
जो दे ख़ुशी के दो पल, वो लम्हा ढूंढ रहा हूँ
जहां मिले साथ वो मंज़र ढूंढ रहा हूँ
लोग ढूंढते हैं अपनी किस्मत की लकीर ,
मैं लकीर लिख दे, वो कलम ढूंढ रहा हूँ ||
हालाँकि कोई भी इच्छित कार्य करने में बाधाएं भी आती है | इसी बीच एक नयी परिस्थिति ने जन्म ले लिया | जो प्रोफेसर उसे पढाई में मदद कर रहे थे उससे घनिष्टता धीरे – धीरे बढ़ने लगी |
प्रोफेसर साहब आये दिन कभी कॉफ़ी के बहाने तो कभी फिल्म देखने के बहाने बाहर चलने की जिद करते |
शुरू शुरू में तो कालिंदी ज्यादा प्रतिरोध नहीं करती थी, लेकिन अपने पढाई के समय को बर्बाद होता देख वह उनके साथ बाहर न जाने का बहाने बनाने लगी |
प्रोफेसर साहब दिखने में स्मार्ट थे और वह धीरे धीरे कालिंदी की ओर आकर्षित होने लगे |
परन्तु कालिंदी के तरफ से उसकी उदासीनता देख कर वे मन ही मन बेचैन रहते और अपने मन की बात कहने का बहाना ढूंढने लगे |
आखिर एक दिन जब कॉलेज कैंटीन में कालिंदी कॉफ़ी पी रही थी तभी वह प्रोफेसर साहेब भी वहाँ आ गए और उसके सामने ही बैठ गए | कालिंदी ने ही एक और कॉफ़ी प्रोफेसर साहब के लिए मंगवा ली |
कॉफ़ी पीते हुए कुछ देर तो पढाई – लिखाई की बातें होती रही, लेकिन तभी प्रोफेसर साहब अपनी भावनाओं को प्रकट करने से नहीं रोक सकें और कालिंदी की ओर देखते हुए कहा… कालिंदी, मैं बहुत दिनों से अपने मन की बात तुमसे कहना चाह रहा था |
मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ और अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता |
कालिंदी उनकी इस तरह की अप्रत्याशित बातों को सुन कर स्तब्ध रह गई | वह बिलकुल पत्थर की तरह बुत बन गयी |
अब कालिंदी को समझ में आ रहा था कि प्रोफेसर साहब बार बार फिल्म देखने और बाहर घुमने के लिए हमेशा दबाब क्यों बनाते थे |
कालिंदी को चुप देख कर प्रोफेसर साहब ने पूछा… कालिंदी, कहाँ खो गयी ? मेरे बातों का ज़बाब नहीं दिया ?
प्रोफेसर की आवाज़ सुन कर उसका ध्यान भंग हुआ और फिर अपने को सँभालते हुए कालिंदी ने उनकी ओर देखते हुए दो टुक शब्दों में कहा … देखिये प्रोफेसर साहब, हमारा और आप का रिश्ता तो एक गुरु और शिष्य का है और मेरा बस एक ही लक्ष्य है कि किसी तरह मैं प्रतियोगिता परीक्षा में सफल हो जाऊं |

कृपया मुझे माफ़ करे, मैं तो आप को अपना अभिभावक के समान समझती हूँ और आप की इज्जत करती हूँ |
प्रोफेसर साहेब को कालिंदी के मुँह से इस तरह की दो टूक लहजे में जबाब की उम्मीद नहीं थी | उन्हें इस तरह के जबाब सुन कर बहुत बुरा लगा और कालिंदी पर गुस्सा भी आने लगा |
लेकिन सार्वजानिक जगह होने के कारण यहाँ कुछ प्रतिक्रिया देना उन्होंने उचित नहीं समझा और फिर कॉफ़ी समाप्त कर धीरे से कहा …अच्छा कालिंदी मैं अब चलता हूँ | मुझे अभी एक क्लास लेनी है, मैं बाद में फिर मिलता हूँ |
कैंटीन की इस घटना से कालिंदी थोडा डिस्टर्ब रहने लगी और इधर परीक्षा की तारीख भी नजदीक आ रही थी |
उसे डर था कि कही प्रोफेसर उसकी परीक्षा के समय कोई झमेला ना खड़ी कर दे | वो अपने हॉस्टल के कमरे में उदास मन से बैठी थी, उसी समय पिता जी उसके कमरे में दाखिल हुए |
कालिंदी अचानक पिता जी को सामने पाकर जल्दी से पिताजी के पैर छू लिए और पूछा… माँ कैसी है पिता जी ?
तुम्हारी माँ बिलकुल ठीक है बेटी | उसने तुम्हारे लिए तिल के लड्डू भेजे है |
पिताजी खुश होते हुए बोले और लड्डू वाला डब्बा उसकी ओर बढ़ा दिए |
वाह, तिल के लड्डू ? कालिंदी डब्बे से लड्डू निकाल कर जल्दी से खाने लगी और पिता जी से बोली.– .माँ ने बहुत स्वादिस्ट लड्डू बनाये है | कालिंदी ने मन ही मन माँ को धन्यवाद दिया |
पिता जी अचानक कालिंदी की तरफ देखते हुए पूछा … तुम कुछ परेशान नज़र आ रही हो, क्या बात है बेटी ?
कुछ नहीं पिता जी, शायद परीक्षा नजदीक आ गयी है, उसी के कारण चिंता हो रही है |
नहीं बेटी, तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो ? मैं बाप हूँ तेरा, तुझे अच्छी तरह समझता हूँ | तुम अपनी समस्या बता सकती हो |

कालिंदी ने पिता जी से कुछ भी छुपाना उचित नहीं समझा और प्रोफेसर वाली घटना उन्हें बता दी |
पिता जी कालिंदी की बातें सुन कर इत्मीनान से बोले…बस इतनी सी बात पर तुम परेशान हो गई | इस तरह की बातें तुम्हारी जैसी उम्र में तो होती ही रहती है |
तुम्हे ऐसी बातों से घबराना नहीं बल्कि उस समस्या का मुकाबला करना है |
तुम्हारा अभी एक ही लक्ष्य है और वो रात – दिन, उठते – बैठते तुम्हारी आँखों में होनी चाहिए तभी तुम्हे इतनी बड़ी सफलता हाथ लगेगी |
पिता जी की बातों को सुनकर कालिंदी का आत्मविश्वास और भी पुख्ता हो गया |
उसने पिता जी की ओर देखते हुए कहा …..आप ठीक कहते है पिता जी, मुझे अपना लक्ष्य सदा याद रहना चाहिए |
अब शाम होने वाली थी इसलिए पिताजी आशीर्वाद देकर वापस चल दिए, लेकिन जाते जाते कालिंदी का मनोबल बढ़ा गए |
कालिंदी दुसरे दिन से ही अपनी पढाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया और खूब जम कर पढाई करने लगी |
देखते देखते परीक्षा के दिन भी आ गए और कालिंदी ने आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दिया |
उसकी पढाई रंग लाई और लिखित परीक्षा में वह दुबारा सफल हो गयी |
आज ही परिणाम घोषित हुई थी और वह अपनी सफलता पर खुश हो रही थी, वह मन ही मन सोच रही थी कि इस बार इंटरव्यू में असफल होने का सवाल ही नहीं है, क्योकि मेरा मोटापा भी ठीक हो गया, और मेरा रंग भी साफ़ हो गया है |
अब तो मैं बिलकुल स्मार्ट लड़की लगती हूँ… कालिंदी स्टडी टेबल के सामने रखे आईने में अपने को देख कर मन ही मन कहा और उसके चेहरे पर एक मुस्कान बिखर गयी |
इधर प्रोफेसर को कालिंदी की सफलता से कोई ख़ुशी नहीं हुई / उसकी बात ना मानने पर वह तो कालिंदी से नाराज़ थे | वह कालिंदी को सबक सिखाने के लिए तरह तरह के षड़यंत्र रचने लगा |

कालिंदी परीक्षा में सफल होने के बाद अपने घर आयी ताकि माँ का आशीर्वाद ले सके |
घर के दरवाजे पर कालिंदी को देख माँ दौड़ कर आई तो उसने माँ के पैर छू लिए |
माँ खुश होकर आशीर्वाद दिया और कालिंदी को गले लगा लिया |
उसकी लिखित परीक्षा में सफल होने पर पिता जी भी खुश थे और उन्होंने बधाई दिया और कहा .–..मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम इंटरव्यू में भी सफल होगी |
कालिंदी पिता जी के पैर छू कर कहा –.. जी, पिता जी, मुझे सफलता ज़रूर मिलेगी क्योकि आप का आशीर्वाद जो मेरे सिर पर है |
घर में ख़ुशी का माहौल था और सात दिन कैसे बीत गए पता ही नहीं चला |
सुबह सुबह कालिंदी हॉस्टल जाने को तैयार हो रही थी तो माँ ने कहा …कुछ दिन और रुक जाती अपने घर में |
नहीं माँ, इंटरव्यू का लेटर आने वाला होगा इसलिए होस्टल में रहना ज़रूरी है |
कालिंदी माता पिता से आशीर्वाद लेकर हॉस्टल आ गयी |
कालिंदी इंटरव्यू लेटर का बेसब्री से इंतज़ार करती रही ताकि पता चल सके कि उसका इंटरव्यू किस तारीख को है / दिन बीतते गए लेकिन उसका इंटरव्यू लेटर नहीं आया |
किसी ने कालिंदी को बताया कि इंटरव्यू तो शुरू हो चूका है | तब उसे लगा कि इंटरव्यू लेटर आ जाना चाहिए था |
उसके मन में शंका हुई कि ज़रूर किसी ने इंटरव्यू लेटर गायब कर दिया है |
(क्रमशः)

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Categories: story
Nice twist in the story. But one anomaly in the story that I would like to say that since past 10-15 years results/ interview letters of competitive exams and particularly UPSC exams are not sent by post but appear in the websites which candidates are advised to download.
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You are correct sir..
But it is a story and there is a scope of some error ..
My intension is to show the struggle of a lady in achieving milestone
in her life..
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You have created a successful soap opera here! The reader is pulled into the story and longs to hear what will happen next.
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you are right sir..I like this type of serial story to tell.. there is always curiosity for the next..
Thank you sir for your valuable time.. stay connected and stay happy..
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Interesting story with beautiful pictures
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Thank you dear ..
I am happy to know that you are enjoying my stories..
Stay connected and stay happy..
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आपको मेरी टिप्पणी नही मिली शायद spam में चली गई होगी
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जी , मैं आपकी टिपण्णी नहीं देख सका …
लेकिन मुझे विश्वास है कि कहानी आपको पसंद आई होगी /
फिर भी आप के सुझाव मुझे अच्छे लगते है …
बहुत बहुत धन्यवाद..
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जी आपने कहानी बहुत अच्छी लिखी है। आगे पढ़ने के लिए रहस्य बना रहता है। आजकल मेरी तबीयत ठीक नही तो धीरे धीरे पढ़ रही।
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मुझे यह जान कर दुःख हो रहा कि आप अस्वस्थ है….
मैं भगवान् से दुआ करता हूँ कि आप ज़ल्द स्वस्थ हो जाएँ ,.
आप ज़ल्द हमें सूचित करें की आप स्वस्थ हो गए है…. आप हमेशा खुश रहें…..
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जी ज़रूर। आपकी दुआएँ मुझे जल्द ठीक कर देगी। इंशाल्लाह सब सही होगा। मैं आपको ज़रूर सूचित करूँगी।😊🙏
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Get well soon..
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Ameen
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
वक़्त से लड़ कर जो अपना नसीब बदल ले ..
इंसान वही है जो अपनी तकदीर बदल ले |
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