
विजय वैसे अच्छा लड़का था और दोनों घरो के बीच काफी नजदीकियां थी |
अंजना से उसकी शादी करने पर घर में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए थी |
लेकिन चाची को तो एक बहाना चाहिए था अंजना को डांट- डपट करने का, क्योकि चाचा ने उसे सिर पर बैठा रखा था, और रखते क्यों नहीं, उसके हिस्से की बहुत सारे पैसे अपने नाम से जमा करा रखे है, | उनका तो एक प्राइवेट फर्म में एक मामूली सी नौकरी है | इसीलिए सब की नज़र अंजना के पैसो पर रहती है |
लेकिन कहते है न कि चाहे सौतेली माँ हो या चाची .. वह माँ की जगह नहीं ले सकती | वह तो किसी ऐसे साधारण लड़के की तलाश में थी जो बिना दान – दहेज़ के शादी कर ले और उसके सारे पैसे चाचा – चाची हड़प ले |
चाची ने विजय और अंजना के बारे में शिकायत पाकर अंजना को बहुत भला बुरा कहा और हिदायत दी कि आगे से ऐसी शिकायत नहीं आनी चाहिए |
अंजना पहली बार इस तरह ज़लील हुई थी | वह जानती थी कि चाचा – चाची के अलावा और उसे सहारा देने वाला कोई नहीं है | वह चाची के डर से विजय से बात करना बंद कर दी थी |
एक दिन चाचा जब रात का खाना खा रहे थे, तभी चाची ने शिकायत भरे लहजे में उनसे कहा …..क्या आप को पता है कि अपनी अंजना कॉलेज के बहाने विजय के संग क्या गुल खिला रही है ?
चाचा ने पूरी बात सुनी और फिर थोडा सोच कर कहा ….इसमें गलत क्या बात है | विजय जाना पहचाना लड़का है और हमलोग उसके परिवार को भी अच्छी तरह जानते है | अगर दोनों शादी करना चाहते है तो यह हमारी समझ से तो अच्छी बात है |
शादी में दहेज़ का सारा पैसा जो मेरे पास है वह भी बच जायेगा | इससे तो हमें कुछ भी नुक्सान नहीं दिख रहा है |
इतना सुनना था कि चाची के खुराफाती दिमाग में कुछ दुसरे भी विचार आने लगे और उसके जमा पैसों से ही अपनी बेटी निर्मला की शादी का प्लान मन ही मन बनाने लगी |
लेकिन यह इतना आसान नहीं था | इसमें कूटनीति करनी पड़ेगी…चाची खाना खाते हुए मन ही मन सोच रही थी |

इसी तरह समय बीत रहे थे और कॉलेज की पढाई भी समाप्त हो गई | कॉलेज का अंतिम दिन था , अंजना कैंटीन में बैठ कर अपना टिफिन कर रही थी तभी वहाँ विजय आकर सामने बैठ गया |
कुछ देर दोनों खामोश रहे , फिर विजय ने ही चुप्पी तोड़ी और कहा … मैं जानता हूँ अंजना, तुम अपने चाची के डर के कारण हमसे बात करना बंद कर दी हो | लेकिन सच कहूँ तो मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता हूँ अंजना.
उसकी बातों को सुन कर अंजना भी भावुक हो उठी और विजय का दोनों हाथ अपने हाथ में लेते हुआ कहा …मेरा भी यही हाल है, लेकिन मेरी पैरों में बेड़ियाँ पड़ी है |
नहीं नहीं.. हम अपने प्यार को किसी की नज़र लगने नहीं देंगें |
मैं वादा करता हूँ कि नौकरी लगते ही, कैसे भी हो , तुमसे शादी कर लूँगा …विजय विश्वास दिलाते हुए कहा |
विजय की बातों को सुन कर अंजना को अच्छा लगा और उसे भरोसा भी था कि आज न कल विजय के साथ ही ज़िन्दगी बिताएगी ….वह खामोश बैठी, अपने और विजय के बारे में सोच रही थी |
तभी विजय उसकी तन्द्रा भंग करते हुए पूछा…कहाँ खो गई अंजना |
सोच रही हूँ कि अब तो कॉलेज की पढाई भी समाप्त हो गई और कल से हमारा कॉलेज आना जाना बंद हो जाएगा | सच तो यह है कि तुम्हे एक झलक देख लेती हूँ तो दिल को सुकून मिलता है ..अंजना उसकी ओर देखते हुआ कहा |
मैं चाहता हूँ कि तुम भी नौकरी की तलाश में लग जाओ | हमदोनो जब नौकरी करने लगेंगे तो इन सामाजिक बन्धनों का असर हमारे ऊपर नहीं रह पाएंगे ..विजय अपनी मन की बात कहा |
तुम ठीक कहते हो विजय, मुझे बैंक की नौकरी पसंद है , इसलिए उसी की तैयारी करना चाहती हूँ …अंजना ने अपने मन की बात बता दी |
वाह , मैंने भी बैंक की ही तैयारी करने का फैसला किया हुआ है | मुझे भी बैंक की नौकरी पसंद है |
तभी क्लास में जाने वक़्त हो गया और दोनों कैंटीन से उठ कर चल दिए..|

कॉलेज को छोड़े लगभग एक साल गुज़र गए और अंजना मन लगा कर बैंक के परीक्षा की तैयारी कर रही थी , लेकिन इस एक साल में विजय से मिलना जुलना नहीं हो सका था |
अंजना तो जानती थी कि चाची को उसका विजय के साथ बातचीत करना पसंद नहीं है, इसलिए वह अपने दिल को किसी तरह समझा बुझा कर मना लेती और बैंक की vacancy का इंतज़ार कर रही थी |
इधर चाची के पेट का खाना नहीं पच रहा था, उसे इस बात की चिंता सता रही थी कि अंजना की शादी में उसके लिए रखे सारे पैसे ख़त्म हो गए तो फिर अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे कहाँ से ला पाऊँगी |
पति की छोटी सी नौकरी से इतना पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पायेगा | आखिर मैंने ही तो अंजना को पाल पोश कर बड़ा किया है तो उसके पैसों पर भी तो मेरा हक़ बनता है… चाची का दिमाग तेज़ी से चल रहा था |
इस बीच घटनाक्रम तेज़ी से बदल रहे थे | इधर बैंक की vacancy नहीं निकल रही थी और गरीबी के कारण विजय घर में बैठ कर ज्यादा दिन बेरोज़गारी की मार नहीं झेल पाया |
घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसने एक प्राइवेट फर्म में ज्वाइन कर लिया | हालाँकि बैंक की प्रवेश परीक्षा की अब भी तैयारी कर रहा था |
लेकिन जो भी हो, माता – पिता के बूढ़े होने के कारण विजय घर का बोझ अपने कंधो पर उठा लिया | नौकरी के तनखाह से घर का खर्च आराम से चलने लगा |
इसी बीच माँ ने उसकी शादी की बात छेड़ दी और कहा…तुम्हारी शादी के लिए बहुत सारे ऑफर आ रहे है , इसलिए सोचती हूँ कि ज़ल्द ही तुम्हारी शादी कर दूँ |
विजय अपनी माँ को साफ़ शब्दों में कह दिया …मैं अभी शादी नहीं करना चाहता हूँ |
उसकी बात करने के तरीके से माँ समझ गई कि उसने पहले से कोई लड़की पसंद कर रखी है |

माँ ने खाना परोसते हुए उससे कहा …मैं तुम्हारी माँ हूँ , तुम उस लड़की के बारे में बता , मैं उसी से तेरी शादी करा दूंगी |
बातों बातों में विजय ने अंजना के बारे में सारी बातें बता दी | माँ भी उसे अच्छी तरह जानती ही थी |
दुसरे दिन ही विजय के माता पिता अंजना के घर पहुँच गए , शादी की बात पक्की करने |
चाचा जी ने उनके प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया और लड़के की कुंडली लाने को कहा ताकि लड़का –लड़की की कुंडली की मिलान कराई जा सके |
चूँकि दोनों परिवार ही रुढ़िवादी किस्म के थे, अतः इसके लिए दोनों राज़ी हो गए ताकि लड़के लड़की का आगे का जीवन सुखमय रहे |
अंजना को जब खबर लगी कि विजय के माता – पिता उसे घर की बहु बनाना चाहते है तो उसका मन ख़ुशी से झूम उठा | माता पिता के मरने के बाद आज पहली बार इतनी ख़ुशी महसूस कर रही थी |
दूसरी तरफ, उनलोगों की बाते सुनकर चाची के दिमाग में रात दिन खुराफात की बातें चल रही थी |
उसे पता था कि अगर पहले अंजना की शादी हुई तो मज़बूरी में सारे पैसे उसे वापस करने पड़ेंगे | और अपनी बेटी के लिए कुछ भी नहीं बचेगा | इसलिए कोई ऐसी चाल चलना होगा जिससे उसकी शादी ना हो सके |
अंत में उसने मन ही मन एक प्लान बनाया और अपने घरेलु पंडित जी (जिससे कभी – कभार पूजा पाठ करवा लेती थी,) को पैसे का लालच देकर अपनी पहले से बनाई प्लान उनके कानो में डाल दी | पंडित जी भी पैसों के लालच में सहर्ष तैयार हो गए |..(क्रमशः )

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GOOD MORNING 👌👌👌👌👌
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very good morning. Please comment on story also..
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Nice
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