले अपने फैसले पर अड़े रहे |
अंत में उन्होंने अपने प्यार को कुर्बान होने नहीं दिया बल्कि अपने घर वालों के खिलाफ जाकर कोर्ट में शादी कर ली |
एक तरफ धर्मराज जी भगवान् की पूजा करते तो दूसरी तरफ उनकी पत्नी रज़िया चार टाइम नवाज़ पढ़ती | लेकिन इसके बाबजूद उनके प्यार की गाड़ी बड़े प्यार से चल रही थी |
और कुछ दिनों के बाद दोनों के घर वाले भी इस रिश्ते को मंज़ूर कर लिया |
सब कुछ ठीक – ठाक चल रहा था | भगवान् उनलोगों की सभी इच्छाएं पूरी कर रहा था और देखते देखते पाँच साल गुज़र गए, एक बेटे की चाह में | एक बेटी तो थी ही | तभी उनकी यह मुराद भी पूरी हुई | उनके घर एक नन्हे बालक का जनम हुआ | जिसका नाम रखा गया आनंद |
लेकिन कहते है न कि कभी कभी किसी के हँसते खिलखिलाते ज़िन्दगी को किसी की बुरी नज़र लग जाती है |
शायद ऐसा ही कुछ हुआ और सब कुछ होते हुए भी उनकी ज़िन्दगी में कुछ कमी खल रही थी | यह सच है कि फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद धरमराज जी की दुनिया ही बदल गयी | इस माया नगरी को शायद ठीक तरह से समझ नहीं सके |
धर्मराज जी पार्टियों और फ़िल्मी चकाचौंध में खो गए | शराब पीने की लत लग गयी | दोस्त-यार के चक्कर में घर पर ध्यान देना जैसे भूल ही गए |
उनकी पत्नी अपने ज़माने की मशहूर हिरोइन हुआ करती थी , लेकिन उसने अपने परिवार और बच्चो की परवरिस की खातिर फ़िल्मी दुनिया से किनारा कर लिया था |
लेकिन ठीक इसके विपरीत धर्मराज जी अच्छी खासी बिज़नस को छोड़ कर फ़िल्मी लाइन में शिफ्ट हो गए |
यहाँ तो किसी का भी भविष्य निश्चित नहीं रहता है |
इधर लगातार कुछ फिल्मे फ्लॉप हो जाने से वे कुछ कर्जे में आ गए | इस कारण से वे कुछ परेशान रहते और चिडचिडे स्वभाव के हो गए थे | धीरे – धीरे घर में झगडे और कलह बढ़ने लगे |
कभी कभी तो वे गुस्से में आकर अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर अपनी पत्नी को दिखा कर डराते | उनकी पत्नी उनके स्वभाव से वाकिफ थी इसलिए ऐसे मौकों पर डर कर चुप हो जाती |
लेकिन उनकी पत्नी हमेशा अपने पति को जोर देकर अपने बेटे आनंद को फिल्म में लांच करने की बात कहती …लेकिन धर्मराज जी की मज़बूरी थी कि कोई Financer उसके लिए पैसे लगाने को तैयार नहीं हो रहे थे |
इससे धरम्राज़ जी और भी तनाव और चिंता में रहने लगे | शराब की ऐसी लत पड़ी कि जब वे शराब पीते तो इंसान से शैतान बन जाते थे और अपना सारा गुस्सा पत्नी पर निकाला करते |

पत्नी रज़िया को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस मुसीबत से कैसे निकला जाए |
वह इस ढलती उम्र में फिर से फिल्मो की तरफ रुख करने की सोचने लगी, ताकि घर की आर्थिक हालत ठीक हो सके और अपने बेटे को भी किसी तरह फिल्म में लॉन्च किया जा सके |
कुछ दिनों में ही इसके भयावह परिणाम सामने आने लगे | पत्नी को फिल्म में काम करने को लेकर धर्मराज जी को फिल्म नगरी में काफी बदनामी होने लगी |
धर्मराज जी को भी अपनी पत्नी का फिल्म में काम करना पसंद नहीं था | इससे उनको अपनी इज्ज़त खराब होती नज़र आती थी |
इस बात को लेकर घर में आये दिन पति – पत्नी में झगडे होने लगे | आनंद के बर्थडे के दिन भी ऐसा ही हुआ ।
आनंद ने अपने दोस्तों के साथ बर्थडे मनाने के लिए एक होटल में पार्टी रखी थी | वहाँ उसने अपनी 20 वीं बर्थडे बड़ी खूब धूम धाम से मनाई और देर रात पार्टी ख़त्म होने के बाद आनंद अपने घर की ओर चल पड़ा |
इधर उसी समय धर्मराज जी का अपनी पत्नी से साथ झगडा हुआ और झगडे के दौरान वे अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सके |
शराब का नशा तो पहले से उन पर हावी था …. अतः उन्होंने आओ न देखा ताव और अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से पहले अपनी वाइफ को और फिर बेटी को गोली मार दी |
तभी उनको अपनी गलती का एहसास हुआ और वे घबरा कर अपने को एक कमरे में बंद कर लिया |
ठीक उसी समय आनंद अपने दोस्तों के साथ घर पहुँचा | सभी लोग काफी प्रसन्न थे | सभी लोग एक दुसरे को शुभ रात्रि कह कर अपने अपने घरों की ओर रवाना होने वाले थे तभी घर के अन्दर से गोली चलने की आवाज़ आयी |
आनंद और उसके दोस्तों ने गोली चलने की आवाज़ सुन कर चौक गए और घबरा कर घर की तरफ दौडे |
वहाँ का नज़ारा देख कर सब लोगों की रूह काँप गयी | वही ड्राइंग रूम में एक तरफ माँ खून से लथ – पथ तड़प रही थी और दूसरी तरफ उसकी प्यारीं बहन | ….(क्रमशः )

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Everyone is slave of the situation. Nice ending.
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Yes dear,
you are correctly said. .we are the slave of the situation..
Thanking you for your visit in the blog..
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Victim of circumstances that he created. By the way whose true life story is this??
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yes sir,
this story is inspired by by the tragic incidence of kamal Sadana..
please read the full story,
thank you sir,
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A sad story. Often we create our own tragedies. But the past, too, can cast a shadow over the present. Great sketches, by the way!
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well said,
this is a story inspired by the true incidence…
Thanks for your visit and beautiful compliments..
Stay connected and stay happy….
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Bhut hi accha likha hai aapne
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Thank you for your beautiful comments..
Stay connected and stay happy..
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