
कौन कहता है कि इंसान किस्मत खुद लिखता है
अगर यह सच है तो किस्मत में दर्द कौन लिखता है ..
कालिंदी ऑफिस में पहुँच कर बड़े साहब का अभिवादन किया | कालिंदी को देखते ही बड़े साहब अपने कुर्सी से उठ कर उसके पास आये और उसे उसकी पदोन्नति पर बधाई दी |
तुम्हारी ड्यूटी के प्रति निष्ठां और बहादुरी का तुम्हे ईनाम मिला है कालिंदी |
तुम अब मेरी कुर्सी पर बैठने जा रही हो, इसका मुझे गर्व है …..बड़े साहब खुश होते हुए बोले |
साहब के चैम्बर के बाहर गणमान्य लोग उन दोनों को बधाई देने के लिए बड़ी संख्या में आये हुए थे | दिन भर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा |
बड़े साहब को भी इस जगह से जाने का दुःख हो रहा था | उन्होंने कालिंदी के साथ मिल कर अपराधियों पर बहुत हद तक अंकुश लगा दिया था और अब इस इलाके में अमन और शांति का वातावरण था |
दूसरी तरफ सख्ती होने के कारण अपराधी किस्म के लोग पुलिस वालों से काफी नाराज़ थे | और फिर कालिंदी को इसी जगह में S P का पदभार सँभालने से वे बदमाश लोग काफी बौखला गए थे |
इसलिए वे सभी इस इलाके में दहशत फैलाने की योजना बना रहे थे, ताकि कालिंदी की बदनामी हो और इसी बहाने उसका यहाँ से स्थानातरण हो जाए |
आज कालिंदी सुबह से ही परेशान थी | उसके ऊपर अचानक कार्य का बोझ बढ़ गया था क्योकि अब काफी बड़ा क्षेत्र को संभालना पड़ रहा था |
वह रात – दिन मेहनत में लग गई क्योकि अब तो बड़े साहब भी नहीं थे जो उसका मार्गदर्शन किया करते थे |
एक सप्ताह बड़े आराम से बीत गया और कालिंदी को रोज़ नए अनुभव हो रहे थे | फिर भी अब तक सभी कुछ ठीक ठाक चल रहा था |

कालिंदी ऑफिस में बैठे अपने फाइल में खोई थी तभी कालिंदी की मोबाइल पर फ़ोन आया | उसकी आवाज़ सुनते ही कालिंदी का मन खिल उठा क्योकि फ़ोन करने वाला और कोई नहीं बल्कि वही गुप्त सुचना देने वाल इंसान था |
कालिंदी ने ज़ल्दी से कहा …मैं सात दिनों से तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार कर रही थी |
मैं समझ सकता हूँ मैडम, पहले तो आपको दिल से बधाई देता हूँ कि आप इसी जगह S P का पद भार ग्रहण कर लिया है | लेकिन मेरा काम तो आप ने और बढ़ा दिया है .. उस अपरिचित आदमी ने कहा |
मैं समझी नहीं… कालिंदी ने तुरंत प्रश्न किया |
दरअसल आप का अधिकार क्षेत्र काफी बढ़ गया है इसलिए मुझे भी पुरे जिले से गुप्त रूप से सुचना इकट्ठा करना पड़ रहा है |
और हाँ, मुझे ऐसी सुचना मिली है कि पारसपुर इलाके में उन अपराधियों ने बम ब्लास्ट करने की योजना बनाई है | आप सतर्क हो जाये और जितनी ज़ल्द हो सके उस इलाके की नाकेबंदी कर दें |
कालिंदी इस सिलसिले में कुछ और जानकारी हासिल करना चाह रही थी लेकिन तब तक उसने फ़ोन काट दिया |
कालिंदी को ऐसी खबर सुन कर चिंता होने लगी क्योकि वह जानती थी कि उस व्यक्ति की सुचना कभी गलत नहीं होती है |
कालिंदी के चेहरे पर चिंता की लकीरें थी इसलिए उसने तुरंत पारसपुर थाने में फ़ोन लगाई |

तभी वहाँ के थाना प्रभारी की आवाज़ सुनाई दी |
कालिंदी ने अपना संक्षिप्त परिचय दिया और ज़ल्दी से उससे पूछी … वहाँ के हालात कैसे है ?
यहाँ तो बिलकुल ठीक है मैडम, … थाना प्रभारी ने उत्तर दिया |
मेरी बात ध्यान से सुनिए … मुझे गुप्त सुचना मिली है कि कुछ अपराधी गिरोह आपके इलाके में बम ब्लास्ट कर दहशत फ़ैलाने की कोशिश में लगे है | आप तुरंत अपने सिपाहियों के साथ उस इलाके को चारो तरफ से सील कर दीजिये , मैं भी और फ़ोर्स लेकर पहुँच रही हूँ |
ठीक है मैडम, मैं तुरंत उचित कारवाई करता हूँ |
कालिंदी भी त्वरित गति से अपने पुलिस फ़ोर्स को लेकर थोड़ी ही देर में पारसपुर पहुँच गई | लेकिन यह क्या ? शायद अपराधियों को कालिंदी के आने का अनुमान था | इसलिए कालिंदी पारस पुर पहुँची ही थी कि उनलोगों ने ताबड़तोड़ पाँच बम ब्लास्ट किये ताकि इलाके में पूरी तरह दहशत फ़ैल जाए |
भीड़ भाड़ वाला इलाका था इसलिए बम विस्फोट होते ही वहाँ काफी अफरा तफरी मच गया | लेकिन वहाँ पुलिस ने पहले से ही घेरा बंदी कर रखी थी |
कालिंदी ने भी ज़बाबी कारवाही के लिए पोजीशन ले ली | सभी अपराधी घटना स्थल से भागना चाह रहे थे लेकिन पुलिस की सक्रियता से चार अपराधी उनकी गोली से ढेर हो गए और पाँचवा अपराधी जिंदा पकड़ा गया |
लेकिन यह बम ब्लास्ट इतना शक्तिशाली था कि इससे काफी खून खराबा हुआ | इस विस्फोट में आठ लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गयी लेकिन साथ ही साथ चार अपराधी भी ढेर हो चुके थे और पाँचवा पकड़ा गया था |
कालिंदी उस अपराधी से पूछ ताछ के लिए वहाँ से पकड़ कर अपने साथ ले आयी |
काफी डराने धमकाने के बाद उसने कबूल किया कि उनलोगों का इरादा दहशत फैलाने का था ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सके |
और उसने यह भी बताया कि उस गिरोह का बॉस वहाँ से बच कर निकल भागा है |
कालिंदी के मन में विचार आया कि उस गिरोह के मुखिया को अब किसी तरह गिरफ्तार करना ज़रूरी है , वर्ना वह बदले की कारवाई ज़रूर करेगा |
और सचमुच दूसरी तरफ वह इन अपराधियों का सरदार अपने साथियों के मारे जाने पर बहुत गुस्से में था | उसके गिरोह को कालिंदी ने अपनी सूझ बुझ से ख़त्म कर दिया था |
इसलिए उसने मन ही मन सोचा…. हमारे सभी साथी को उस SP ने मार दिया है | इसका अंजाम तो उसे भुगतना ही पड़ेगा | मैं उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकता |
बस, मुझे बदला लेना है , सिर्फ बदला …यह मेरी प्रतिज्ञा है .. |

दुसरे दिन लोकल अखबार की सुर्ख़ियों में पारस पुर में पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ की चर्चा थी | लेकिन साथ ही साथ आम जनता के मारे जाने से पहली बार पुलिस के विरूद्ध रोष प्रकट किया गया था |
इस घटना से कालिंदी काफी परेशान थी | वह ऑफिस में बैठी आगे की “लॉ एंड आर्डर” की स्थिति के बारे में सोच रही थी तभी उसकी फ़ोन की घंटी बज उठी |
फ़ोन होम – मिनिस्ट्री से था | कालिंदी ने फ़ोन उठा कर कुछ बोलना चाहा तभी उधर से मंत्री जी की आवाज़ आयी …. आप के वहाँ कार्यभार सँभालते ही यह क्या हो गया ?
आप के काम करने के तरीके की सभी ओर काफी शिकायत हो रही है | मुझे भी आगे ज़बाब देना पड़ रहा है कि इतने निर्दोष लोगो की जान कैसे चली गयी |
कालिंदी अपने सफाई में कुछ कहना चाह रही थी लेकिन उसे कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला , उल्टे नेता जी ने निर्देश दिया कि आज ही प्रेस conference कर अपनी आगे की सख्त कार्यवाही की सुचना लोगों तक पहुंचाए ताकि आम लोगों में जो डर का माहौल बन चूका वह ख़त्म हो सके और अपराधियों में क़ानून का डर पैदा हो सके |
कालिंदी के पास और कोई चारा नहीं था सिवाए इसके कि उनके निर्देश का पालन किया जाए | कालिंदी ने आनन् – फानन में Press conference को बुलाने का निश्चय किया |
काफी माथा पच्ची करने के बाद, शाम के चार बजे का समय तय किया गया | इतने कम समय में कोई ज्यादा arrangement नहीं हो सकता था | इसलिए अपने ऑफिस के प्रांगन में ही प्रेस वालों के लिए व्यवस्था की गयी |
शाम के ठीक चार बजे Press conference की शुरुआत की गई | सबसे पहले प्रेस से आये सभी लोगों का स्वागत किया गया |

उसके बाद कालिंदी ने हाल में घटी घटना और उसके बाद पुलिस द्वारा किये गए कारवाई की जानकारी दी और साथ ही उन्होंने वहाँ की जनता को भी आश्वस्त किया कि अब घबराने की ज़रुरत नहीं है |
यहाँ के लगभग सारे अपराधी मारे जा चुके है और जो थोड़े कुछ बचे है उन्हें भी शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जायेगा और आगे से कोई भी इस तरह की अप्रिय घटना ना हो इसका पूरा इंतज़ाम किया जा रहा है |
अभी Press conference चल ही रहा था कि एक अजीब घटना घटी | प्रेस वालों के बीच वह अपराधियों का सरदार भी पत्रकार बन कर मौजूद था जिसके साथी को कालिंदी ने सफाया कर दिया था |
थोड़े ही दुरी पर खड़ा वह सरदार मैडम की बातों को सुनकर,, अपने गुस्से को काबू में नहीं रख सका | और वह तुरंत ही चिल्लाते हुए अपना रिवाल्वर मैडम की ओर तान दिया और गोली चला दी |
तभी कालिंदी के बिलकुल पास खड़े एक पत्रकार ने जैसे ही यह स्थिति देखा तो बिजली की गति से कालिंदी के सामने दीवार बन कर खड़ा हो गया |
मैडम यह देख कर आवाक रह गयी | गोली उस पत्रकार को आकर लगी |
लेकिन वह अपराधी इतने गुस्से में था कि उसने एक नहीं ताबड़तोड़ गोलियां चलाते हुआ अपना रिवाल्वर खाली कर दिया |
रिवाल्वर की गोलियों से उस पत्रकार का शरीर छलनी हो गया था | वहाँ मौजूद सभी लोग इधर उधर भाग रहे थे | लेकिन कालिंदी सोच रही थी …खून से लथपथ वह पत्रकार कौन है और मैडम से उसका क्या नाता है वह उसे क्यों बचाना चाहता है ? ( क्रमशः.).

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Categories: story
Interesting turn in the story. Keep writing
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thank you sir ..
I think you will find the ending interesting..
Stay connected and stay happy..
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Fate and duty are reflected in story.Beautiful.
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Thank you dear..
Feel happy to hear your beautiful comments..
Stay connected and stay happy…
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गुज़र जाते है खुबसूरत लम्हें यूँ ही मुसाफिरों की तरह ,
यादें वही खड़ी रह जाती है रुके रास्तों की तरह…
एक उम्र के बाद उस उम्र की बातें उम्र भर याद आती है ,
पर वह उम्र , फिर उम्र भर नहीं आती…
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Good morning.
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