
निर्मला, आज तीन सालों के बाद अंजना को देख रही थी | वह कोर्ट परिसर में भी अपने लोगों से घिरी थी और सभी को कुछ ना कुछ काम समझा रही थी |
यहाँ तक कि अपने वकील को भी समझा रही थी कि उसे जज के सामने अपने बातों को कैसे रखना है | उसे इतनी भी फुर्सत नहीं थी कि थोड़ी दूर में बैठी निर्मला को भी देख सके निर्मला सोच रही थी कि सचमुच अब अंजना काफी बदल गई है |
कोर्ट की कार्यवाही समाप्त होते ही अंजना कोर्ट रूम से निकल कर अपनी गाड़ी की ओर जा रही थी तभी निर्मला दौड़ कर अंजना के पास पहुँची और कहा…तुम अपनी छोटी बहन को भी भूल गई अंजना | क्या तुम हमसे बात करना नहीं चाहती हो ?
नहीं निर्मला ,ऐसी कोई बात नहीं है | लेकिन यह जगह उन सब बातों के लिए उचित नहीं है | तुम आज शाम मेरे ऑफिस आ जाओ, वही हमलोग इत्मीनान से बातें करेंगे |
इतना बोल कर अंजना कार में बैठ कर चली गई | तभी पीछे से चाची आई और निर्मला से कहा …देखा, अंजना कितनी निर्दयी हो गई है | इसने तो हमलोगों को ही जेल भिजवाने का इनजाम कर रखा है |
निर्मला अपनी माँ द्वारा की गई बेहद शर्मनाक हरकत पर पहले से ही नाराज़ थी | इसलिए अपनी माँ की बातों का कोई ज़बाब नहीं दिया | और वे लोग घर वापस आ गए |
निर्मला के पिता काफी चिंतित थे | उन्हें डर था कि पुरे पैसे वापस नहीं करने की स्थिति में जेल जाना पड़ सकता है | इसलिए वे चुपचाप निर्मला के कमरे में आये |

निर्मला अपनी आँखे बंद किये अपने आने वाले बुरे दिन को महसूस कर रही थी | सचमुच माँ ने तो हम तीनो की ज़िन्दगी को नरक बना दिया है, |
वह मन ही मन सोच रही थी, तभी पीछे से पिता जी आकर निर्मला के सिर पर हाथ रख कर कहा …तुम्हारा चिंता करना वाजिब है निर्मला |
लेकिन अंजना अगर चाहे तो हमारी और तुम्हारी सारी मुसीबतों को दूर कर सकती है | तुम उसे अच्छी तरह समझाओ | वो तुम्हारी बात कभी टाल नहीं सकती है |
लेकिन आपलोगों ने जो उसके साथ इतना बड़ा धोखा किया है, तो मैं किस मुँह से कहूँ कि हमारी गलतियों को माफ़ कर दे |
तुम ठीक कहती हो निर्मला | लेकिन जो गलती हो गई है उसके लिए हमलोग उससे माफ़ी मांग लेंगे |
हमने तो मुसीबत के समय उसे सहारा दिया है और पाल – पोस कर बड़ा किया है, उसका तो एहसान उसे मानना ही चाहिए | मुझे भी उसे समझाने की कोशिश करनी चाहिए |
शाम के पाँच बज रहे थे और निर्मला उसके ऑफिस में पहुँची | साथ में पिता जी भी थे | अपने चैम्बर में बैठी अंजना भी उसी का इंतेज़ार कर रही थी | निर्मला अकेली ही उसके चैम्बर में दाखिल हुई | उसे देखते ही अंजना पास आकर उसे गले लगा लिया और पूछी….कैसी हो निर्मला ?
इतना सुनना था कि निर्मला के आँखों से झर – झर आँसूं बहने लगे | वह बच्चे की तरफ उसके कंधे पर सिर रख कर रो रही थी |
उसको रोता देख कर अंजना के आँखों में भी आंसूं आ गए | दोनों कुछ देर यूँही एक दुसरे को थामे रोती रही | उसे साथ साथ बिताये सुनहरे पलों की याद आने लगी |

वो भी क्या दिन थे, बचपन के दिन … ना कोई चिंता, ना कोई फिक्र और न ही दिल में किसी के लिए नफरत | सचमुच आज हम कहाँ से कहाँ पहुँच गए है |
दोनों सोफे पर बैठ कर बाते करने लगे और तुरंत चाय भी आ गयी |
निर्मला को चाय पीने की इच्छा भी हो रही थी | उसने चाय हाथ में ली और बात शुरू करते हुए कहा… मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो गई अंजना | विजय को जब से सच्चाई का पता चला है, उसने हमसे दुरी बना ली है और साथ ही मुझे अपनी पत्नी के दर्जे से भी बेदखल कर दिया है |
मैं उसकी नफरत बर्दास्त नहीं कर सकती, इसलिए मेरे पास अब आत्महत्या करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है |
तुम बेवकूफों जैसी बातें क्यों करती हो निर्मला | हमेशा खुश रहना और लोगों को खुश रखना ही ज़िन्दगी है | तुम चिंता मत करो, मैं विजय को समझाने की कोशिश करुँगी और उससे तुम्हारे लिए मैं प्रार्थना भी करुँगी …अंजना ने उसे प्यार से समझाते हुए बोला |
लेकिन तुम मुझे दो दिनों की मोहलत दे दो, क्योकि अभी मैं एक केस में उलझ गई हूँ , और मैं आज ही दो दिनों के लिए शहर से बाहर जा रही हूँ |
ठीक है अंजना , अब मेरी जिंदगी तुम्हारे हाथ में है | तुम तो समाज में सताई हुई और दुखियारी औरतों की बहुत मदद करती हो और उसे ज़िन्दगी ज़ीने की हिम्मत देती हो .. तुम्हारे पास बहुत उम्मीदें लेकर आयी हूँ |
ठीक है निर्मला, लेकिन मैं सिर्फ तुम्हारी मदद करुँगी , क्योकि तुम निर्दोष हो | मैं यह जानती हूँ कि मेरी ज़िन्दगी को बर्बाद करने में तुम्हारा कोई हाथ नहीं है |
तभी निर्मला ने कहा …मेरे साथ में पिताजी भी आये हैं, वह बाहर बैठ कर तुमसे मिलने का इंतज़ार कर रहे है |
अंजना ने तुरंत कहा …मैं चाचा और चाची से नहीं मिलना चाहती हूँ और उनकी कोई मदद नहीं करना चाहती हूँ |
तभी चाचा जी दरवाजे से अन्दर आ गए और हाथ जोड़ कर कहा…मुझे माफ़ कर दो अंजना | मैं तुम्हारा गुनाहगार हूँ बेटी | लेकिन यह सच है कि चाची ने जो पंडित जी से मिल कर तुम्हारी कुंडली मिलान में गड़बड़ी की थी , उसकी जानकारी मुझे भी नहीं थी |
और मैं उस समय यह सलाह दे रहा था कि मुझे पहले बड़ी बेटी की शादी करनी है | लेकिन तुम तो अपनी चाची को अच्छी तरह जानती हो … उनकी जिद के आगे मैंने हार मान लिया था |

चाचा को अचानक सामने पाकर और उनकी बातें सुनकर वह भावुक हो गई और आगे बढ़ कर उनके पैर छू लिए और उन्हें सोफे पर बैठाया |
चाचा के भी आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने अंजना से कहा … देखो अंजना , मैं अपना बैंक का सारा पास बुक लेकर तुम्हारे पास लेकर आया हूँ | इसमें कुल मिलकर 15 लाख रूपये बचे है |
तुम इसे लेकर इस केस को समाप्त कर सकती हो और अगर इससे सहमती नहीं हो तो मैं अपना घर भी बेच सकता हूँ, जिससे करीब दस लाख रूपये मिल सकते है, हालाँकि हम लोग सड़क पर आ जायेंगे |
लेकिन मेरे किये की यही सजा है |
अंजना ने उनकी बात को काटते हुए कहा …नहीं चाचा जी, आप को घर बेचने की ज़रुरत नहीं है | मैं नहीं चाहती हूँ कि आप सड़क पर आ जाएँ |
आप अपने वकील से बात कर 15 लाख रूपये देने के लिए और आपसी समझौते से केस के निपटान हेतु एक प्रार्थना पत्र कोर्ट में फाइल करवा दीजिये |
उस दिन मैं भी इस पर अपनी सहमती दूँगी ..और केस का निपटान आपसी सहमती से जज साहब के द्वारा कर दिया जायगा , ऐसी मैं उम्मेमीद करती हूँ |
अंजना की बातें सुन कर चाचा जी ने राहत की सांस ली और उन्होंने अंजना को धन्यवाद देते हुए कहा .. मैं तुम्हारा यह एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगा बेटी | तुमने मेरी चिंता दूर कर दी और हमलोगों को जेल जाने से बचा लिया… (क्रमशः)
जो चाहा कभी पाया नहीं …….जो पाया कभी सोचा नहीं
जो खोया वह याद है पर…..जो पाया संभाला जाता नहीं ..
अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी …जिसको कोई सुलझा पाता नहीं ..

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Categories: story
Nice story with nice paintings.
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thank you dear .I am happy to see your comments..
really your words motivate me to write even better..
stay connoted and stay happy..
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Story is worth reading. Paintings are beautiful and heart touching.
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thank you dear ..I am grateful for your appreciation for my story and
specially about my paintings.. thank you once again..
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You are great sir
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thank you sir, stay connected and stay happy..
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GOOD Afternoon
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Thank you dear .. Please comment on my Blog also…
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Nice story coming to happy ending with good sketches. Verma ji you should also write stories with twist endings.
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thank you sir,
I will write the next story keeping in mind your points.
stay connected and stay happy..
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Lajwab ☺️
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Thank you very much ..Your words keep me reminding to write something Lajwaab..
I will try my best to write something worth reading..I feel happy ..
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*कही बन कर हवा..उड़ तो ना जाओगेकही बन कर घटादिल पर छा जाओगे…ये प्यार की
बातें हैं..बातें रहने दोजज़्बात की बातें हैं..बाते रहने दोकही बन कर हवा…उड़
तो ना जाओगेकही बन कर घटा…दिल पर छा जाओगेकही बन कर हवा…उड़ तो ना जाओगेकही
बन कर घटा..दिल पर छा जाओगेजबसे तुमको देखा मैंने…जिया बेचैन हैंनींद नहीं
आती मुझको…दिन चाहे रेन हैंतेरे ख्वाब देखे हरदम…दिल नहीं मानतातू हैं
आशिक़ी बस…और नहीं जानतासाँसों को तुम मेरी…ले तो ना जाओगेतुम मुझे छोड़
कर…उड़ तो ना जाओगेकही बन कर हवा…उड़ तो ना जाओगेकही बन कर घटा…दिल पर छा
जाओगेमोहब्बत को तेरी यारा…उम्र भर निभाऊंगाहै कसम दूर तुझसे…कभी ना
जाऊँगाप्यार में बेवफा…बन तो ना जाओगेतुम मुझे छोड़ कर…उड़ तो ना जाओगेकही
बन कर हवा…उड़ तो ना जाओगेकही बन कर घटा…दिल पर छा जाओगे*
*मंगल, 17 नव॰ 2020 को 6:12 am बजे को Retiredकलम
<comment-reply@wordpress.com > ने लिखा:*
> vermavkv posted: ” निर्मला, आज तीन सालों के बाद अंजना को देख रही थी | वह
> कोर्ट परिसर में भी अपने लोगों से घिरी थी और सभी को कुछ ना कुछ काम समझा रही
> थी | यहाँ तक कि अपने वकील को भी समझा रही थी कि उसे जज के सामने अपने बातों
> को कैसे रखना है | उसे इतनी भी फुर्सत नहीं थी”
> *
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वाह वाह, बहुत खुबसूरत /
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
संदेह ..मुसीबत के पहाड़ों का निर्माण करता है…
और, विश्वास ..पहाड़ों में से भी रास्ते का निर्माण करता है …
मन में विश्वास रख कर कोई हार नहीं सकता..और,
मन में शंका रख कर कोई जीत नहीं सकता,,,
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