
बुढ़ापा अभिशाप नहीं
दोस्तों,
आज सुबह जब उठा तो मौसम का मिजाज़ कुछ बिगड़ा हुआ पाया | लेकिन मोर्निंग वाक तो जाना ही था सो मैंने ठण्ड से बचने के लिए पर्याप्त कपडे पहने और जैकेट के पॉकेट में हाथ डाल कर निकल गया पार्क की ओर |
हलकी हलकी धुप थी लेकिन साथ ही ठंडी हवा भी चल रही थी | मैं कान में हेड फ़ोन लगा कर टहलते हुए हनुमान चालीसा सुन रहा था तभी मेरे मोबाइल में एक कॉल आया और हनुमान चालीसा बजना बंद हो गया |
मैं पॉकेट से अपना मोबाइल निकाल कर देखा तो मिश्रा जी का फोन था |
मैंने जैसे ही फ़ोन उठाया तो मिश्राजी की आवाज़ आयी….हैप्पी न्यू इयर वर्मा जी | आप कैसे है ?
सेम टू यू मिश्रा जी | इतने दिनों के बाद आपका फ़ोन आया | आजकल आप कहाँ है ? और आपका स्वास्थ कैसा है ?.. मैंने उत्सुकता से पूछा |
मिश्राजी ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया… मैं अभी डेल्ही में हूँ अपने बेटे के पास | उनकी आवाज़ कुछ उदास सी लग रही थी |
हमेशा खुशमिजाज़ रहने वाले रमेश मिश्रा जी की आवाज़ आज दुःख भरी लग रही थी |
अभी तीन साल पहले ही एक साथ हम दोनों बैंक की नौकरी से रिटायर (retire) हुए थे | मैं पटना छोड़ कर कोलकाता आ गया और मिश्रा जी पटना छोड़ कर डेल्ही अपने बेटे के पास चले गए |

मैं कुछ आशंका जताते हुए प्रश्न किया …आप की आवाज़ में आज वो खनक नहीं महसूस हो रही है जो हमेशा से आप से बात करते हुए महसूस होती है |
आप ठीक अनुमान लगा रहे है | इन दिनों मेरी तबियत ठीक नहीं चल रही है | हमारा ब्लड प्रेशर हाई रहता है और ब्लड सुगर भी ऊपर नीचे होता रहता है …मिश्रा जी ने उदास स्वर में कहा |
लेकिन आप तो अपने स्वास्थ पर हमेशा से ध्यान रखते थे फिर कैसे रोग के चक्कर में पड़ गए ?
मिश्राजी लम्बी साँसे खीचते हुए अपनी राम कहानी बताने लगे |
अब आप से क्या छिपाना वर्मा जी | मैंने सोचा था कि रिटायर होकर आराम की ज़िन्दगी जिऊंगा | ऑफिस के काम के टेंशन से दूर अपने शौक मौज को फिर से जिंदा करूँगा |
देश दुनिया का भ्रमण करूँगा |
लेकिन ऐसा कुछ नहीं कर पा रहा हूँ | हम सब सोचते बहुत कुछ है, लेकिन होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है |
बेटे के साथ रहना अब मज़बूरी हो गई है | उसके एक साल के बच्चे को संभालना पड़ता है क्योंकि बेटा – बहु दोनों नौकरी में है
पत्नी का दुःख देखा नहीं जाता है | उनके घुटने के दर्द के बाबजूद सुबह जल्दी उठ कर बेटे बहु के लिए नास्ता और टिफ़िन तैयार करना पड़ता है |
मुझे भी कुछ काम सौप दिया गया है |
यहाँ नया जगह होने के कारण, ना कोई अपना रिश्तेदार है और न कोई दोस्त |
अकेले मन बहुत घबड़ाता है, और चिंता फिकर होने से तरह तरह के शारीरिक विकार उत्पन्न होने लगे है | इतना सब कहते कहते मिश्राजी रो पड़े | फ़ोन पर उनकी सिसकियाँ सुनाई पड़ रही थी |

मैं उनके दुःख भरी बात को सुन कर उदास हो गया | फिर उन्हें समझाते हुए कहा….क्या मिश्राजी, आप तो बच्चों की तरह रो रहे है | आज साल का पहला दिन है, आज खुश रहेंगे हो सालों भर खुश रहेंगे |
आपको याद है ना.. मैं हर साल के पहला दिन को बैंक में रसगुल्ला मंगा कर सब को खिलाता था ताकि सालों भर हमलोग के सम्बन्ध मधुर रहे |
मिश्राजी अपने को सँभालते हुए कहा … आप ठीक कहते है | मुझे वो पहले वाले दिनों की याद आ रही है, जब हमलोगों के दिन हँसते गाते और ख़ुशी मनाते बीतते थे |
आज तो एक एक पल काटना मुश्किल लग रहा है | जैसे मुझे किसी ने कैद खाने में लाकर बंद कर दिया है |
मिश्राजी की बातें सुन कर मेरा भी जी भर आया | मैं उन्हें हिम्मत बंधाते हुए कहा…आप तो खुद ही समझदार है | अगर अभी बी पी, सुगर और थाइरोइड से ग्रसित हो जायेंगे तो ज़िन्दगी का सुख कैसे भोग पाएंगे |

और आप को तो पता ही है कि अगर आप खाट पकड़ लिए तो किसी के पास आप को पानी पिलाने के लिए भी टाइम नहीं है |
जिस बाल बच्चे को पालने के लिए न जाने कितने शौक मौज का त्याग किया होगा लेकिन आज आप के लिए किसी के पास समय नहीं है |
बहुत ज्यादा भला वे करेंगे तो आपको बृद्धा आश्रम छोड़ कर आ जायेंगे ताकि वहाँ उचित देख भाल हो सके और वे अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति पा सकें |
इसलिए आज से अपनी दिनचर्या बदलिए और आज से ही एक पक्का इरादा कर डालिए … वैसे भी आज साल का पहला दिन है … अपने को खुश रखने के लिए वो सब कुछ कीजिये जो आप को अच्छा लगता है |
यह भूल जाइये कि लोग क्या कहेंगे | खुल कर जीना शुरू कीजिये और सबों को खुश रखने की कोशिश करना छोड़ दीजिये |
आप ठीक कहते है वर्मा जी, अब अपने लिए समय निकालना और अपने लिए जीना शुरू करना ही पड़ेगा | जब तन खुश रहेगा तभी मन भी खुश रहेगा |
मैं आज क्या, अभी से मोर्निंग वाक शुरू करता हूँ |
अच्छा फ़ोन रखता हूँ वर्मा जी, थैंक यू एंड… हैप्पी न्यू इयर, वन्स अगेन |
दोस्तों, मेरा मानना है कि हमें भी अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए अपने व्यस्त समय में से थोडा समय अपने लिए भी ज़रूर निकालना चाहिए, जिससे कि हमारा तन और मन दोनों खुश रहे |
बुढ़ापा अभिशाप नहीं है, यह अभिशाप तब बनता है जब हम लापरवाही के कारण बीमारी से घिर जाते है | यह समय है अपने मन का करने का | अपनी इच्छा के अनुसार जीने का
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हर शब्द में अर्थ होता है …
हर अर्थ में तर्क होता है !
सब कहते हैं हम….
हँसतें बहुत हैं !
लेकिन हंसने वालों के,
दिल में भी तो दर्द होता है ..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
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Self-care is important, especially for those who are caregivers. ❤
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Yes dear ,
self care is the Best way to keep happy and healthy..
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Ela é muito linda 🌻❤️
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Thank you very much..
Stay connected and stay happy..
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🙏✨
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