
कल छठ महापर्व की आस्था देश के विभिन्न हिस्सों में और बिहार के घाटों पर देखने को मिली | घाटों पर हर तरफ श्रद्धालु दिखे और छठ महापर्व का हर्षोल्लास के साथ समापन हो गया |
पटना में गंगा के घाटों पर श्रद्धालु सूप पर फल, ठेकुए, कसार सजाकर पहुँचे । इन्हें छठी मइया को अर्पित किया गया। शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया था और कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया |
बहुत लोगों ने तो अपने अपने घरों में ही तालाब बना कर छठ पर्व की उपासना की और छठ पर्व की गीतों ने तो माहौल को भक्तिमय कर दिया |
महापर्व छठ के अंतिम दिन सूर्य की पत्नी उषा को अर्घ्य दिया जाता है | ऐसी आस्था है कि इससे जीवन में तेज बना रहता है और व्रत करने वाले जातकों की मनोकामना पूरी होती है | पूजा के बाद व्रत करने वाले लोग नींबू का शरबत और प्रसाद खाकर व्रत का पारण करते हैं. |
सचमुच यह बिहार का अनूठा पर्व है आइये इसकी विशेषता जानते है …

..यह एक ऐसा पर्व है जिसे गरीब और आमिर, सभी जाति और धर्मं के लोग एक साथ मिल कर करते है |
…ऐसा लोगों का विश्वास है कि इस पर्व के करने से शरीर निरोगी होता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है |
..सारा वातावरण ठेकुए की खुशबु और छठ के मधुर संगीत से सराबोर हो जाता है। छठ के गीत कितने कर्णप्रिय होते हैं, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि नई से नई पीढी भी, जो अत्याधुनिक गानो की शौकीन हो वो भी छठ का गीत सुनकर भाव विभोर हो जाने को विवश हो जाती है।
…यह एक ऐसा पर्व है जिसे स्त्री और पुरुष दोनों ही करते है | इस पूजा में शरीर और मन दोनों को साधना पड़ता है | इसलिए इस पर्व को हठयोग भी कहा जाता है |
…छठ पूजा की एक सबसे बड़ी विशेषता यह भी है कि छठ पूजा के लिये जो भी खरीदारी होती है वो समाज के निचले तबके के दुकानदारों से ही होती है। सारे सामान रोड पर बैठे गरीब क्रेताओं के पास ही उपलब्ध होते हैं, कोई भी खरीदारी आप मॉल से नही कर सकते हैं।
…मुख्यतः इसमें उपयोग होने वाने सामग्री स्थानीय लोगों खास कर गाँव में ही ,खेतो से ही उपलब्ध होती है अर्थात सभी देशी चीजों का उपयोग होता है |
…ठेकुआ इस पर्व का सबसे ख़ास प्रसाद होता है जो गाँव में उपलब्ध गेहूं , गुड़ की खांड , घी के द्वारा बनाई जाती है | यह इतनी स्वादिस्ट होता है कि इस प्रसाद को दूर दराज़ में स्थित अपने दोस्तों और रिश्तेदारों तक पहुंचाई जाती है और ठेकुआ बहुत दिनों तक सुरक्षित रहता है |

….इसके आलावा इसके बनाने के लिए चूल्हे भी मिटटी से बनाये जाते है , ये मिटटी के चूल्हे स्थानीय कुम्हार के अलावा मुस्लिम औरतें भी बना कर बेचती है | इस तरह इसमें हर तबके का कुछ ना कुछ योगदान रहता है |
…यह एक ऐसा पूजा है जिसे व्रती तन मन को शुद्ध कर इस पूजा को स्वयं करते है | छठ पर्व पंडित के बिना ही की जाती है |
…इस में उपयोग होने वाले सभी सामग्री स्थानीय ही उपलब्ध होते है | एक तरह से कहा जाये तो गाँव में पैदा किये गए सामग्री का ही उपयोग होता है |
… covid -19 , के कारण इस बार की पूजा में बहुत तरह के प्रतिबन्ध लगाये हुए थे, इसके बाबजूद भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नज़र नहीं आयी और घाटों पर भीड़ उमड़ी ।
हमने पढ़ा कि लोग मास्क पहने नजर तो आए पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखीं। घाटों पर ही चाट और गोलगप्पे की दुकानें सजीं । सेल्फी का दौर भी लगातार चला। शहर के पार्कों में बने तालाबों में भी लोगों ने छठ का पर्व मनाया । ज्यादातर जगहों पर घरों और अपार्टमेंट्स की छत पर भी पर्व मनाया गया।
- भगवान सूर्य की होती है पूजा
छठ पूजा वास्तविक रूप में प्रकृति की पूजा है। इस अवसर पर सूर्य भगवान की पूजा होती है, जिन्हें एक मात्र ऐसा भगवान माना जाता है जो दिखते हैं । छठी व्रती द्वारा भगवान सूर्य की पूजा कर यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि जिस सूर्य ने दिन भर हमारी जिंदगी को रौशन किया उसके निस्तेज होने पर भी हम उनका नमन करते हैं।

छठ पूजा के मौके पर नदियां, तालाब, जलाशयों के किनारे पूजा की जाती है जो सफाई की प्रेरणा देती है। यह पर्व नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने का प्रेरणा देता है। इस पर्व में केला, सेब, गन्ना सहित कई फलों की प्रसाद के रूप में पूजा होती है जिनसे वनस्पति की महत्ता रेखांकित होती है।
- भगवान सूर्य की बहन हैं छठ देवी
सूर्योपासना का यह पर्व सूर्य षष्ठी को मनाया जाता है, लिहाजा इसे छठ कहा जाता है। यह पर्व परिवार में सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि छठ देवी भगवान सूर्य की बहन हैं, इसलिए लोग सूर्य की तरफ अर्घ्य दिखाते हैं और छठ मैया को प्रसन्न करने के लिए सूर्य की आराधना करते हैं। ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है।
सभी ग्रहों को प्रसन्न करने के बजाय अगर केवल सूर्य की ही आराधना की जाए और नियमित रूप से अर्घ्य (जल चढ़ाना) दिया जाए तो कई लाभ मिल सकते हैं।
- ऐसे की जाती है पूजा
छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में पहले दिन नहाय-खाए दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य व चौथे दिन उगते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। नहाए-खाए के दिन नदियों में स्नान करते हैं।
इस दिन चावल, चने की दाल इत्यादि बनाए जाते हैं। कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना बोलते हैं। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती भोजन करते हैं।
षष्ठी के दिन सूर्य को अर्ध्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं और स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करते हैं। सप्तमी को सूर्योदय के समय पूजा कर प्रसाद वितरित करते हैं।

- इसका वैज्ञानिक महत्व
अगर सूर्य को जल देने की बात करें तो इसके पीछे रंगों का विज्ञान छिपा है। मानव शरीर में रंगों का संतुलन बिगड़ने से भी कई रोगों के शिकार होने का खतरा होता है। सुबह के समय सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय शरीर पर पड़ने वाले प्रकाश से ये रंग संतुलित हो जाते हैं।
(प्रिज्म के सिद्दांत से) जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ जाती है। सूर्य की रौशनी से मिलने वाला विटामिन डी शरीर में पूरा होता है। त्वचा के रोग कम होते हैं।
कैरोना के इस युग में इमुनिटी को बनाये रखने के लिए विटामिन डी बहुत आवश्यक है जो सूर्य की रौशनी से शरीर अपने आप संतुलित मात्र में ग्रहण कर लेती है |
खुशियों का त्योहार आया है
सूर्य देव से सब जगमगाया है
खेत खलिहान धन और धान
यूँ ही बनी रहे हम सबकी शान…
भगवान् श्री सूर्यदेव आपकी हर मनोकामना पूरी करें |
आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो …

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Nice. Om Suryadevaya Namah.
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Thank you dear..
May chhathi maiya brings in your life positivity, prosperity and happiness…
Happy chhath Puja..
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Nice and informative blog. May Chhathi Maiya shower all her blessings in your life.
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Thank you sir, We also wish you happy chhath puja..
May Surya dev brings in your life positivity. prosperity and happiness..
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बहुत सुन्दर👌
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर ,
छत पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं |
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आपको भी छत पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं🙂🙏
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Thank you …stay connected and stay happy..
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