किस्मत की लकीरें – 13

तुम्हारे प्यार की दास्तान

हमने अपने दिल में लिखी है

न थोड़ी न बहुत , बे-हिसाब लिखी है

किया करो हमें भी अपनी दुआओं में शामिल

हमने अपनी हर एक सांस तुम्हारे नाम लिखी है | ..

वह पत्रकार अचानक कालिंदी  के सामने दीवार बन कर खड़ा हो गया,  जिसके कारण सारी की सारी गोलियां उसके  पीठ में जा लगी |

उसका शरीर  खून से लथ – पथ हो गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा |

वहाँ उपस्थित सब लोग यह देख कर स्तब्ध रह गए | कुछ पल के लिए तो किसी को  कुछ समझ में नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है |

 इसी बीच कालिंदी का बॉडी गार्ड जो कालिंदी के पीछे ही सतर्क खड़ा था, उसने तुरंत अपने रिवाल्वर से उस अपराधी पर गोली चला दिया | रिवाल्वर की गोली उस अपराधी के सिर में जा लगी और वह वही गिर कर दम तोड़ दिया |

वहाँ अफरा तफरी का माहौल हो गया | कालिंदी ने तुरंत ही अपने को संभाला |

 स्थिति की गंभीरता को देखते  हुए तुरंत उसने  एम्बुलेंस को बुलाकर उस घायल पत्रकार को हॉस्पिटल भिजवाया |

घटना के बाद की स्थिति को सँभालने के लिए कालिंदी ने अपने सभी पुलिस वालों को आवश्यक निर्देश दिए |

उसके बाद उसने तुरंत वही से DIG को फ़ोन लगा कर वहाँ की स्थिति से उन्हें अवगत कराया और उनसे ज़रूरी निर्देश प्राप्त किया |

कालिंदी अपने ऑफिस में आ गयी और अपने कुर्सी पर बैठ कर कुछ देर पहले घटी घटना के बारे में विचार करने लगी |

पत्रकार के बुरी  तरह घायल होने पर उसे काफी अफ़सोस हो रहा था |  उसे समझ में नहीं आ रहा था कि गोली चलाने वाले और उसके बीच में इस पत्रकार का आना मात्र एक संयोग था या फिर जान बुझ कर मेरी जान  बचाने का प्रयास ….??

क्योकि गोली उसके पीठ में लगने के बाद भी वह टस से मस नहीं हुआ और पिस्तौल की सारी गोलियाँ उसने अपनी पीठ पर झेल ली थी |

कालिंदी अभी यह सब सोच ही रही थी कि जैसे बिजली की तरह एक बात उसके दिमाग में कौंधी |

यह वही पत्रकार तो नहीं है जो मुझे गुप्त सूचनाएं देता है ? .और जिसने पहले भी कई बार मेरी जान बचाई है ? .

उसके मन में इस विचारों के आते ही वह काफी परेशान हो गयी | उसने तुरंत ही अपने ड्राईवर को बुलाया  और हॉस्पिटल  चलने का निर्देश दिया  |

कुछ देर में वह हॉस्पिटल पहुँच गयी | उसने डॉक्टर के पास जाकर उस पत्रकार के स्थिति की जानकारी चाहीं |

डॉक्टर साहब चिंतित मुद्रा में कालिंदी से बोले .. अभी कुछ कहा नहीं जा सकता | अभी तक उसे होश नहीं आया है |

चार गोलियां तो निकाल दिया गया है | लेकिन पांचवी  गोली उसके शरीर के ऐसी जगह में फंस गया है कि उसे तुरंत निकालना मुमकिन नहीं है क्योकि उसके शरीर से खून काफी बह गया है …

अभी खून और ज़रूरी दवाइयाँ चढाई जा रहा है,  हालाँकि उसकी हालत अभी नाज़ुक बनी हुई है | उसे बीच – बीच में होश तो आता है लेकिन फिर वह बेहोश हो जाता है | …

उससे आप मिलना चाहती है तो मिल सकती है …लेकिन वह अपना ब्यान रिकॉर्ड कराने  की स्थिति में नहीं है

फिर भी कालिंदी अपने को रोक न सकी और उससे मिलने  उसके बेड  के पास चली गयी | उसने देखा कि उस पत्रकार को पाइप के द्वारा  खून और दवाइयां चढाई जा रही है |

कालिंदी  आज पहली बार उसे सामने से देख रही थी  जिसने उसकी जान बचाई थी |

तभी उस पत्रकार के शरीर में हलचल हुई | उसने अपनी आँखे खोली और सामने कालिंदी को देख कर उसके चेहरे पर हलकी मुस्कान बिखर गयी | ..

वह कराहते हुए धीरे से बोला … आप आ गयी मैडम जी ?

मुझे आप का इंतज़ार था …  मैं इस दुनिया से रुखसत होने से पहले आपका शुक्रिया अदा  करना  चाह रहा था | आप ने मेरी मुराद पूरी कर दी |

उसकी आवाज़ सुनते ही कालिंदी चौक उठी …  उसके आँखों से आँसू बहने लगे |

यह तो वही पत्रकार है जो मुझे गुप्त सूचनाएं दिया करता था और कितने ही  मौकों पर मेरी  जान बचाई है |  आज तो मेरी  जान बचाने के लिए उसने अपने शरीर पर रिवाल्वर की सारी गोलियाँ झेल ली |

तभी पत्रकार बोल उठा … मैडम,  आप तो मुझसे मिलना चाहती थी ना ?

 कालिंदी अपने अन्दर की पीड़ा को रोक न सकी और रोते हुए बोली .. . हाँ, मैं तुम्हारे बारे में जानना चाहती थी. और तुमसे मिलना चाहती थी  ….लेकिन इस स्थिति में नहीं …. आखिर तुमने  अपनी जान जोखिम में डाल कर आज मेरी जान क्यों बचाई ?..

इस पर वह पत्रकार ने दर्द से कराहते हुए कहा … क्योकि मेरी नज़रों में आप एक बहादुर पुलिस ऑफिसर हो  .. जो समाज के गरीब और दबे कुचलों की रक्षा पूरी ईमानदारी  और बहादुरी से करता है |

पता नहीं क्यों,  मेरे दिल में आप के लिए बहुत सारा प्यार है …हाँ,  इस प्यार को और इस रिश्ते को क्या नाम दूँ … मुझे पता नहीं |

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इस पर कालिंदी रोते हुए बोली … मैंने तो अब तक तुम्हारी आवाज़ ही सुनी थी और मन ही मन तुमसे प्यार करने लगी थी | .. माँ ने कई बार तुमसे मिलाने को कहा था और आज जब तुमसे मिली तो इस रूप में ……

यह कह कर कालिंदी फुट फुट कर रोने लगी |

इस पर पत्रकार बोल उठा … शायद नियति को हमारा मिलना मंज़ूर नहीं था ,,,

शायद मैं अब इस दुनिया में न रहूँ  लेकिन आज मैं अपने मन की बात बता कर अपने अशांत मन को शांत करना चाहता हूँ |

मैं पारस पुर का रहने वाला हूँ | मेरे पिता यहीं खान में मजदूर थे और यहाँ के मजदूर  -यूनियन  के नेता  | इस कारण खान मालिक से कभी कभी उनकी झड़प हो जाया करती थी |

एक दिन खान मालिक के इशारे पर पुलिस ने मेरे पिता को झूठे केस में फंसाने के बाद उन्हें हवालात में बंद कर दिया |

उन्हें इतनी यातना (torture) दी गयी कि  उन्होंने हवालात में ही दम तोड़ दिया | माँ बेचारी असहाय कुछ नहीं कर सकी और तब मैं भी बहुत छोटा था |

ना ही प्रशासन ने और ना ही न्यायपालिका ने गरीबों और मजदूरों का साथ दिया / परिणाम यह हुआ कि मुझ जैसे बहुत सारे लोगों के मन में व्यवस्थाओं  और न्यायपालिका से विस्वास उठ गया …

पुलिस से तो मुझे नफरत सी हो गयी थी और  पुलिस वालों  से बदले की भावना के साथ मैं बड़ा हुआ |

मैं बड़ा होकर उन तथाकथित क्रांतिकारियों  के ग्रुप में शामिल हो गया जो बन्दुक के बल पर सत्ता और व्यवस्था में परिवर्तन लाना चाहते थे ताकि गरीबो मजदूरों और किसानो को न्याय मिल सके |

कुछ ही दिनों बाद इस क्रांतिकारियों से मेरा मोह भंग हो गया .. क्योकि यह लोग क्रांति के मार्ग से भटक कर अपराधी गिरोहों  की तरह काम करने लगे और निर्दोषों और गरीबों को सताने लगे |

चूँकि यह सब खून खराबा मुझे पसंद नहीं था अतः मैं इस सबो से बाहर निकलना चाहता था ..लेकिन मैं जानता था कि अगर इनकी जानकारी में यह बात आयी तो यह मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे  |

बस, मैंने इन सबो को यह विश्वास दिलाया कि  पत्रकार बन कर उन्हें प्रशासन की सारी सूचनाएं पहुँचाता रहूँगा .. अतः मैं सबकी नज़रों में पत्रकार बन गया |

तभी आपकी  इस इलाके में पोस्टिंग हुई और आप के ईमानदारी  और निष्ठां से काम करने के तरीके से मैं बहुत प्रभावित हुआ |

आप को कितनी ही बार गरीबों और असहाय लोगों की मदद करते हुए देखा | तब से मेरे मन में आपके प्रति आदर और प्रेम हो गया |

दूसरी तरफ अपराधी लोग पर सख्ती होने से वे लोग आपके दुश्मन बन गए | और वह तरह तरह की योजनायें बना कर आपकी जान लेने की कोशिश करने लगे  |

तभी मैंने  मन ही मन यह फैसला किया कि मैं अपराधी लोगों के बीच रह कर भी आप की  हिफाजत करूँगा और मेरे साथी अपराधियों को इसकी खबर ना लग सके  इसलिए गुप्त रूप से आप को सूचनाएं देता रहा |

लेकिन आज मुझे उस अपराधी के प्लान की भनक नहीं लग सकी थी क्यो कि उस सरदार ने  अकेले ही प्लान बनाया था |

लेकिन मुझे शक था कि कोई जबाबी करवाई वह ज़रूर करेगा .. इसीलिए मैं गुप्त रूप से आप के पास  मौजूद था और जैसे ही मुझे आभास हुआ कि कोई आप पर गोली चलाने वाला है तो मैं आप के सामने खड़ा हो गया ताकि आप की जान  बचा सकूँ  |

वह बोलते बोलते भावुक हो गया और उसके आँखों से आँसू बहने लगे |

कालिंदी एक टक  उसे देखे जा रही थी | अचानक उसके शरीर  में कम्पन हुई और उसकी आँखे स्थिर हो गयी और शायद उसके प्राण पखेरू उड़ गए… |

कालिंदी देर तक बस उसे निहारती रही….

फिर वह सावधान की मुद्रा में खड़ी हो गयी और कालिंदी ने उसे सैलूट  दिया …

और फिर बोली… अलविदा मेरे दोस्त … अलविदा…..

पहले की घटना   हेतु नीचे link पर click करे..

# किस्मत की लकीरें #– 12

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

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Categories: story

19 replies

  1. प्रेरक व सुंदर प्रस्तुति 👌🏼👌🏼👏👏

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  2. Good story ended with sad events.

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  3. Good story ended with sad events. It is the fate.

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  4. Good storyline with sad ending

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  5. बहुत सुंदर सर😊😊👍👍👌👌💐💐💐

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  6. कहानी बहुत पसंद आई पर अन्त दुखदः ।

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  7. बेहद रुचिकर और प्रेरक लगा पर इसका अवसान सारे उल्लास को मर्माहत कर गया….

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  8. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    A great thinker was asked , What is Life ?
    He replied, Life itself has no meaning, ,
    it is an opportunity to create meaning…

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  9. Nice story! Very good for a Serial! You should offer it to some Producer!

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