# मेरे अन्दर का र्द्वंद#

कर लबों पे हँसी काबिज़ …दिलों में दर्द रखते हैं,,

जिन्हें मौत नहीं आती…अक्सर हर रोज़ मरते हैं …

 मुझे पता है कि मेरा एक मात्र युद्ध सिर्फ खुद से है, और यह मेरे लिए बहुत महत्व रखता है क्योकि मैं काफी लम्बे समय से लड़ रहा हूँ |

लेकिन अब मुझे एहसास हो रहा है कि मुझे अपने आप से लड़ने की आवाश्यकता नहीं थी |

एक युद्ध जो बाहर से भी लड़ने पड़ते है, उसमे भी मैं बहुत दिनों से शामिल था,  लेकिन मुझे ख़ुशी है कि अब मैं उसे भी समाप्त करने में सफल हो पाया हूँ |

अपने विरूद्ध  किसी युद्ध का लड़ना या ना लड़ना मेरा विशेषाधिकार है |

एक बात और,  

विवाद और संवाद  है तो दो अलग अलग चीजे, किसी भी समस्या को सही ढंग से समझने के लिए,

परन्तु  पहले विवाद आवश्यक है और फिर उन्हें सही ढंग से सुलझाने के लिए संवाद भी आवश्यक है |

और अंत में ,

कभी कभी मन हिटलर भी हो जाता है, और कोई भी विवाद तभी बढ़ता है जब मन उसका साथ देता है … अतः मन को नियंत्रण में रखना अतिआवश्यक है  |

मन में चल रहे युद्ध को या यूँ कहें कि अंतर्द्वंद को  अगर बिलकुल समाप्त कर दिया जाए तो फिर इस ब्यूटीफुल ज़िन्दगी  का सही आनंद ही  ख़त्म हो जायेगा. |

इसलिए ज़रूरी है कि अन्तःमन के  युद्ध  को चलने दिया जाए .. युद्ध  को लड़ा जाए और युद्ध को जीता भी जाये…

हमें इसके लिए कोशिश करते रहना होगा …. क्योकि ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा..  ..

लम्हा लम्हा

लम्हा लम्हा सरकती जाए ज़िन्दगी

कभीं ख्वाहिसों की  हदे पार करती ज़िंदगी

तो  कभी तन्हाइयों  में विचरती ज़िंदगी

लम्हा लम्हा सरकती जाए ज़िन्दगी

कभी दुःख और मुसबित का एहसास है ज़िंदगी

 तो  कभी सितारों भरी रात है ज़िन्दगी

कभी ,तन्हा मचलती जाए ज़िन्दगी,

हाँ, लम्हा  लम्हा सरकती जाए ज़िन्दगी..

लम्हा लम्हा सरकती जाए ज़िन्दगी …

… …विजय

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Categories: kavita

17 replies

  1. Nice song .Meaningful.

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  2. सुंदर विचारों के साथ खूबसूरत कविता का लेखन 👏👏👏👏 सादर प्रणाम आदरणीय 🙏🏼

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  3. प्रिय दोस्त,
    नमस्कार।
    जिंदगी की कोई परिभाषा नहीं होती। इसे सब अपने अपने अनुभव से परिभाषित करते हैं। कोई इसे दुख दर्द भरे लम्हों की जंजीरों में जकड़ी हुई मजबूरी का नाम देता है, तो कोई खुशियों के स्वर्णिम पलों से तराशा गया परमात्मा का अनुपम उपहार मान कर झूमते उछलते पार कर लेने वाला रजत-पथ मान कर मस्त तराने में अपने को डुबो कर पार कर लेने का ज ज्बा रखता है।
    वास्तविकता तो यह है कि हम अपनी यादों में किन पलों को संजोते हैं वही हमारी जिंदगी की परिभाषा होती है। मन में तो और भी बहुत कुछ आता है पर समय कम पड़ जाता है। आज के लिए बस इतना ही।
    तुम्हारा अजीज
    :- मोहन मधुर

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    • तुम्हारी भावनाओं की क़द्र करता हूँ.. सच ज़िन्दगी की कोई एक परिभाषा नहीं होती..चाहे जैसे चाहो परिभाषित कर लो ..
      अगर हमारे पास विकल्प है तो हम क्यों नहीं ज़िन्दगी को सकारात्मक और खुशियों वाला पल बना ले..
      समय छोटा ज़रूर है परन्तु मन नहीं …
      धन्यवाद डिअर ..

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  4. क़तरा-क़तरा गुज़रती जाए ज़िन्दगी
    लम्हों में सिमटती जाए ज़िन्दगी

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  5. बहुत सुन्दर गाना है। वाह-वाह लाजवाब

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  6. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    जो मुझ पे गुज़रती है किस ने उसे जाना है ,
    अपनी ही मुसीबत है , अपना ही फ़साना है ..

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