घर घर की कहानी

सब रंगों का मेल होते है .. दुःख सुख में साथ होते है

बुरे हो या अच्छे …. रिश्ते तो रिश्ते होते है ..

आज मैंने फेसबुक पर पढ़ा , जिसे हमारे एक मित्र ने पोस्ट किया था ..

क्या बताएं दोस्त… जीवन की रफ्तार थम सी गई है |

आज हर परिवार कलह का केंद्र बन गया है |…

जिधर देखो उधर ही यह विकराल रूप धारण कर चुका है |

अब तो घर – घर की कहानी है यह | सचमुच, इस रोजमर्रा के क्लेश ने तो जीना दूभर कर दिया है |

अपनों की जुबान इतनी खुल चुकी है कि थमने का नाम ही नहीं लेती |,

आज आवश्यकताएं इतनी बढ़ गई है कि  उसे पूरा करते करते जीवन का आनंद ही खो जाता है |

 अब तो ज़िन्दगी की असली परिभाषा ही बदल गई है  और इसके महत्व को हम सब भूल गए हैं |

यह सत्य है दोस्तो कि ईश्वर ने मनुष्य को जीवन का आनंद लेने के लिए इस जगत में भेजा था  और  हम ने  दुखों का पहाड़  बना दिया है अपनी  इस खुबसूरत ज़िदगी को |

काश, कोई ऐसा तरीका होता कि मानव बुद्धि समझ पाए कि  जो यही रह जाने वाला है…. क्यों हम उसे इकट्ठा करने में लगे है और जो साथ जाने वाला है …. उसी को हम सब  छोड़ रहे है |

हे ईश्वर, अब तो इस संसार को बचा ले… इंसान को थोड़ी सद्बुद्धि भी दे दे | .

ये मेरे निजी अनुभव है दोस्तो ..  आपके मन में भी कुछ इस तरह के विचार उठ रहे होंगे …. मैं चाहता हूँ कि आप भी अपने अनुभव शेयर करें….मुझे ख़ुशी होगी. |

इस सन्दर्भ में , मुझे एक कहानी याद आ रही है, जिसे  आप सब लोगों को सुनाना चाह रहा  हूँ …..

दोस्तों, थोडा  कष्ट और दर्द ज़रूरी है ज़िन्दगी में | कष्ट हमें  ज़िन्दगी की सच्चाई से अवगत कराती है ..और दर्द से  हमें सिख  मिलती है, अपनों और परायों में  पहचान करने की |

राजेश एक होनहार लेकिन  बेरोजगार युवक था | अपनी पढाई समाप्त कर नौकरी के लिए कोशिश कर रहा था |  तभी उसे एक कंपनी से मैनेजर के इंटरव्यू के लिए ऑफर आया |

राजेश  ख़ुशी ख़ुशी इंटरव्यू के लिए उस स्थान पर पहुँचा | राजेश अपने  सारे राउंड क्लियर करता हुआ  फाइनल राउंड में पहुँच गया | जहाँ फाइनल चयन के लिए उस कंपनी के डायरेक्टर का सामना करना था | वहीँ उसे पता चलना था कि नौकरी उसे मिलेगी या नहीं ?

राजेश ने तो अपनी पूरी तैयारी कर रखी  थी और पुरे आत्मविश्वास के साथ उस डायरेक्टर के सामने पहुँचा |

डायरेक्टर साहब ने राजेश को सामने बैठने का इशारा किया और उसके  मार्कशीट और सर्टिफिकेट चेक करने के बाद कहा .. आपके marks बहुत अच्छे है | आप तो पढाई के साथ – साथ  खेल कूद में भी अच्छे है  |

इतना सुनना था कि राजेश ने गर्व से हाँ में सिर हिलाया | उसे अब  अनुमान होने लगा था कि यह नौकरी  उसे ही मिलने वाली है |

तभी उन्होंने राजेश से अचानक पूछा… आपको अपनी पढाई के दौरान कोई छात्रवृति मिली थी ?

इस पर राजेश ने कहा … जी नहीं, सर  |

डायरेक्टर साहब ने फिर पूछा  …इसका मतलब है कि पढाई का सारा खर्च आपके पिता जी ने ही  वहन किया होगा .|

जी सर,  मेरे  पढाई के खर्चे  के साथ साथ अच्छा कपड़ा , अच्छा खाना सभी कुछ उन्होंने ही दिया है | मुझे अपने पिता पर गर्व है, — .राजेश ने  खुश होते हुए ज़बाब दिया |

क्या करते है आपके पिता जी ? … डायरेक्टर साहब ने पूछा |

मेरे पिता जी दूसरों के कपडे धोते है, …. राजेश ने बेझिझक बताया |

डायरेक्टर साहब  ज़बाब सुन कर कुछ सोचने लगे और फिर राजेश से कहा .. तुम जरा अपनी हाथ तो दिखाओ ?

उनके निर्देश का पालन करते हुए राजेश ने  दोनों हाथ उनके सामने कर दिया |

हाथ को छू कर उन्होंने कहा .–.. वाह, आप के हाथ तो रेशम की तरह नरम और मुलायम है |

अच्छा ठीक है,  मैं आप से कल  फिर मिलना चाहूँगा |

लेकिन इससे पहले मेरा एक काम करेंगे ? …उन्होंने राजेश की तरफ देखते हुए पूछा |

हाँ हाँ , क्यों नहीं सर  | आप बताएं ,,, हमें क्या करना है ? … राजेश ने विनम्र भाव से पूछा |

आज जब आप अपने घर जाएँ  तो अपने हाथो से अपने पिता जी के हाथ धुलवाना |

राजेश को उनकी बातों को सुन कर कुछ  अजीब सा लगा | इन बातों से नौकरी का क्या सम्बन्ध  हो सकता है ?

खैर , डायरेक्टर साहब ने जब कल बुलाया है तो इसका मतलब है मुझे ही नौकरी मिलने वाली है | और वे कंपनी के मालिक है उनका यह छोटा सा काम करने में क्या हर्ज़ है |

राजेश बहुत उत्साहित था और ख़ुशी ख़ुशी अपने घर  आ गया |

आज की  सारी घटना राजेश ने अपने पिता को बताई |

और फिर पिताजी से कहा. –.. पिताजी, आप अपना हाथ मुझे दीजिये |

पिताजी को उसकी बात सुन कर थोडा अजीब लगा और उन्होंने पूछा. …. क्यों ?

राजेश ने  जोर देकर कहा …नहीं नहीं, आप बस अपना हाथ मुझे दीजिये |

वह जैसे ही पिताजी का हाथ अपने मुलायम हाथ में लिया तो उसे अजीब महसूस हुआ | पिता जी के हथेली बिलकुल सख्त और खुरदरे थे, जगह जगह कटे -फटे थे |

पिता जी के  घायल हथेली को देख कर उसे  अजीब सा  महसूस हुआ |

फिर  वह उन्हें हाथ धुलवाने ले गया तो कटे फटे जगहों पर जब साबुन पानी पड़  रहा था तो उस कारण उसमे जो चुभन और दर्द हो रहा था वह उसके पिता जी के चेहरे पर साफ़ झलक रहा था |

हाथ धुलाते – धुलाते राजेश के आँखों से आँसू बहने लगे | यह देख कर पिता जी की भी आँखें नम  हो गयी और वे समझ चुके थे कि उनका बेटा आज उनके दर्द का एहसास कर रहा है., ..  उस दर्द का जो उन्होंने बरसों से छुपा कर रखा था |

वे खुद तकलीफ सहते हुए राजेश को अच्छी परवरिश दिए जा रहे थे |

उसके बाद राजेश और कुछ नहीं बोला |  बचे हुए सारे कपड़ों को खुद ही धोने बैठ गया |

पिता जी ने उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन राजेश नहीं माना |

वह पिता जी को इतना ही कहा … आप वर्षों से इतना कष्ट उठा कर हमलोगों  के लिए यह काम कर रहे है और मुझे कभी कोई काम करने  नहीं दिया | लेकिन  आज बस यह काम मुझे करने दीजिये |

राजेश ने सारे कपडे खुद अपने हाथों से धोये और इतना ही नहीं आज उसने अपने हाथो से पिता जी को खाना भी खिलाया | उसे एक अजीब सी  ख़ुशी महसूस हो रही थी |

अगले दिन  राजेश  डायरेक्टर साहब के चैम्बर में  पहुँचा |

. उन्होंने उसे देखते ही  पूछा ….. राजेश, कल का अपने घर का कैसा अनुभव रहा |..मुझे आप अपने अनुभव शेयर करेंगे  ?

उनकी बात सुनते ही राजेश की आँखों में नमी आ गयी और उसने रुंधे गले से कहा.– .कल का दिन ऐसा दिन था जिसे पहले कभी अपनी ज़िन्दगी में नहीं जिया था |

कल बहुत  सारी चीज़ें सीखी मैंने | वैसे तो मेरे मन में पिताजी के प्रति इज्जत तो थी , क्योंकि उन्होंने मेरे लिए इतना कुछ  किया है |

लेकिन कल की घटना के बाद मेरे दिल में उनके प्रति इज्जत और बढ़ गयी |

क्योंकि मुझे कल पता चला कि उनका काम कितना कठिन है |  

एक दिन के  परिश्रम में ही मेरे हाथ ज़बाब दे गए,  जबकि   वे वर्षो से यह काम करते आ रहे है ,,बिना किसी शिकवा – शिकायत के |

इसके अलावा रिश्तो की अहमियत का एहसास भी कल मुझे हुआ जिसे पहले कभी मैंने महसूस  नहीं किया था |

डायरेक्टर साहब खुश होते हुए बोले … बस, मुझे यही खूबी चाहिए थी, मेरे कंपनी के मेनेजर में | .

जो अपने मातहत काम करने वालों के कष्ट को महसूस कर सके  और उसका व्यवहार अपने लोगों से बराबरी का हो और एक आत्मीयता  भी आपसी संबंधो में दिखलाई पड़े |

अतः इस कसौटी पर मैं तुम्हे  इस नौकरी के लिए बिलकुल उपयुक्त  पा रहा हूँ |..

सचमुच, आज राजेश को  अपनी ज़िन्दगी में एक बहुत बड़ी सिख मिली है कि अपने आने वाली पीढ़ी को सब सुख – सुविधा मुहैया कराने के बाबजूद भी यह भी उसे एहसास कराएँ कि ज़िन्दगी में संघर्ष से ही मंजिल को पाया जा सकता है |

और कठिन परिश्रम,आपसी  भाई चारा और अच्छे संस्कार वे सब गुण है जो आदमी को सफल ही नहीं बनाता  बल्कि महान भी बनाता है |

और यह भी ध्यान रखना है कि हम चाहे कितने भी बड़े बन जाएँ  .. अपने माता पिता,  दोस्त और परिवार के अहमियत और योगदान को नहीं भूलें , जिन्हें हम सीढ़ी  बना कर सातवें आसमान तक पहुँच पाए है .. ..  क्या आप भी सहमत है ??

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Categories: आज मैंने पढ़ा

17 replies

  1. A very wonderful and touching post…thank you very much…
    How good it is that there is a translation help… 😊

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  2. This story brought tears to my eyes. My grandmother was a WWII refugee. In the US, she did menial labor, cleaning the homes of the wealthy. But she taught me the value of education, taught me the meaning of integrity, and taught me to love God through her example. And she sacrificed so that I had the foundation of a sound education to build upon. She never achieved fame or glory. But to this day I love more than I can say. ❤

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    • Really you are lucky to have Grand mother who made you a great human being.
      I salute her..
      this story is heart touching but taught us a lesson . we should take care of our elderly., their sentiments..
      Thanks for visiting my Blog. Stay connected and stay happy..

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  3. Very motivational and heartwarming blog.

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  4. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    I may not always understand God’s plans for me,
    But I will always accept them because his decision
    are better than mine..
    You have an Amazing day ahead..

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  5. आपकी कुछ कहानियां ,ब्लॉग जिनके बारे में मैं विचार किया करती हूं

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