# किस्मत की लकीरें #–9

मुझे इतनी फुर्सत कहाँ कि अपनी तकदीर का लिखा देख सकूँ.. बस माँ की मुस्कराहट देख कर समझ जाता हूँ कि मेरी तकदीर बुलंद है … आज सुबह कालिंदी देर तक सो रही थी, क्यों कि कल की भागा दौड़ी … Continue reading # किस्मत की लकीरें #–9