ज़िन्दगी तेरी अज़ब कहानी …7

समय व्यतीत होते देर नहीं लगती है और देखते देखते वह समय भी आ गया , जब बारात घर पर आ गई |

अंजना अपने सारे दुःख को भूल कर अपनी छोटी बहन निर्मला की शादी में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही थी  और शादी बहुत अच्छे ढंग से संपन्न हो गई |

लड़की की  बिदाई का समय भी आ गया .. .सचमुच विदाई की घडी लड़की वालों के लिए  बड़ा भावुक कर देने वाला होता है |

सब लोगों के आँखों में आंसूं थे | निर्मला जब अपनी बड़ी बहन अंजना से लिपट कर रो रही थी तो उस समय अंजना के आँखों के आँसू सुख चुके थे | वह सामने खड़े विजय को देख रही थी | वह भी चुप चाप अंजना को ही देखे जा रहा था |.  दोनों की मजबूरियां चेहरे पर साफ़ झलक रही थी |

अंजना तो जैसे अपने दिल पर पत्थर रख लिया था , वह उन दोनों को कार में जाते देखती रही और हाथ हिला कर शादी की शुभकामनाएं भी दी |

अंजना रात भर शादी में व्यस्त रहने के कारण काफी थक चुकी थी | वह अपने कमरे में कुर्सी पर बैठी  आँखे मूंदे आराम कर रही थी तभी चाची के कमरे से पंडित जी के बात करने की आवाज़ आयी |

 अंजना ने सोचा ..बारात तो विदा हो गई,  फिर पंडित जी अभी यहाँ क्या कर रहे है ? ..अभी तक वे गए क्यों नहीं  ?….

शायद  किसी बात पर झंझट हो रही थी | पंडित लोगो को दान दक्षिणा कितना भी दे दो उन्हें कम ही लगता है |

वह ध्यान देकर दोनों  की बातें सुनने लगी | पंडित जी कह रहे थे….क्यां जजमान, आप से तो बहुत ज्यादा की उम्मीद थी |

चाची ने कहा …जरा धीरे बोलिए,  बहुत मुश्किल से इतना पैसा बचा कर  आपको  दे रही हूँ |

लेकिन हमने सोचा था कि कम से कम दस हज़ार रूपये तो मिलेंगे ही | आपने हमसे ना जाने कितने  झूठ बुलवाए है …पंडित जी नाराज़ होते हुए बोल रहे थे |

आप के कहने पर ही अंजना  की कुंडली में दोष निकाला  और यह बताया कि शादी का योग नहीं बन रहा है और अगर शादी होती है तो लड़के की जान जाने का खतरा भी है ….इतना  बड़ा झूठ और गलत काम मैंने बस आपको फायदा पहुँचाने के लिए किया है  ताकि आप की  अपनी  बेटी निर्मला की शादी उस लड़के से हो जाए … पंडित जी नाराज  होकर बोल रहे थे |

उनकी बातों को सुनकर अंजना के कान खड़े हो गए वह दरवाजे की आड़ में पंडित जी की बात सुनने लगी |

पंडित जी धमकी भरे शब्दों में कह रहे थे…अगर पुरे पैसे नहीं मिले तो मैं सच्चाई सब को बता दूंगा कि आप ने धोखे से अपनी बेटी की शादी की है  ताकि अंजना के पैसों से ही उसकी जगह अपनी बेटी निर्मला की शादी हो जाये |

अच्छा ठीक है,  आप के पैसे मैं पहुँचा  दूंगी, आप अभी जाइए | अगर कोई सुन लिया तो सच्चाई उजागर हो जाएगी …चाची ने हड्बडा  कर कहा |

अंजना इन सब बातों को सुन कर अपना सिर पकड़ कर वही बैठ गई | उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि चाची उसके साथ इतना घिनौना हरकत कर सकती है | जब रक्षक ही भक्षक हो जाये तो अपनी  जान कैसे सलामत  रह सकती है |

अंजना को बहुत  जोर का गुस्सा आया, क्योकि उसकी  माँ समान चाची ने चंद पैसो के लिए उसकी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी |

वह अपना आपा  खो बैठी और अपने कमरे से निकल कर चाची के सामने पहुँच गई और उनसे कहा…मैं  आप लोगों की सारी बातें सुन चुकी हूँ  | मुझे आप लोगों से ऐसी गन्दी हरकत की उम्मीद नहीं थी….अब तो आप लोगों से  नफरत हो रही है |

आपको पैसे चाहिए थे तो एक बार हमसे बताया होता मैं ख़ुशी ख़ुशी निर्मला पर न्योछावर कर देती | लेकिन आप ने तो मेरी ज़िन्दगी ही बर्बाद कर दी | अब तो लोगों से मेरा भरोसा ही उठ गया |

अंजना  गुस्से में अपनी बातें बोले जा रही थी और चाची चुपचाप बुत बनी उसकी बातें सुन रही थी | उसकी चोरी पकड़ी गयी थी और अपने किये पर अब  शर्मिंदगी  के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था |

अंजना के गुस्से को देख कर पंडित जी  भी डर गए और उन्होंने सारे राज़  उसे बता दिया |

पंडित जी  के मुँह से  सारी बातो को सुन कर अंजना को महसूस हुआ कि अब मेरा दुनिया में अपना बचा ही कौन है ?  

जिस चाचा – चाची को वो अपना समझती थी, आज वह भी पराये हो गए है | अब ऐसी जिंदगी जी कर क्या करना है / इससे अच्छा है अपना जीवन ही समाप्त कर लूँ |

अंजना का दिमाग कुछ भी सोचने की स्थिति मे नहीं था |  बिना सोचे समझे वह जिस स्थिति में थी वैसे ही घर से निकल गयी | शाम के करीब चार बज रहे थे और वह तेज़ कदमो से रेलवे ट्रैक की ओर जा रही थी /  आज ट्रेन से कट कर अपनी जान देने के लिए इरादा कर लिया था |

वह रेलवे लाइन पर जा कर खड़ी हो गई और दोनों ओर देखा कि किधर से ट्रेन आ रही है | वह ट्रेन के आने का इंतज़ार कर रही थी, तभी उसे  लगा कि बिलकुल पास की झाड़ियों  से किसी बच्चे की रोने की आवाज़ सुनाई दे रही है | 

अंजना को बहुत आश्चर्य हुआ कि इतने सुनसान जगह पर किसी बच्चे की रोने की आवाज़ कहाँ से आ रही है |  वह उत्सुकता से उस झाड़ी की ओर चल दी | वहाँ पहुँच कर देखा तो उसे अपने आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ |

शायद कोई अभागिन औरत इस बच्चे को जनम देकर यहाँ मरने के लिए छोड़ कर चली गई थी / उस बच्चे को देख कर अंजना के  अन्दर की ममता जाग उठी | वह झट से उस बच्चे को उठा कर  सीने से लगा लिया |

वह सोच रही थी कि  अगर किसी कुत्ते की नज़र पड़ गई होती तो इसे नोच नोच कर खा गया होता | उस बच्चे की स्थिति को देख कर अपने मरने की बात भूल गई और किसी तरह इस बच्चे को बचाना चाहती थी |

उसके गोद में बच्चा आते ही चुप हो गया था | शायद रो रो कर थक  चूका था इसलिए अंजना के गोद में आते ही चुप हो गया |

अंजना ने मन ही मन सोचा कि इस बच्चे को बचाना ही उसका अब मकसद है | लेकिन इसे लेकर वापस तो घर नहीं जा सकती थी |

बहुत माथा पच्ची करने के बाद उसे बगल के शहर में स्थित एक अनाथालय का ध्यान आया और वह वहाँ इस बच्चे को पहुँचाने का फैसला किया |

अंजना ने वहाँ से टैक्सी लेकर कटवा स्थित अनाथालय पहुँच गई | वहाँ की संचालिका  ने अंजना को इस बच्चे के साथ ऐसी हालत में देखा तो समझा कि यह बच्चा उसी  का  है और कुंवारी माँ कहलाने से बचने के लिए यहाँ छोड़ने आयी है |

जब वो लोग तहकीकात कर रहे थे तभी अंजना के मन में एक आईडिया आया और उसने एक झूठी कहानी बना कर कह दी |

अंजना  उनलोगों को बताया कि वही इस बच्चे की माँ है और मेरी गलती की सजा देते हुए मुझे घर से निकाल दिया गया है | इसलिए मैं आपलोगों से सहायता चाहती हूँ /

उस आश्रम की संचालिका बहुत अच्छी स्वभाव की थी | उसे अंजना पर दया आ गई | उसने अंजना के सिर पर हाथ रखते हुए कहा … तुम घबराओ नहीं बेटी |  अब तुम मेरी शरण में हो | यहाँ तुम्हे और तुन्हारे बच्चे को रहने का पूरा प्रबंध कर देंगे …(क्रमशः )

साथ रखना था ही नही तो तुम ने हमसे नाता क्यों जोड़ा,

हमें धोखा देकर तुमने तो  हमें कहीं का नही छोड़ा..

इससे आगे की घटना जानने हेतु नीचे link पर click करे..

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Categories: story

5 replies

  1. Interesting twist in the story. Good storytelling Verma ji.

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  2. Thank you sir. I think you are enjoying this emotive roller coaster and heart warming story..
    May the festival of Light fill your life with the glow of happiness and the sparkle of joy..
    Happy Diwali Sir..

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  3. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    The company of Loving friends and family is a blessing from God..

    Liked by 1 person

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