
दोस्तों,
यह कहानी है एक माँ की , लेकिन उससे पहले मैं दो बातें कहना चाहता हूँ |
वैसे तो बहुत ही छोटा सा शब्द है ‘माँ’… पर इस शब्द के मायने बड़े है …इसमें… स्नेह हैं, ममता है …भावनाये है और शक्ति भी निहित है।
ईश्वर की सबसे शानदार और खुबसूरत रचना है माँ |.
माँ तो प्यार, तपस्या और त्याग की मूरत होती है |
आप अपनी माँ से कितना भी प्यार करें पर माँ का प्यार उससे 9 महीने ज्यादा ही होता है।
आज अचानक उसे माँ की याद आ गयी | वो माँ जिसने ज़िन्दगी भर संघर्ष कर अपने बच्चो को उस लायक बनाया कि उसके सभी बच्चे संस्कारी बने और जिन्होंने समाज में अपनी अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की |
इतना ही नहीं आगे चल कर उनके जीवन में किसी चीज़ की कमी नहीं रही |
उनलोगों ने सोचा कि जिस माँ ने सारी ज़िन्दगी संघर्ष और अभाव में काटें है, अब हमारी बारी है उसे खुश रखने की….. उसे एहसास दिलाने के लिए कि तुम्हारी ज़िन्दगी की तपस्या सफल रही है और अब समय आ गया है …उसके तपस्या का फल पाने का. |

लेकिन शायद नियति ने तो कुछ और ही मंज़ूर कर रखा था | जब उस माँ को आराम करने के दिन आये तो अचानक वह उन सबों को छोड़ कर इस दुनिया से विदा हो गई |..
उन सबों को ज़िन्दगी भर इस बात का अफ़सोस रहेगा … कि वे सभी अपनी माँ की सेवा से वंचित रह गए और वे अपना क़र्ज़ और फ़र्ज़ दोनों ही नहीं उतार सके ,…..उसके क़र्ज़ को हमेशा महसूस करता रहेगा |
आज उन्हीं सब माँ को समर्पित एक छोटी सी कहानी प्रस्तुत करना चाहता हूँ….
जी हाँ दोस्तों ,
भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकते तो उसने माँ को बनाया । वैसे तो हम लोगों के दिलों में इस दुनिया में लाने वाली माँ के प्रति अथाह सम्मान और प्रेम होना स्वाभिक है ..लेकिन कभी कभी हमारी नादानियों की वज़ह से माँ का दिल टूट जाता है और फिर वह क्या सोचती है … आइये एक छोटी से कहानी के माध्यम से जानते है |
एक मेडिकल स्टोर का मालिक, जो नौजवान और हंसमुख तो था ही | साथ ही साथ वह कोमल ह्रदय वाला नेक इंसान भी था |
एक दिन वह अपनी दवा की दूकान में अपने ग्राहक को उसके पर्चे की दवाइयां दे रहा था | सुबह का समय था और उसके दूकान में काफी भीड़ थी |

वह एक एक कर सभी ग्राहक को निपटा रहा था, तभी उन नौजवान की नज़र अपने दूकान के ग्राहकों की भीड़ को चीरती हुई सामने सड़क के उस पार खड़ी उस बुजुर्ग महिला पर पड़ी जो लगातार वहाँ खड़ी उसके मेडिकल स्टोर को देखे जा रही थी |
उस नौजवान ने सोचा ..शायद उस माता जी को दवाई की ज़रुरत है | मुझे उनके पास जाकर पूछना चाहिए |
लेकिन उसकी दूकान में भीड़ होने की वजह से वह तुरंत उस महिला के पास नहीं पहुँच पा रहा था |
इसलिए वह धीरे धीरे सभी ग्राहकों को दवाइयां देकर रवाना कर रहा था और कुछ ही देर में ग्राहकों की भीड़ कम हो गयी |
उस नौजवान ने अपने स्टाफ से कहा .. तुम बाकी के ग्राहक को सम्भालों …मैं पांच मिनट में आता हूँ |
ऐसा बोल कर वह अपनी दूकान से निकला और सीधे उस बुजुर्ग महिला के पास पहुँच कर बोला. .. माँ जी, प्रणाम |
आप इतनी धुप में यहाँ खड़ी मेरे दवा के दूकान को क्यों निहार रही है ? हमें लगा कि आप कुछ कहना चाह रही है या फिर आप को दवा की ज़रुरत है | फिर भी मेरे दूकान में ना आकर यहाँ इस गर्मी और धुप में खड़ी है |
नहीं बेटा, बात ऐसी है कि तुम्हारे दूकान में भीड़ थी इसलिए मैं तुम्हारे दूकान में नहीं जा रही थी |
वह दुकान का मालिक समझा कि उनके पास दवा के पैसे नहीं है इसलिए दूकान में आने से संकोच कर रही है |
उसने उस बुजुर्ग महिला से कहा .. माँ जी, आप पैसो की फिक्र मत कीजिये | आप सिर्फ दवा का नाम बताइए, मैं अभी हाज़िर करता हूँ |

इतना सुन कर वो महिला बोली… बेटा, मेरे पास पैसो की कमी नहीं है |
मैं तो तुम्हारे दूकान में ग्राहकों की भीड़ छटने का इंतज़ार कर रही थी |
तो फिर बताएं …आप को कौन सी दवा ला कर दूँ ?
इस पर वो बुजर्ग महिला ने कहा… बेटा, अब मैं तुम्हे कैसे बताऊँ, उस दवा का नाम |
दरअसल मेरा बेटा बहु और मेरा छोटा नन्हा सा पोता जो मुझसे दूर एक बड़े शहर में रहते है, क्यो कि वे वही नौकरी करते है | वे लोग गर्मी की छुट्टी में एक बार घर आता है और मैं अपने पोते के साथ कुछ दिन बिता कर साल भर की थकान मिटा लेती हूँ |
मैं साल भर इसी दिन के इंतज़ार में अकेले यहाँ रह कर काट लेती हूँ |
लेकिन इस बार खबर आया कि वो लोग कही हिल स्टेशन घुमने जा रहे है, इसलिए वे लोग इस गर्मी की छुट्टी में मेरे पास नहीं आ रहे है |
इतना बोलते हुए वह महिला बहुत भावुक हो गई और उनके आँखों से झर – झर आँसू बहने लगे |
उस युवक को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या बोले |

तभी वह बुजुर्ग महिला ने अपने को संभाला और फिर कहा … हाँ हाँ. अब मुझे याद आय कि मुझे कौन सी दवा लेनी है |
उस नौजवान ने उत्सुकता से पूछा …… ठीक है, आप ज़ल्दी से उन दवा का नाम बताइए | मैं अभी उस दवा को लेकर हाज़िर होता हूँ |
तो वो महिला ने उस नौजवान को देखते हुए कहा… बेटा, क्या आपके मेडिकल स्टोर पर बच्चों को भूलने की दवा है ?
मैं अपने बच्चे को भूलना चाहती हूँ |
वह नौजवान बुज़ुर्ग महिला की बात सुन कर सन्न रह गया | वह बस खामोश ही खड़ा रहा |
और फिर वह नौजवान उस महिला को जाते हुए देखता रह गया |
वह नौजवान अपने मेडिकल स्टोर में वापस आ गया और सोचने लगा ..
हे भगवान्, ऐसा कभी कोई दिन न आये कि माता पिता को अपने बच्चो को भूलने की दवाई लेने के लिए किसी मेडिकल स्टोर में आना पड़े |
यह छोटी सी कहानी बहुत बड़ी बात सिखाती है कि अपने माता पिता की इज्जत कीजिये …उसकी भावनाओं का आदर कीजिये और उसके ज़ज्बातों की क़द्र कीजिये… उन्हें हर पल बहुत सारा प्यार दीजिये |
क्योंकी, एक दिन ऐसा भी आएगा कि जब वे लोग इस दुनिया में नहीं होंगे, और तब आपको उनकी बहुत कमी महसूस होगी |
तब आप बस उनकी कमी महसूस कर पाएंगे लेकिन उसकी भरपाई नहीं कर पाएंगे |
तब आपके पास उनको याद करने और अफ़सोस के आँसू बहाने के सिवा कोई और चारा नहीं होगा ….क्या आप भी इस बात से सहमत है …मुझे कमेंट्स कर अपनी विचार प्रकट करें..

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Categories: motivational
जाने वालों की कमी खलती है, लगाव कीतना गहरा है उस पर निर्भर है। मां तो मां है उनकी कोई तुलना नहीं हो सकती। मां जब बच्चों को भुलाने कि दवा खोज रही हो तो मुझे लगता है कि उस बच्चों में जरा सी भी मानवता बचीं नहीं है। ऐसे लोगों को अपने जीवन जीने का कोई अधिकार नहीं है।
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आपकी भावनाएं सराहनिए है | आपने बिलकुल ठीक कहा |
लेकिन आज के परिवेश में यह भी एक कटु सत्य है ..
आप को बहुत बहुत धन्यवाद |
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🙏🙏
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माँ और पिता से बढ़ कर कोई भी नहीं है इसलिये उनको समय जरुर देना चाहिए ।
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आपकी बातों से बिल्कुल सहमत हूँ ,लेकिन आज के
समय मे उन्हें दुःख देने से नही चूकते है ।
भगवान उन्हें सुबुद्धि दे
धन्यवाद डिअर…
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Very nice
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Thank you dear..
Stay connected and stay safe
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Mother ,always great.
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Yes dear ,, Mother is always great..
Respect the mother and be happy always..
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गुजराती मे कहावत है कि “મા તે મા, બીજા બધા વગડાના વા”
बहुत खूब, धन्यवाद 🙏🙏
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बहुत बहुत धन्यवाद..
माँ तो माँ होती है ..उनकी भावनाओं की क़द्र करना चाहिए..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
The most expensive liquid in the world is tear.
It is 1% water and 99% feelings..
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Thank you very much
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